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Showing posts from November, 2024

जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी हुई। वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बरात का स्वागत किया।शहीद सतीश की बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो,

जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी हुई।  वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बरात का स्वागत किया। शहीद सतीश की बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो,  जींद जिले के उचाना में छातर गांव में शहीद सतीश कुमार की बेटी की शादी, सीआरपीएफ ने निभाई पिता की भूमिका जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को एक भावुक और प्रेरणादायक घटना घटी। शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी पूरे सम्मान और उत्साह के साथ संपन्न हुई। इस विवाह समारोह को खास बनाने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने विशेष भूमिका निभाई। शहीद की बेटी की शादी: एक मिसाल निशा, जो बचपन से ही अपने पिता की छत्रछाया से वंचित रही, का विवाह समारोह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन था। वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बारात का भव्य स्वागत किया, जिससे यह समारोह एक भावुक और गौरवपूर्ण घटना बन गया। सीआरपीएफ ने इस शादी को न केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में देखा, बल्कि इसे शहीद सतीश कुमार को श्रद्धांजलि देने का माध्यम भी बनाया। पिता की कमी पूरी करने का प्रयास शहीद सतीश कुमार ने

कांग्रेस का पिछले 5 साल का रिपोर्ट कार्ड: क्या है हार की वजह, और कौन जिम्मेदार?

छले 5 साल का कांग्रेस का रिपोर्ट कार्ड 2019 लोकसभा हारे 2019 आंध्र प्रदेश,सिक्किम,ओड़िसा, अरुणाचल प्रदेश,हरियाणा हारे 2020 दिल्ली,बिहार हारे 2021 असम,केरल,पश्चिम बंगाल हारे 2022 गुजरात,पंजाब,उत्तराखंड,गोवा,मणिपुर हारे 2023 मध्य प्रदेश,राजस्थान,छत्तीसगढ़ हारे 2024 में लोकसभा,ओड़िसा,आंध्र प्रदेश,हरियाणा महाराष्ट्र हारे किस पार्टी, जिसे कभी भारतीय राजनीति की धुरी माना जाता था, पिछले पांच सालों में अपने प्रदर्शन को लेकर गंभीर आलोचना झेल रही है। इन वर्षों में पार्टी को लोकसभा चुनावों से लेकर कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा। सवाल उठता है कि इस विफलता का जिम्मेदार कौन है और पार्टी को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए क्या 2019: लोकसभा और राज्यों में हार का सिलसिला 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ी असफलता साबित हुआ। पार्टी ने मात्र 52 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने 303 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया। राज्य स्तर पर भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा: आंध्र प्रदेश : यहां पार्टी हाशिए पर चली गई। सिक्किम, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश : कांग्र

शिंदे के नाम पर लगेगी मुहर या फडणवीस संभालेंगे महाराष्ट्र की कमान? जानें मुख्यमंत्री पद की रेस में कौन आगे

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  शिंदे के नाम पर लगेगी मुहर या फडणवीस संभालेंगे महाराष्ट्र की कमान? जानें मुख्यमंत्री पद की रेस में कौन आगे ? महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद राज्य की सियासत गर्मा गई है। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गुट की महायुति ने रिकॉर्ड तोड़ सफलता हासिल की है। कुल 288 सीटों में से एनडीए ने 235 सीटों पर कब्जा किया, जिसमें भाजपा ने अपने दम पर 132 सीटें जीतीं। इसके बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कड़ी टक्कर वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, जिन्होंने शिवसेना (शिंदे गुट) का नेतृत्व करते हुए शानदार प्रदर्शन किया और 57 सीटों पर जीत हासिल की, और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जो भाजपा के मजबूत नेता माने जाते हैं, दोनों मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री पद का फैसला केवल किसी एक दल पर निर्भर नहीं है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा है, "यह निर्णय तीनों दलों के नेताओं के बीच चर्चा के बाद लिया जाएगा।

मुस्लिम बहुल इलाकों में मिली हार के बाद तिलमिलाई सपा, उठाए गंभीर सवाल ?

