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Showing posts from November, 2024

सस्पेंस बना हुआ है: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद क्या निराश हैं महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे?

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  सस्पेंस बना हुआ है: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद क्या निराश हैं महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे? नई दिल्ली: महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की हालिया तबीयत को लेकर स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ शुक्रवार को हुई बैठक के बाद इस बात का सस्पेंस बना हुआ है कि क्या मुख्यमंत्री शिंदे बैठक से निराश हैं, हालांकि उनके स्वास्थ्य को लेकर खबरें आ रही हैं कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। सूत्रों के अनुसार, शिंदे ने अपनी सभी निर्धारित बैठकें रद्द कर दी हैं और शुक्रवार को अपने पैतृक गांव सतारा के डेरे तांब लौट गए। बताया जा रहा है कि उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई है, जिसके बाद उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। उनके स्वास्थ्य की हालत को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन यह खबरें चिंता का विषय बनी हुई हैं। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में कई अहम राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा की गई थी। हालांकि, इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिंदे की प्रतिक्रि...

डेरा का विवादित इतिहास: जब पंचकूला में जल उठा न्याय, राजनीति और धर्म का खतरनाक खेल

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  सिरसा का डेरा: राजनीति, अपराध और विवादों का गढ़ हरियाणा की राजनीति और सिरसा का डेरा सच्चा सौदा लंबे समय से एक-दूसरे से गहराई से जुड़े रहे हैं। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक मंच पर भी बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि डेरा का आशीर्वाद जिस भी पार्टी को मिल जाए, उसकी सरकार बनना लगभग तय हो जाता है। ये वो राजनैतिक अखाड़ा है जहां पर जिसे आशीर्वाद मिल जाए तो उनकी सरकार बन जाती है और बिना आशीर्वाद के विपक्ष में बैठे रह जाते हैं। हरियाणा में 2014 के चुनाव में भाजपा का खास वजूद नहीं था तो भाजपा ने जाकर डेरे से सहयोग मांगा तो उनकी सरकार आ गई। इसके बाद 2024 में फिर डेरा ने भाजपा की तरफ इशारा कर दिया और फिर से बहुमत की सरकार आ गई। डेरा समर्थक इससे आगे बताते हैं की भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौटाला परिवार पर हमारे बाबा की निगाहें टेडी है तभी तो आज हरियाणा की राजनीति से चौटाला और हुड्डा परिवार चौधर से दूर है पर फिर भी डेरा समर्थकों के बीच पंचकूला में खूनी संघर्ष आज से सात साल पहले शुरू हो गया था जिसमें लगभग 31 समर्थकों की मौत हो गई थी।...

महम कांड: हरियाणा के राजनीतिक इतिहास का काला अध्याय

  खूनी सियासत का काला अध्याय: महम कांड की पूरी कहानी नमस्कार, स्वागत है आपका Vishwaprem News में! मैं हूँ आपकी अंजना। आज हम आपको लेकर चलेंगे हरियाणा के इतिहास के एक ऐसे अध्याय में जिसे भुलाना मुश्किल है। यह कहानी है महम कांड की—एक ऐसी घटना जिसने न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश की राजनीति को झकझोर दिया। आइए, समझते हैं इस विवाद की गहराई, इसके कारण, और परिणाम जो आज भी चर्चा का विषय हैं।" लेकिन उससे पहले Vishwaprem News को फॉलो और सब्सक्राइब जरूर करें। महम कांड: कैसे शुरू हुई यह कहानी? फरवरी 1990 में हरियाणा के रोहतक जिले के महम विधानसभा क्षेत्र में एक उपचुनाव का आयोजन किया गया। यह चुनाव इसलिए जरूरी था क्योंकि चौधरी देवीलाल ने उपप्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी विधानसभा सीट छोड़ दी थी। हरियाणा के मुख्यमंत्री उनके बेटे चौधरी ओमप्रकाश चौटाला थे, जो उस समय विधायक नहीं थे। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्हें छह महीने के भीतर किसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतना अनिवार्य था। चुनाव आयोग ने 27 फरवरी 1990 को महम उपचुनाव की तारीख तय की। ओमप्रकाश चौटाला ने महम से नामांकन दाखिल किया, लेकिन उनके खिलाफ कई...