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  मुस्लिम बहुल इलाकों में मिली हार के बाद तिलमिलाई सपा, उठाए गंभीर सवाल ? उत्तर प्रदेश में हाल ही में 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। इन नतीजों ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। बीजेपी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) को 2 और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को 1 सीट मिली। यह उपचुनाव आने वाले 2027 के विधानसभा चुनावों का "सेमीफाइनल" कहा जा रहा है, हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इस दावे को खारिज कर रहे हैं, क्योंकि प्रदेश में 400 से अधिक विधानसभा सीटें हैं, जिनके मुकाबले 9 सीटों का महत्व सीमित है। मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा की चौंकाने वाली जीत ? चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा की अप्रत्याशित जीत की हो रही है। कुंदरकी सीट, जिसे सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का गढ़ माना जाता था, वहां भाजपा के ठाकुर रामवीर सिंह ने 98,000 से अधिक वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। वहीं, सपा के हाजी रिजवान को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसी प्रकार, सीसामऊ और गाजियाबाद सदर सीटों पर भी भाजपा ने दमदार प्रदर्शन किया। विशेष रूप से कुंदरक

किसान आंदोलन: सरकार और किसानों के बीच बढ़ता तनाव, आंदोलन में नई रणनीतियों का ऐलान ?

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  किसान आंदोलन: सरकार और किसानों के बीच बढ़ता तनाव, आंदोलन में नई रणनीतियों का ऐलान ? किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद ने 8 महीने पूरे कर लिए हैं। स्वर्ण सिंह पंधेर ने कहा कि 13 फरवरी से दोनों बॉर्डर (शंभू और खनोरी) से शुरू हुए इस देशव्यापी आंदोलन को अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं मिला है। सरकार ने 18 फरवरी के बाद से किसानों से किसी प्रकार की बातचीत नहीं की है। इस निराशाजनक स्थिति के बीच किसान नेता जगजीत सिंह ढल्लेवाल 26 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। आंदोलन की नई रणनीति किसानों ने सरकार को 10 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। यदि इस दौरान सरकार बातचीत के लिए आगे नहीं आई या किसानों की 12 सूत्रीय मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो 6 दिसंबर को किसान सांगू बॉर्डर से दिल्ली कूच करेंगे। पंधेर ने कहा कि यह कूच छोटे-छोटे जत्थों में होगा, जिनकी संख्या 51 से 100 तक हो सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आंदोलन के दौरान कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से केंद्र सरकार की होगी। सुखजीत सिंह हार्दोजांद ने स्पष्ट किया कि यदि जगजीत सिंह ढल्लेवाल अपने अनशन के दौरान शहीद हो

योगी का फार्मूला कर गया काम, जीत गई भाजपा: 'बंटेंगे तो कटेंगे' ने दिलाई बड़ी जीत?

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  योगी का फार्मूला कर गया काम, जीत गई भाजपा: 'बंटेंगे तो कटेंगे' ने दिलाई बड़ी जीत? उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर अपनी चुनावी रणनीति और संगठनात्मक ताकत का प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और उनकी प्रसिद्ध 'डबल इंजन सरकार' के नारे ने न केवल पार्टी की जीत सुनिश्चित की, बल्कि एक बार फिर साबित कर दिया कि भाजपा की जमीनी पकड़ मजबूत है। ### बंटेंगे तो कटेंगे: राजनीति का नया मंत्र? चुनावी मैदान में इस बार योगी सरकार ने अपनी रणनीति को 'बंटेंगे तो कटेंगे' के आधार पर तैयार किया। इस नारे का संदेश सीधा और सरल था: जातीय और सांप्रदायिक विभाजन से ऊपर उठकर मतदाताओं को एकजुट करना। योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषणों में इस नारे का बार-बार उल्लेख किया और जनता को बताया कि विभाजनकारी राजनीति से दूर रहकर ही विकास संभव है। योगी की रणनीति: जीत के मुख्य कारण विकास का एजेंडा: भाजपा ने विकास कार्यों को चुनावी मुद्दा बनाया। मुख्यमंत्री ने सड़कों, बिजली, और कानून व्यवस्था में सुधार को जोर-शोर से जनता के सामने रखा। जातिगत समीकरण: योगी सरकार ने विभ

संसद में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रणनीति: नरेंद्र मोदी के सामने नई चुनौती

  संसद में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रणनीति: नरेंद्र मोदी के सामने नई चुनौती केरल के वायनाड में प्रियंका गांधी की ऐतिहासिक जीत और संसद में उनकी धमाकेदार एंट्री ने कांग्रेस पार्टी को नई ताकत दी है। क्या यह भाई-बहन की जोड़ी भारतीय राजनीति का नया मोड़ लाने में सफल होगी?" विश्वप्रेम न्यूज़ के साथ हर अपडेट के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें। गहरी विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय के लिए हमारे साथ बने रहें। विश्वप्रेम न्यूज़: हर ख़बर, आपके पास! भारतीय राजनीति में गांधी परिवार हमेशा से ही चर्चा का केंद्र रहा है। अब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की जोड़ी संसद में नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर रही है। जहां राहुल गांधी पहले से ही अपने आक्रामक बयानों और तीखी आलोचनाओं के लिए चर्चित हैं, वहीं प्रियंका गांधी के संसद में आने से कांग्रेस की रणनीति को नया बल मिला है। प्रियंका गांधी की ऐतिहासिक जीत और राजनीतिक शुरुआत केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में प्रियंका गांधी ने शानदार जीत दर्ज की। यह सीट राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। प्रि

डॉ. तनु जैन ने सिर्फ 2 महीने में पास किया UPSC Pre

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  डॉ. तनु जैन के क्यों मुरीद हैं लाखों अभ्यर्थी? जानें, कैसे उन्होंने सिर्फ 2 महीने में पास किया UPSC Pre कहानी शुरू होती है एक साधारण परिवार से: डॉ. तनु जैन का सफर एक प्रेरणा है उन सभी के लिए, जो सोचते हैं कि संसाधनों की कमी उनकी सफलता में बाधा बन सकती है। एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली तनु ने बचपन से ही पढ़ाई में गहरी रुचि दिखाई। डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद भी, उनके मन में देश सेवा का जज्बा ऐसा जागा कि उन्होंने UPSC की तैयारी का फैसला लिया। सिर्फ 2 महीने की तैयारी में कैसे पास किया UPSC Pre? डॉ. तनु जैन की कहानी इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने केवल 2 महीनों की तैयारी में UPSC Prelims परीक्षा पास कर ली। उन्होंने इसे संभव बनाया अपनी स्मार्ट प्लानिंग, अनुशासन, और सकारात्मक सोच से। स्मार्ट प्लानिंग: उन्होंने समय की कमी को समझते हुए केवल हाई-यील्ड टॉपिक्स पर ध्यान दिया। उन्होंने NCERT किताबों और मॉक टेस्ट का सहारा लिया। अनुशासन और समय प्रबंधन: डॉ. तनु ने हर दिन 12-14 घंटे पढ़ाई की। उन्होंने हर विषय को इस तरह बांटा कि हर दिन कुछ नया सीखने के साथ पुराना भी दोहरा सकें। मॉक टेस्ट और

महाराष्ट्र चुनाव का सबसे बड़ा नया सर्वे: बीजेपी और शिंदे की आँधी में उड़ेगा MVA!

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  महाराष्ट्र चुनाव का सबसे बड़ा नया सर्वे: बीजेपी और शिंदे की आँधी में उड़ेगा MVA! महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ते हुए, ताज़ा सर्वे यह संकेत दे रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना (Eknath Shinde गुट) की संयुक्त ताकत एक बड़ा राजनीतिक तूफान मचाने के लिए तैयार है। इस सर्वे में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि महा विकास अघाड़ी (MVA) – जिसमें शिवसेना (उद्धव ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), और कांग्रेस शामिल हैं – को बीजेपी और शिंदे गुट के सामने भारी नुकसान हो सकता है। सर्वे का मुख्य निष्कर्ष एक प्रमुख मीडिया संगठन द्वारा कराए गए ताजे सर्वे में यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि बीजेपी और शिंदे गुट की लोकप्रियता पिछले कुछ महीनों में तेज़ी से बढ़ी है। जहां तक MVA का सवाल है, सर्वे में यह दिखाया गया है कि उनके बीच मतदाताओं का समर्थन कम हो रहा है। बीजेपी-शिंदे गठबंधन के इस बढ़ते प्रभाव को देखकर MVA के नेताओं के बीच चिंता का माहौल है। सर्वे में राज्य भर के विभिन्न क्षेत्रों से वोटर्स का डेटा शामिल किया गया है। सर्वे