पत्रकार चित्रा त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़ीं, गैर-जमानती वारंट जारी ?

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  पत्रकार चित्रा त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़ती हुईं नज़र आ रहीं हैं ? पत्रकार चित्रा त्रिपाठी इन दिनों कानूनी मुश्किलों में फंसी हुई हैं। उनके खिलाफ POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह मामला कथित रूप से आसाराम बापू और एक 10 वर्षीय बच्ची से संबंधित एक वीडियो को लेकर है। गैर-जमानती वारंट जारी चित्रा त्रिपाठी के कोर्ट में हाज़िर न होने के कारण उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया। मामले में उन्होंने एंटीसिपेटरी बेल के लिए गुहार लगाई थी, जिसे गुरुग्राम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। आगे की कार्रवाई पर नजर अब सवाल यह है कि आगे इस मामले में क्या कार्रवाई की जाएगी। क्या चित्रा त्रिपाठी कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगी, या उन्हें और गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा? #ChitraTripathi #POCSOCase #CourtWarrant #MediaTrial #LegalTrouble

महाराष्ट्र सीएम समाचार: एकनाथ शिंदे पर अटकलों को लेकर शिवसेना नेताओं का बयान

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  महाराष्ट्र सीएम समाचार: एकनाथ शिंदे पर अटकलों को लेकर शिवसेना नेताओं का बयान महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर उठ रहे सवालों और अटकलों पर शिवसेना नेताओं ने अपनी सफाई दी है। शिवसेना नेता उदय सामंत ने कहा कि शिंदे नाराज नहीं हैं, बल्कि वह सर्दी और बुखार के चलते आराम करने के लिए सतारा जिले में अपने पैतृक गांव रवाना हुए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही चर्चाओं को भी खारिज कर दिया। सामंत ने कहा, "एकनाथ शिंदे अभी भी पूरी तरह महाराष्ट्र की राजनीति पर केंद्रित हैं। उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता न करें, वह जल्द ही वापस आएंगे।" इसी बीच, शिवसेना के एक अन्य नेता संजय शिरसाट ने दावा किया कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में एक बड़ा फैसला ले सकते हैं। हालांकि, इस फैसले से जुड़ी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शिरसाट ने यह भी स्पष्ट किया कि शिवसेना प्रमुख किसी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे क्योंकि उनकी प्राथमिकता महाराष्ट्र की राजनीति है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और नए मुख्यमंत्री के...

हरियाणा की राजनीति में नेतृत्व और ईमानदारी की मिसाल: फूलचंद मुलाना और मनोहर लाल खट्टर का दृष्टिकोण ?

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  हरियाणा की राजनीति में नेतृत्व और ईमानदारी की मिसाल: फूलचंद मुलाना और मनोहर लाल खट्टर का दृष्टिकोण ? हरियाणा की राजनीति में फूलचंद मुलाना एक ऐसा नाम है, जिसने अपने कार्यकाल में अनेक उपलब्धियां हासिल कीं और कांग्रेस पार्टी में अहम भूमिका निभाई। मुलाना न केवल हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, बल्कि उनका परिवार भी राजनीति में काफी सक्रिय है। उनके बेटे ने अंबाला से सांसद के रूप में कार्य किया, जबकि उनकी बहू को विधायक बनने का अवसर मिला। हालांकि, उनके कार्यकाल में कई सवाल उठे, खासकर प्रशासनिक स्तर पर नियुक्तियों को लेकर। फूलचंद मुलाना का नेतृत्व और सवाल मुलाना के नेतृत्व के समय, खासकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान, अंबाला क्षेत्र से थानेदार स्तर पर कोई बड़ी नियुक्ति नहीं हुई। यह एक ऐसा विषय है जो क्षेत्र के नागरिकों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। सवाल यह है कि जब उनका परिवार राजनीति में इतनी ऊंचाई पर था, तो क्या क्षेत्र के युवाओं के लिए अधिक अवसर उपलब्ध नहीं कराए जा सकते थे? मुलाना का चुप रहना और इन मुद्दों पर सक्रियता न दिखाना उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े करता है। यह बात साफ है कि रा...