उत्तर प्रदेश उपचुनाव 2024: 9 विधानसभा सीटों पर मतदान, कौन मारेगा बाजी?

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  उत्तर प्रदेश उपचुनाव 2024: 9 विधानसभा सीटों पर मतदान, कौन मारेगा बाजी? उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई 9 विधानसभा सीटों पर बुधवार को उपचुनाव के लिए मतदान हुआ। इन सीटों पर हो रही मतगणना और चुनावी हलचल ने प्रदेश के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। उपचुनाव के इस दौर में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, और हर पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। लेकिन इन सीटों पर चुनावी मुकाबला किसके पक्ष में जाएगा, यह बड़ा सवाल बनकर सामने है। कौन सी हैं वो 9 सीटें? उत्तर प्रदेश की जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, वे हैं: बिल्हौर (कानपुर) गोविंदनगर (कानपुर) इंदरगढ़ (झाँसी) मैनपुरी (मैनपुरी) चंदोसी (संतकबीरनगर) राजघाट (विंध्याचल) अलीगंज (बरेली) कासगंज (कासगंज) ललितपुर (ललितपुर) इन सीटों पर निर्वाचन आयोग ने बुधवार को मतदान कराया, और अब सभी की नजरें वोटों की गिनती और परिणाम पर टिकी हैं। राजनीतिक दलों के बीच मुकाबला उत्तर प्रदेश के इन 9 सीटों पर मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), समाजवादी पार्टी (SP), और कांग्रेस के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। इसके अलावा, बहु

"किसान आंदोलन: दिशा, दशा और राजनीतिक उथल-पुथल ?

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"किसान आंदोलन: दिशा, दशा और राजनीतिक उथल-पुथल ? नमस्कार मित्रों, आज हम बात करेंगे पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन की। यह आंदोलन, जिसने कभी लाखों किसानों और समर्थकों को एकजुट किया था, अब अपने उद्देश्य और दिशा को लेकर गहरे विवादों में फंसता दिख रहा है। आंदोलन की बदलती दशा: हरियाणा चुनाव में बीजेपी की अप्रत्याशित जीत के बाद आंदोलन के प्रमुख चेहरे जैसे गुरनाम सिंह चढूनी और अन्य किसान नेताओं का आत्मविश्वास घटता नजर आ रहा है। चढूनी, जो हरियाणा किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं, चुनाव में पेहवा हलके से केवल 1200-1300 वोट ही प्राप्त कर सके। यह करारी हार उनके सख्त तेवरों में कमी लाने का कारण बनी है। अब उनके बयान तो आ रहे हैं, लेकिन उनमें वह पुरानी धार नहीं दिख रही है। दूसरी ओर, युवा नेता अभिमन्यु कोहाड़ चुनाव के नतीजों से गहरे सदमे में हैं। उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स में साफ झलकता है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव ने उनका मनोबल बुरी तरह तोड़ दिया है। ऐसे में आंदोलन की पुरानी जोश और ऊर्जा कमजोर पड़ती दिख रही है। नेताओं के विरोधाभासी कदम: अब बात करते हैं किसान नेताओं के हालिया फैसलों क

शालिनी अस्पताल - एक मल्टी-स्पेशलिटी सेंटर, टोहाना

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शालिनी अस्पताल - एक मल्टी-स्पेशलिटी सेंटर, टोहाना "हमारा मिशन - हर मरीज को स्वस्थ रखना" "हमारा उद्देश्य है हर मरीज को जल्द से जल्द स्वस्थ देखना। हमारी टीम दिन-रात आपकी सेवा में तत्पर रहती है।" "तो क्यों न आज ही शालिनी हॉस्पिटल का दौरा करें और अपने स्वास्थ्य को सही हाथों में सौंपें। हम आपके स्वस्थ भविष्य के लिए हमेशा तैयार हैं।" कभी सोचा है कि आपका स्वास्थ्य किसे सबसे ज्यादा प्रभावित करता है? आपके परिवार को! इसलिए, हमें चाहिए एक ऐसा अस्पताल जो आपकी हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान करे, और आपके परिवार को सबसे बेहतर इलाज मिले। शालिनी अस्पताल - टोहाना का एक प्रतिष्ठित मल्टी-स्पेशलिटी सेंटर, जहां हर मरीज को मिलता है उच्चतम स्तर का इलाज और देखभाल। यह अस्पताल हर प्रकार की चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें सामान्य चिकित्सा से लेकर कार्डियोलॉजी, गायनकोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, डेंटल, और बाल रोग विशेषज्ञ जैसी विशिष्ट सेवाएं शामिल हैं। यहां पर अनुभवी डॉक्टर्स और मेडिकल टीम मौजूद हैं, जो हर मरीज को उच्चतम गुणवत्ता की देखभाल प्रदान करते हैं। शालिनी हॉस्पिटल में अत्याधुनिक

हरियाणा के जींद जिले की जुलाना विधानसभा से विधायक और इंटरनेशनल रेसलर विनेश फोगाट की गुमशुदगी का वायरल पोस्टर: राजनीतिक सीन में हलचल

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हरियाणा के जींद जिले की जुलाना विधानसभा से विधायक और इंटरनेशनल रेसलर विनेश फोगाट की गुमशुदगी का वायरल पोस्टर: राजनीतिक सीन में हलचल वायरल पोस्टर की कहानी हरियाणा के जींद जिले की जुलाना विधानसभा से विधायक और इंटरनेशनल रेसलर विनेश फोगाट की गुमशुदगी का पोस्टर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। यह पोस्टर अचानक से हर किसी की चर्चा का विषय बन गया है, और राजनीतिक हलकों में इस पर हंसी-ठिठोली की जा रही है। पोस्टर में लिखा गया है, "लापता विधायक की तलाश," जिससे यह इशारा किया गया है कि विनेश फोगाट विधानसभा सत्र के दौरान नदारद रही हैं। पोस्टर में यह भी उल्लेख किया गया है कि "पूरा विधानसभा सत्र निकल गया, लेकिन मैडम नजर नहीं आईं।" इसके बाद एक अपील की जाती है कि अगर कोई उन्हें देखे तो कृपया जुलाना वालों को सूचित करें। इस पोस्टर ने विपक्षी नेताओं को मौका दिया है कि वे विनेश फोगाट पर चुटकियां लें और सवाल उठाएं कि आखिर उनकी उपस्थिति क्यों नहीं रही, खासकर तब जब विधानसभा सत्र में उनके होने की उम्मीद थी। विनेश फोगाट की अनुपस्थिति पर सवाल 19 नवंबर तक हरियाणा विधानसभा का चार दिवसीय सत्र

उत्तर प्रदेश के उपचुनाव: अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ की साख पर परीक्षा

उत्तर प्रदेश के उपचुनाव: अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ की साख पर परीक्षा उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में एक महत्वपूर्ण लड़ाई देखने को मिल रही है, जहां अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ की साख दांव पर है। हाल ही में लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जो झटका लगा था, वह अब सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ा सकता है। अगर इन उपचुनावों में बीजेपी हार जाती है, तो इससे योगी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। बीजेपी का उत्तर प्रदेश में पिछले 10 सालों में सबसे खराब प्रदर्शन देखने को मिला है, जहां सीटों और वोट शेयर दोनों में भारी गिरावट आई है। कई केंद्रीय मंत्री भी हार चुके हैं। योगी आदित्यनाथ ने अपने प्रचार में कानून व्यवस्था, विकास, और आक्रामक हिंदुत्व को प्रमुख मुद्दा बनाया था, लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है: क्या योगी आदित्यनाथ यूपी में बीजेपी के लिए और भी मुश्किलें पैदा कर सकते हैं? वहीं, अखिलेश यादव की बढ़ती सियासी ताकत और उनकी साख ने यूपी की राजनीति में नए समीकरण को जन्म दिया है। अब यह सवाल सबसे अहम है: उत्तर प्रदेश में क्या खेल होगा और योगी के साथ क्या होगा?

गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी का आरोप लगने के बाद अडानी समूह के बांड में गिरावट !

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  गौतम अडानी पर अमेरिकी अभियोजकों ने रिश्वत योजना का आरोप लगाया: भारतीय उद्योगपति समूह पर संकट के बादल फिर मंडराए नई दिल्ली/वाशिंगटन – भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी, जो कुछ समय पहले तक दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे, पर अमेरिकी अभियोजकों ने 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत योजना में शामिल होने का आरोप लगाया है। इस मामले में उनके परिवार और व्यवसाय से जुड़े अन्य व्यक्तियों पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने बुधवार को एक अदालत में आरोप लगाया कि अडानी समूह ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के अनुबंध हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने का षड्यंत्र रचा। अभियोजन पक्ष का दावा है कि इस योजना को अडानी समूह ने जानबूझकर छिपाने की कोशिश की, क्योंकि वह अमेरिकी निवेशकों से फंड जुटाने के प्रयास में था। क्या हैं आरोप? अभियोग के अनुसार, अडानी समूह के अधिकारियों ने 250 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि रिश्वत के रूप में देने का वादा किया था। गौतम अडानी के भतीजे सागर आर. अडानी और उनके करीबी सहयोगी वीनीत एस. जैन का नाम इस पांच-आरोपों वाले अभियोग में प्रमुख रूप से शामिल किया

Elon Musk: Starship 3 Will Cost Less Per Flight Than Falcon 1 But Carry 400 Times the Payload

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  Elon Musk: Starship 3 Will Cost Less Per Flight Than Falcon 1 But Carry 400 Times the Payload April 4, 2024 — SpaceX Update In a groundbreaking announcement, Elon Musk revealed that SpaceX's Starship 3 will revolutionize space travel economics. According to Musk, the next-generation spacecraft will cost less per flight than the company’s first orbital rocket, Falcon 1, while boasting an astounding 400-fold increase in payload capacity. "One of the most profound things is that Starship 3 will cost less per flight than Falcon 1," Musk explained. "That's the difference between a fully reusable rocket and an expendable rocket." The Falcon 1, which debuted in 2008 as SpaceX's first successful orbital launch vehicle, was capable of delivering about half a ton to orbit. By comparison, the Starship 3 will carry hundreds of tons, all while being designed for complete reusability. Musk attributed the cost savings to several factors, including the fully reusable

महाराष्ट्र और झारखंड: किसकी बनेगी सरकार, किसका सपना रह जाएगा अधूरा?

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महाराष्ट्र और झारखंड: किसकी बनेगी सरकार, किसका सपना रह जाएगा अधूरा? जैसे-जैसे चुनाव परिणामों की घड़ी नजदीक आ रही है, महाराष्ट्र और झारखंड में राजनीतिक माहौल दिन-प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है। ये दोनों राज्य न केवल अपनी क्षेत्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके चुनावी परिणाम राष्ट्रीय राजनीति को भी गहराई से प्रभावित कर सकते हैं। आज एग्जिट पोल के नतीजे आ गए हैं, और राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि सत्ता का ताज किसके सिर सजेगा। महाराष्ट्र में क्या भाजपा फिर से सत्ता पर कब्जा कर पाएगी, या गठबंधन की राजनीति नया समीकरण बनाएगी? वहीं, झारखंड में विपक्षी पार्टियां अपनी मजबूत स्थिति का दावा कर रही हैं, लेकिन एग्जिट पोल ने तस्वीर और दिलचस्प बना दी है।  महाराष्ट्र में कौन आगे?  आपकी राय क्या है? किसके सिर सजेगा सत्ता का ताज?  विश्वप्रेम न्यूज़ और हर अपडेट के लिए हमारा चैनल सब्सक्राइब करें। महाराष्ट्र: क्या भाजपा की वापसी होगी? महाराष्ट्र में मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के बीच है। एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस प