नरेश बंसल: अहसान फरामोश या सियासी चालाकी?

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 नरेश बंसल: अहसान फरामोश या सियासी चालाकी?  सुभाष बराला की चुप्पी और बंसल की नई सियासी राह ? टोहाना के सियासी दगंल में सुभाष बराला चुपके से देवेन्द्र सिंह बबली को पटखनी देते नजर आते हैं। मौका चुनाव का हो तो वो अपनी दांव-पेंच से मास्टरी दिखा जाते है। चुनाव नगरपरिषद के हो या फिर विधानसभा के विरोधी को अपनी ताकत दिखा देते हैं। इसी बात की चर्चा टोहाना शहर में खूब चर्चा में है। इससे आगे चर्चा टोहाना में नरेश बंसल है। नरेश बंसल को चेयरमैन का चुनाव जीतवाने में सुभाष बराला का बड़ा योगदान है। चुनाव के दौरान नरेश बंसल का असली प्रतिद्वंद्वी देवेन्द्र सिंह बबली था। उस वक्त केबिनेट मंत्री और दबंग के तौर पर उसकी छवि थी तो नरेश बंसल निर्दलीय चुनाव लड़ रहा था तो सारथी के तौर पर आए सुभाष बराला ने चुनाव जीतवा दिया। अब वही नरेश बंसल देवेन्द्र सिंह बबली के आगे पिछे और पोस्टरों में नजर आ रहा है। भाजपा के चुनाव जीत के बाद सरकार बनाने की बधाई नरेश सुभाष बराला संग नहीं बल्कि देवेन्द्र सिंह बबली के संग नजर आ रहे हैं। जिस पर शहर में लोग नरेश बंसल पर चुटकी अलग अलग तरीके से लेते नजर आ रहे हैं। कोई नरेश और...

"कंगना रनौत ने साझा की 'लेडी एसपीजी' की तस्वीर, महिला सशक्तिकरण पर छिड़ी चर्चा"

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  महिला सशक्तिकरण की मिसाल: कंगना रनौत ने साझा की 'लेडी एसपीजी' की प्रेरक छवि भाजपा सांसद और अभिनेत्री से नेता बनीं कंगना रनौत ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक तस्वीर साझा की है, जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। इस तस्वीर में एक महिला कमांडो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के साथ चलते हुए दिखाई दे रही है। कंगना ने इस छवि को "लेडी एसपीजी" का कैप्शन दिया, जो अब वायरल हो गई है। इस तस्वीर ने महिलाओं के सशक्तिकरण और विशेष सुरक्षा बलों में उनकी बढ़ती भूमिका को लेकर एक नई चर्चा छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि यह महिला विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) की सदस्य हो सकती है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की गई है। एसपीजी: विशेष सुरक्षा का स्तंभ 1985 में स्थापित विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) भारत के प्रधान मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला एक विशिष्ट बल है। एसपीजी के अधिकारी अपनी नेतृत्व क्षमता, व्यावसायिकता और उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिए प्रसिद्ध हैं। इस बल का संचालन इ...

Kamala Harris Shines with Comedic Charm in 'SNL' Cameo, Playfully Jabs at Trump

 Kamala Harris Steals the Spotlight on 'Saturday Night Live' with Hilarious Cameo  This past weekend, Democratic presidential nominee and Vice President Kamala Harris made a memorable appearance on the iconic sketch show "Saturday Night Live," showcasing her comedic chops alongside longtime cast member Maya Rudolph. The segment not only highlighted Harris's charisma but also provided a lighthearted moment in the midst of an intense election season.  The sketch kicked off with Rudolph’s portrayal of Harris, who comically lamented, “I wish I could talk to someone who’s been in my shoes, a Black, South Asian woman running for President.” Harris, stepping into the scene, humorously replied, “You and me both, sister,” setting a playful tone for their exchange.  As the dialogue unfolded, Harris cleverly took aim at her political rival, former President Donald Trump. In a nod to a recent incident where Trump struggled to open a garbage truck door during a campaign event ...

प्रियंका गांधी: बलिदानी महिलाओं की 5वीं पीढ़ी | नेहरू-गांधी परिवार की विरासत

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प्रियंका गांधी: बलिदानी महिलाओं की 5वीं पीढ़ी | नेहरू-गांधी परिवार की विरासत नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करेंगे नेहरू-गांधी परिवार की उस परंपरा की, जिसने हमारे देश को न केवल महान नेता दिए, बल्कि ऐसे बलिदानी चरित्र भी जो आज तक हर भारतीय के दिल में बसे हुए हैं। यह कहानी शुरू होती है पंडित मोतीलाल नेहरू और स्वरूप रानी नेहरू से। उनके संघर्ष और बलिदान की विरासत को इस परिवार की हर पीढ़ी ने आगे बढ़ाया है। स्वरूप रानी नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में लाठियां खाईं, कमला नेहरू ने आंदोलनों का नेतृत्व किया, इंदिरा गांधी ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जान दी, और सोनिया गांधी ने कठिन समय में कांग्रेस को मजबूती दी। अब इस परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं प्रियंका गांधी। जब वह लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेती हैं, तो यह उनकी महान विरासत और संघर्ष की एक नई शुरुआत है। इस परिवार की महिलाओं का साहस, बलिदान और नेतृत्व हमें सिखाता है कि सच्चा देशभक्त वही है जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर राष्ट्रसेवा के लिए काम करे। आइए, प्रियंका गांधी के इस नए सफर में उनके योगदान को सराहें और उम्मीद करें कि वह इस महान विरासत को औ...

"72 घंटों में अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा? क्या इन गोलियों के खतरों से वाकिफ हो आप?"

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72 घंटों में अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा? क्या इन गोलियों के खतरों से वाकिफ हो आप?"  बेटियाँ अपनी ज़िंदगी खो रही हैं… टीवी पर ऐड आता है— बस एक कैप्सूल 72 घंटों के अंदर अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा।  और न जाने कितनी लड़कियाँ, सोच-समझ के बिना ही, इन्हें यूँ ही निगल जाती हैं। बिना सोचे कि इन गोलियों में क्या है, या इसका असर कितना खतरनाक हो सकता है। आजकल हमारे समाज में एक खतरनाक ट्रेंड बन चुका है—वह है अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए दवाइयों का सेवन। टीवी पर एक विज्ञापन आता है—"बस एक कैप्सूल, 72 घंटों के अंदर अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा!" यह विज्ञापन एक साधारण समाधान की तरह पेश किया जाता है, लेकिन इसके पीछे जो खतरनाक सच है, उसे समझना बहुत जरूरी है। हर दिन हमारे समाज में कितनी ही लड़कियाँ बिना सोचे-समझे इन दवाइयों का सेवन करती हैं। जब तक उन्हें इस बात का अहसास होता है कि यह दवाई उनकी ज़िंदगी को प्रभावित कर रही है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इन गोलियों में ऐसे खतरनाक केमिकल होते हैं जो सिर्फ भ्रूण को खत्म नहीं करते, बल्कि लंबे समय तक महिला के फर्टिलिटी सिस्...

"कंडेला कांड: 37 किसानों की शहादत और बिजली आंदोलन की दास्तां | हरियाणा का सबसे विवादास्पद संघर्ष"