देश में 10 रुपये के सिक्के को लेकर कानूनी स्थिति: एक विस्तृत रिपोर्ट

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नरवाना शहर: अग्रवाल मिष्ठान भंडार ने 10 रुपये के सिक्के नहीं लिया, ग्राहक ने RBI को की शिकायत !  भारत में हाल के वर्षों में 10 रुपये के सिक्के को लेकर कई स्थानों पर विवाद उत्पन्न हुआ है। दुकानदारों द्वारा इसे नकली या अवैध बताकर स्वीकार न करने की घटनाएं कई शहरों में सामने आई हैं। यह समस्या न केवल छोटे कस्बों और गांवों में देखी जाती है, बल्कि बड़े शहरों में भी इसे लेकर भ्रम पनप रहा है। हाल ही में हरियाणा के नरवाना शहर में एक ऐसी घटना घटी जिसने देश में सिक्कों के उपयोग और उनके कानूनी महत्व को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। यह घटना नरवाना के एक व्यस्त बस स्टैंड पर हुई, जहां एक ग्राहक ने दुकानदार को 105 रुपये का भुगतान करने के लिए 10 रुपये का सिक्का दिया। हालांकि, दुकानदार ने यह सिक्का स्वीकार करने से साफ तौर पर मना कर दिया और कहा कि वह इसे नहीं लेगा। इसके बाद ग्राहक ने दुकानदार को बताया कि यह कानूनी अपराध है और वह ऐसा नहीं कर सकता, लेकिन दुकानदार ने इसे नकारते हुए कहा, "जो करना है, करो, मैं यह सिक्का नहीं लूंगा।" इस स्थिति ने यह साफ कर दिया कि 10 रुपये के सिक्के को लेकर न केवल आम जनत

महायुति के पास तीन मजबूत नेता—एकनाथ शिंदे, अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस

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  महायुति के पास तीन मजबूत नेता—एकनाथ शिंदे, अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति में महायुति (भाजपा, शिवसेना और एनसीपी गुट का गठबंधन) के तीन शीर्ष नेता—मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, और पूर्व मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस—सत्ता के केंद्र में मजबूती से खड़े हैं। ये तीनों नेता न केवल अपनी-अपनी पार्टियों में प्रभावशाली हैं, बल्कि राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक निर्णयों में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। एकनाथ शिंदे: जनता के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का राजनीतिक सफर संघर्ष से भरा रहा है। शिवसेना में एक जमीनी नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले शिंदे ने कार्यकर्ताओं के दिलों में खास जगह बनाई है। उनके नेतृत्व में राज्य में कई अहम फैसले लिए गए हैं, जिनमें किसानों के लिए कर्जमाफी और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। शिंदे का सीएम बनना महाराष्ट्र की राजनीति का एक बड़ा मोड़ था, जब उन्होंने शिवसेना में विद्रोह कर अलग गुट बनाया और भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। वे एक "आम आदमी" के नेता माने जाते हैं, जो गांव और शहर दोनों की समस्

महाराष्ट्र में एमवीए जीतेगी या महायुति? चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है जानिए वो प्रमुख फैक्टर जो तय करेंगे हार-जीतदे