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 "कंडेला कांड: 37 किसानों की शहादत और बिजली आंदोलन की दास्तां | हरियाणा का सबसे विवादास्पद संघर्ष" नमस्कार, स्वागत है आपका Vishwaprem News में! और मैं हूँ आपकी अंजना। आज हम आपको लेकर चलेंगे हरियाणा के इतिहास के एक ऐसे अध्याय में, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। यह कहानी है कंडेला कांड की—एक घटना जिसने किसानों और सरकार के बीच टकराव को नई ऊँचाई दी। तो आइए, समझते हैं इस विवाद की जड़ें और इसके परिणाम, जो पूरे देश में चर्चा का विषय बने। चलिए शुरू करते हैं आज का खास शो!" क्या है 'कंडेला कांड' की पृष्ठभूमि? भारतीय इतिहास में किसान आंदोलन एक महत्वपूर्ण अध्याय रहा है। हरियाणा के कंडेला गांव में हुआ किसान आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह आंदोलन न केवल किसानों की एकजुटता और उनके अदम्य साहस का प्रतीक बना, बल्कि इसमें एक अप्रत्याशित नायक की भूमिका भी सामने आई—एक "सांड"। कंडेला गांव हरियाणा के उन गांवों में से एक है, जहां किसानों ने अपनी समस्याओं और अधिकारों के लिए जोरदार लड़ाई लड़ी।  यह कहानी 1991 से शुरू होती है, जब हरियाणा में बिजली संकट ने किसानों के लिए बड़े...

एकनाथ शिंदे ने 'गठबंधन धर्म' के पालन की मिसाल कायम की: बेटे श्रीकांत

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Eknath Shinde set example of following 'alliance dharma': Son Shrikant शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने अपने पिता, महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, की नेतृत्व शैली और उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की है। श्रीकांत ने कहा कि उन्हें अपने पिता पर गर्व है, जिन्होंने व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठकर "गठबंधन धर्म" के पालन का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। सांसद श्रीकांत ने बुधवार रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में यह बात साझा की। उन्होंने लिखा कि उनके पिता का महाराष्ट्र की जनता के साथ गहरा और अटूट रिश्ता है, जो उनके कार्यकाल के दौरान बार-बार स्पष्ट हुआ है। उनके इस बयान को राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखा जा रहा है। एकनाथ शिंदे, जिन्होंने अपनी कार्यशैली से सदा एक निष्ठावान नेता के रूप में पहचान बनाई है, ने राजनीति में "गठबंधन धर्म" के महत्व को रेखांकित किया। उनके फैसले यह दर्शाते हैं कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को छोड़कर जनता के हितों और गठबंधन की एकता को प्राथमिकता देना, राजनीति में नैतिकता को बनाए रखने ...

दुबई ग्लोबल वुमेन फोरम में ऐश्वर्या राय बच्चन का जलवा !

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  दुबई ग्लोबल वुमेन फोरम में ऐश्वर्या राय बच्चन का जलवा !  ऐश्वर्या राय बच्चन ने हाल ही में दुबई में आयोजित ग्लोबल वुमेन फोरम में अपनी शानदार उपस्थिति से सबका ध्यान आकर्षित किया। नीले गाउन में उनकी खूबसूरती और गरिमा ने मंच को और भी खास बना दिया। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में, ऐश्वर्या ने महिलाओं के सशक्तिकरण और समानता को लेकर एक प्रेरणादायक भाषण दिया। दुबई महिला प्रतिष्ठान के आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज पर ऐश्वर्या का एक वीडियो साझा किया गया, जिसमें वे मंच से महिलाओं के लिए प्रेरणादायक बातें करती नजर आईं। उन्होंने कहा, "यह मंच एक शानदार उदाहरण है कि जब विभिन्न पृष्ठभूमियों की आवाजें समानता को बढ़ावा देने, सकारात्मक परिवर्तन लाने और महिलाओं के लिए अवसर पैदा करने के उद्देश्य से एक साथ आती हैं, तो क्या कुछ हासिल किया जा सकता है।" ऐश्वर्या का यह संबोधन न केवल उनकी सोच और दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि महिलाओं के उत्थान के प्रति उनके समर्पण को भी उजागर करता है। उनके इस कदम को प्रशंसकों और फोरम में मौजूद लोगों ने खूब सराहा।

जाट आरक्षण दंगे: एक ऐसा दौर जिसने हरियाणा की रूह को झकझोर दिया था ?