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  महाराष्ट्र में एमवीए जीतेगी या महायुति? चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है जानिए वो प्रमुख फैक्टर जो तय करेंगे हार-जीतदे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और इस बार की लड़ाई महायुति (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गुट) और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच है। बीते पांच सालों में राज्य की राजनीति में उथल-पुथल ने कई नए समीकरणों को जन्म दिया। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विभाजन ने राजनीतिक संतुलन को बदल दिया, और अब हर गठबंधन के लिए यह चुनाव सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि अस्तित्व और पहचान की जंग बन चुका है। महाराष्ट्र में पिछले छह चुनावों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इस बार की लड़ाई और भी दिलचस्प है क्योंकि राजनीतिक विभाजन और व्यक्तिगत वफादारियों ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। आइए, देखते हैं कि कौन-कौन से प्रमुख फैक्टर हैं जो इस चुनाव में जीत या हार का निर्धारण करेंगे। 2019 में बनी महा विकास अघाड़ी ने लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। महाराष्ट्र की 48 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज कर एमवीए ने अपनी ताकत दिखाई। विधानसभा के

शासन और प्रशासन की नींद हादसे के बाद ही क्यों टूटती है?

  शासन और प्रशासन की कुंभकर्णी नींद: बड़े हादसों पर जागते हैं अधिकारी, कुछ दिन के बाद फिर सो जाते हैं जब भी कोई बड़ा हादसा होता है, शासन और प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूटती है। आनन-फानन में अधिकारी और मंत्री सक्रिय होते हैं, नियम लागू किए जाते हैं, निरीक्षण होते हैं, और वाहनों पर नकेल कसने की प्रक्रिया शुरू होती है। परंतु इस कार्रवाई का असर कुछ दिनों तक ही रहता है। महेंद्रगढ़ में हुए हादसे के बाद 6 बच्चों की दर्दनाक मौत ने प्रशासन को झकझोर कर रख दिया था। इसके बाद प्रशासन ने नियमों के पालन का आश्वासन दिया, मगर कुछ ही समय बाद यह सक्रियता फिर से ढीली पड़ गई। प्रशासन की सुस्ती का नतीजा यह है कि स्कूल और उनके परिवहन नियमों का उल्लंघन करना जारी रखते हैं। बिना पंजीकरण के चल रहे प्ले स्कूलों और अनफिट, ओवरलोडेड बसों का संचालन एक गंभीर खतरा बना हुआ है। स्कूल वाहन आए दिन दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। नरवाना में एक और बड़ा हादसा होते-होते टला हाल ही में नरवाना के एक स्कूल की बस की दुर्घटना की घटना सामने आई। यह घटना तब हुई जब गुरथली रोड पर शिव शीशु नामक स्कूल की बस की टक्कर एक ट्राली से होते-होते

गीता भुक्कल हरियाणा की विपक्ष की नेता बन सकती हैं: एक मजबूत और अनुभवी आवाज

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  गीता भुक्कल हरियाणा की विपक्ष की नेता बन सकती हैं: एक मजबूत और अनुभवी आवाज !  चंद्रमोहन बिश्नोई: एक और विकल्प टैग्स: #हरियाणा #गीता_भुक्कल #विपक्ष_की_नेता #चंद्रमोहन_बिश्नोई #हरियाणा_राजनीति #कांग्रेस हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चर्चा चल रही है कि विपक्ष की अगुवाई के लिए गीता भुक्कल का नाम सबसे ऊपर क्यों देखा जा रहा है। गीता भुक्कल एक ऐसी नेता हैं जिनकी आवाज में मजबूती और अनुभव झलकता है। उनके समर्थकों का मानना है कि वे विपक्ष की नेता बनने की पूरी योग्यता रखती हैं। गीता भुक्कल ने समय-समय पर किसानों, मजदूरों और युवाओं की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है। विधानसभा सत्र में भी उन्होंने जनता की आवाज़ बनने का प्रयास किया है। हरियाणा के नागरिकों को लगता है कि उनकी समस्याओं के समाधान के लिए एक सशक्त विपक्ष की जरूरत है, और गीता भुक्कल इसमें पूरी तरह से सक्षम दिखाई देती हैं। गीता भुक्कल के अनुभव और उनकी आवाज़ की भूमिका गीता भुक्कल का राजनीतिक अनुभव, उनकी निर्णय शक्ति और हरियाणा के मुद्दों पर उनकी समझ उन्हें विपक्ष की नेता के रूप में एक मज़बूत उम्मीदवार बनाती है। विधानसभा सत्र में जिस

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