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  जाट आरक्षण के वो दंगे: जब हरियाणा हिल उठा था ? जाट आरक्षण दंगे: एक ऐसा दौर जिसने हरियाणा की रूह को झकझोर दिया था ? आप देख रहे हैं Vishwaprem News , और मैं हूँ आपकी अंजना। आज हम बात करेंगे हरियाणा के उस ऐतिहासिक घटनाक्रम की जिसने न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया। जाट आरक्षण आंदोलन और उससे जुड़े दंगे हरियाणा की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरे प्रभाव छोड़ गए। यह आंदोलन जल्द ही हिंसक रूप में बदल गया और प्रदेश में आगजनी, लूटपाट, तोड़फोड़ और जातिगत विभाजन का माहौल बन गया। ग्रामीण इलाकों में डर का माहौल था। लोग अपने घरों और संपत्ति को बचाने के लिए चिंतित थे। शहरों में सड़कों पर जली हुई गाड़ियाँ, टूटे हुए दुकानें, और जलती हुई इमारतों का खौफनाक नजारा दिख रहा था। रोहतक और सोनीपत इस हिंसा के प्रमुख केंद्र बन गए थे। कुलदीप खंडेलवाल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट, आइए, विस्तार से जानते हैं उस समय की घटनाओं, उनके कारण और उनके परिणामों के बारे में intro दंगों का खौफनाक मंजर फरवरी 2016 में हरियाणा में जाट समुदाय ने अपने ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर जो आंदोलन शुरू किया, वह जल्द ह...

हरियाणा का सबसे बड़ा ढोंगी बाबा: रामपाल दास की कहानी

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हरियाणा का सबसे बड़ा ढोंगी बाबा: रामपाल दास की कहानी रामपाल दास की कहानी सिंचाई विभाग के जूनियर इंजी हरियाणा के चर्चि त बाबा रामपाल: जूनियर इंजीनियर से संत, फिर सलाखों तक की कहानी नमस्कार दोस्तों! आप देख रहे हैं  Vishwaprem News , और मैं हूँ आपकी अंजना। आज हम चर्चा करेंगे हरियाणा की उस घटना की जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। यह रिपोर्ट संजीव चौहान द्वारा तैयार की गई है, और यह पूरी तरह से सरकारी फाइलों में दर्ज आंकड़ों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है। रामपाल: एक विवादित  नियर से तथाकथित संत और फिर सजायाफ्ता मुजरिम बनने की दास्तान है। हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में जन्मे रामपाल का प्रारंभिक जीवन एक साधारण किसान परिवार में बीता। अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए उन्होंने जूनियर इंजीनियर की सरकारी नौकरी हासिल की। लेकिन यह सफर एक साधारण सरकारी कर्मचारी के जीवन तक सीमित नहीं रहा। 1995 में रामपाल ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने करोंथा गांव में ‘सतलोक आश्रम’ की स्थापना की। यहां से रामपाल ने अपनी नई...

महाराष्ट्र में RSS का 'मास्टर प्लान': भाजपा गठबंधन की ऐतिहासिक जीत और विपक्ष की हार ?

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महाराष्ट्र में RSS का 'मास्टर प्लान': भाजपा गठबंधन की ऐतिहासिक जीत और विपक्ष की हार ? महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। गठबंधन ने 288 में से 236 सीटें जीतकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस प्रचंड जीत का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गहरी रणनीति और योजना को जाता है। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र में विपक्ष को एक मजबूत मोर्चे की उम्मीद थी। लेकिन आरएसएस और भाजपा के तालमेल ने इस धारणा को पूरी तरह पलट दिया। संघ ने प्रदेश में जमीनी स्तर पर काम कर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया, जिसके चलते यह परिणाम सामने आया। लोकसभा चुनाव से विधानसभा तक का सफर महायुति की जीत की कहानी तब शुरू हुई जब छह महीने पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा को महाराष्ट्र में निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। उस समय भाजपा और आरएसएस के बीच आपसी तालमेल में कमी दिखाई दी थी। परंतु विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ने अपने संबंध मजबूत किए और नई रणनीति तैयार की। आरएसएस के सहसरकार्यवाह अतुल लिमये...

जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी हुई। वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बरात का स्वागत किया।शहीद सतीश की बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो,

जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी हुई।  वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बरात का स्वागत किया। शहीद सतीश की बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो,  जींद जिले के उचाना में छातर गांव में शहीद सतीश कुमार की बेटी की शादी, सीआरपीएफ ने निभाई पिता की भूमिका जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को एक भावुक और प्रेरणादायक घटना घटी। शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी पूरे सम्मान और उत्साह के साथ संपन्न हुई। इस विवाह समारोह को खास बनाने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने विशेष भूमिका निभाई। शहीद की बेटी की शादी: एक मिसाल निशा, जो बचपन से ही अपने पिता की छत्रछाया से वंचित रही, का विवाह समारोह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन था। वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बारात का भव्य स्वागत किया, जिससे यह समारोह एक भावुक और गौरवपूर्ण घटना बन गया। सीआरपीएफ ने इस शादी को न केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में देखा, बल्कि इसे शहीद सतीश कुमार को श्रद्धांजलि देने का माध्यम भी बनाया। पिता की कमी पूरी करने का प्रयास शहीद सतीश...

कांग्रेस का पिछले 5 साल का रिपोर्ट कार्ड: क्या है हार की वजह, और कौन जिम्मेदार?

छले 5 साल का कांग्रेस का रिपोर्ट कार्ड 2019 लोकसभा हारे 2019 आंध्र प्रदेश,सिक्किम,ओड़िसा, अरुणाचल प्रदेश,हरियाणा हारे 2020 दिल्ली,बिहार हारे 2021 असम,केरल,पश्चिम बंगाल हारे 2022 गुजरात,पंजाब,उत्तराखंड,गोवा,मणिपुर हारे 2023 मध्य प्रदेश,राजस्थान,छत्तीसगढ़ हारे 2024 में लोकसभा,ओड़िसा,आंध्र प्रदेश,हरियाणा महाराष्ट्र हारे किस पार्टी, जिसे कभी भारतीय राजनीति की धुरी माना जाता था, पिछले पांच सालों में अपने प्रदर्शन को लेकर गंभीर आलोचना झेल रही है। इन वर्षों में पार्टी को लोकसभा चुनावों से लेकर कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा। सवाल उठता है कि इस विफलता का जिम्मेदार कौन है और पार्टी को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए क्या 2019: लोकसभा और राज्यों में हार का सिलसिला 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ी असफलता साबित हुआ। पार्टी ने मात्र 52 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने 303 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया। राज्य स्तर पर भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा: आंध्र प्रदेश : यहां पार्टी हाशिए पर चली गई। सिक्किम, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश : कांग्र...

शिंदे के नाम पर लगेगी मुहर या फडणवीस संभालेंगे महाराष्ट्र की कमान? जानें मुख्यमंत्री पद की रेस में कौन आगे

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  शिंदे के नाम पर लगेगी मुहर या फडणवीस संभालेंगे महाराष्ट्र की कमान? जानें मुख्यमंत्री पद की रेस में कौन आगे ? महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद राज्य की सियासत गर्मा गई है। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गुट की महायुति ने रिकॉर्ड तोड़ सफलता हासिल की है। कुल 288 सीटों में से एनडीए ने 235 सीटों पर कब्जा किया, जिसमें भाजपा ने अपने दम पर 132 सीटें जीतीं। इसके बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कड़ी टक्कर वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, जिन्होंने शिवसेना (शिंदे गुट) का नेतृत्व करते हुए शानदार प्रदर्शन किया और 57 सीटों पर जीत हासिल की, और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जो भाजपा के मजबूत नेता माने जाते हैं, दोनों मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री पद का फैसला केवल किसी एक दल पर निर्भर नहीं है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा है, "यह निर्णय तीनों दलों के नेताओं के बीच चर्चा के बाद लिया जाएगा। ...

मुस्लिम बहुल इलाकों में मिली हार के बाद तिलमिलाई सपा, उठाए गंभीर सवाल ?

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  मुस्लिम बहुल इलाकों में मिली हार के बाद तिलमिलाई सपा, उठाए गंभीर सवाल ? उत्तर प्रदेश में हाल ही में 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। इन नतीजों ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। बीजेपी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) को 2 और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को 1 सीट मिली। यह उपचुनाव आने वाले 2027 के विधानसभा चुनावों का "सेमीफाइनल" कहा जा रहा है, हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इस दावे को खारिज कर रहे हैं, क्योंकि प्रदेश में 400 से अधिक विधानसभा सीटें हैं, जिनके मुकाबले 9 सीटों का महत्व सीमित है। मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा की चौंकाने वाली जीत ? चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा की अप्रत्याशित जीत की हो रही है। कुंदरकी सीट, जिसे सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का गढ़ माना जाता था, वहां भाजपा के ठाकुर रामवीर सिंह ने 98,000 से अधिक वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। वहीं, सपा के हाजी रिजवान को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसी प्रकार, सीसामऊ और गाजियाबाद सदर सीटों पर भी भाजपा ने दमदार प्रदर्शन किया। विशेष रूप से कुंदरक...

किसान आंदोलन: सरकार और किसानों के बीच बढ़ता तनाव, आंदोलन में नई रणनीतियों का ऐलान ?

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  किसान आंदोलन: सरकार और किसानों के बीच बढ़ता तनाव, आंदोलन में नई रणनीतियों का ऐलान ? किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद ने 8 महीने पूरे कर लिए हैं। स्वर्ण सिंह पंधेर ने कहा कि 13 फरवरी से दोनों बॉर्डर (शंभू और खनोरी) से शुरू हुए इस देशव्यापी आंदोलन को अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं मिला है। सरकार ने 18 फरवरी के बाद से किसानों से किसी प्रकार की बातचीत नहीं की है। इस निराशाजनक स्थिति के बीच किसान नेता जगजीत सिंह ढल्लेवाल 26 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। आंदोलन की नई रणनीति किसानों ने सरकार को 10 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। यदि इस दौरान सरकार बातचीत के लिए आगे नहीं आई या किसानों की 12 सूत्रीय मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो 6 दिसंबर को किसान सांगू बॉर्डर से दिल्ली कूच करेंगे। पंधेर ने कहा कि यह कूच छोटे-छोटे जत्थों में होगा, जिनकी संख्या 51 से 100 तक हो सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आंदोलन के दौरान कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से केंद्र सरकार की होगी। सुखजीत सिंह हार्दोजांद ने स्पष्ट किया कि यदि जगजीत सिंह ढल्लेवाल अपने अनशन के दौरान शही...

योगी का फार्मूला कर गया काम, जीत गई भाजपा: 'बंटेंगे तो कटेंगे' ने दिलाई बड़ी जीत?

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  योगी का फार्मूला कर गया काम, जीत गई भाजपा: 'बंटेंगे तो कटेंगे' ने दिलाई बड़ी जीत? उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर अपनी चुनावी रणनीति और संगठनात्मक ताकत का प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और उनकी प्रसिद्ध 'डबल इंजन सरकार' के नारे ने न केवल पार्टी की जीत सुनिश्चित की, बल्कि एक बार फिर साबित कर दिया कि भाजपा की जमीनी पकड़ मजबूत है। ### बंटेंगे तो कटेंगे: राजनीति का नया मंत्र? चुनावी मैदान में इस बार योगी सरकार ने अपनी रणनीति को 'बंटेंगे तो कटेंगे' के आधार पर तैयार किया। इस नारे का संदेश सीधा और सरल था: जातीय और सांप्रदायिक विभाजन से ऊपर उठकर मतदाताओं को एकजुट करना। योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषणों में इस नारे का बार-बार उल्लेख किया और जनता को बताया कि विभाजनकारी राजनीति से दूर रहकर ही विकास संभव है। योगी की रणनीति: जीत के मुख्य कारण विकास का एजेंडा: भाजपा ने विकास कार्यों को चुनावी मुद्दा बनाया। मुख्यमंत्री ने सड़कों, बिजली, और कानून व्यवस्था में सुधार को जोर-शोर से जनता के सामने रखा। जातिगत समीकरण: योगी सरकार ने विभ...