नरेश बंसल: अहसान फरामोश या सियासी चालाकी?


 नरेश बंसल: अहसान फरामोश या सियासी चालाकी?


 सुभाष बराला की चुप्पी और बंसल की नई सियासी राह ?

टोहाना के सियासी दगंल में सुभाष बराला चुपके से देवेन्द्र सिंह बबली को पटखनी देते नजर आते हैं। मौका चुनाव का हो तो वो अपनी दांव-पेंच से मास्टरी दिखा जाते है। चुनाव नगरपरिषद के हो या फिर विधानसभा के विरोधी को अपनी ताकत दिखा देते हैं। इसी बात की चर्चा टोहाना शहर में खूब चर्चा में है। इससे आगे चर्चा टोहाना में नरेश बंसल है। नरेश बंसल को चेयरमैन का चुनाव जीतवाने में सुभाष बराला का बड़ा योगदान है। चुनाव के दौरान नरेश बंसल का असली प्रतिद्वंद्वी देवेन्द्र सिंह बबली था। उस वक्त केबिनेट मंत्री और दबंग के तौर पर उसकी छवि थी तो नरेश बंसल निर्दलीय चुनाव लड़ रहा था तो सारथी के तौर पर आए सुभाष बराला ने चुनाव जीतवा दिया। अब वही नरेश बंसल देवेन्द्र सिंह बबली के आगे पिछे और पोस्टरों में नजर आ रहा है। भाजपा के चुनाव जीत के बाद सरकार बनाने की बधाई नरेश सुभाष बराला संग नहीं बल्कि देवेन्द्र सिंह बबली के संग नजर आ रहे हैं। जिस पर शहर में लोग नरेश बंसल पर चुटकी अलग अलग तरीके से लेते नजर आ रहे हैं। कोई नरेश और सुभाष के लिए बेवफाई का गीत गुनगुना रहे हैं और कह रहे हैं। भ्रष्टाचार के मामले में नरेश बंसल के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे तो कोई नरेश बंसल को एहसान फरामोश बता रहा है था तो कोई कह रहा है की सुभाष और नरेश एक है देवेन्द्र के पास इसलिए छोड़ा हुआ है की सूचनाएं राजनीति की मिलती रहे खैर मामला कुछ भी हो टोहाना के दंगल में नरेश बंसबल का क्या होगा। इसके ऊपर निगाहें सब की है। यदि नरेश बंसल सुभाष बराला को छोड़ देवेन्द्र सिंह बबली की तरफ चले गए हैं तो लाजमी है बंसल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शहर में चर्चा है कि कुड़ा मामले के इलावा नगरपरिषद में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी मामले में बंसल की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। कुछ समय पहले मनु सिंगला ने मामला उठाते हुए फेसबुक पर लिखा था की दोस्तों नगरपरिषद टोहाना द्वारा हाल-फिलहाल लाखों-करोड़ों रूपए के दो टैंडरों में भारी-भरकम भ्रष्टाचार खुलेआम किया जा रहा है, लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नही पड़ रहा है, या सरकार की जानकारी से ही सबकुछ हो रहा है . करीबन 2 करोड़ 80 लाख रूपए में नगरपरिषद टोहाना द्वारा डोर-टू-डोर का टैंडर लगाया गया जिसमें ठेकेदार द्वारा खुद के वाहनों से कुड़ा उठाना व उसका नियमानुसार निस्तारण किया जाना था लेकिन ना तो कुड़ा उठाया जा रहा और ना ही उसका नियमानुसार निस्तारण किया जा रहा। कुछ दिन पहले एक वीडियो मेरे बड़े भाई मोंटू अरोड़ा, प्रेसिडेंट राइस ऐसोसिएषन ने सोषल मीडिया में डाला जिसमें कुड़े को आग लगाकर पर्यावरण को नुकसान पंहुचाने की घटना सामने आयी जोकि बहुत गलत व अफसोस जनक है। ये सब अधिकारियों की जानकारी में ही हो रहा है . इस बारे मैं दो बार सी.एम. विण्डो पर षिकायतें दे चुका हूँ लेकिन कोई सुनवाई नही, कोई कार्यवाही नही। इसी प्रकार दूसरे मामले में हजारों की संख्या में स्ट्रीट लाईटें नगरपरिषद ने खरीद की जिसमें 1000 से 1500 लाईटें पहले खरीदी गयी व इसके बाद 2000 से 2500 के करीब लाईटें एक ही वर्ष की अवधि में दौबारा खरीदी गयी। लेकिन इनको कहां-कहां लगाया गया इसकी कोई जानकारी नगरपरिषद के पास नही है। यानि की अधिकतर लाईटें या तो कहीं लगायी ही नही गयी या निजी घरों में इस्तेमाल के लिए लगायी गयी हैं, मेरे पास कुछ बंधुओं ने ऐसी तस्वीरें भेजी हैं जिनमें निजी घरों में सरकारी लाइटें लगी हुई है .... इस बारे आरटीआई से सूचना मांगी गयी है जिसका जवाब आने पर मामले की सच्चाई आप सबके सामने आ जाएगी। लेकिन नगरपरिषद विभाग इस आरटीआई आवेदन में मांगी गयी जानकारी ईमानदारी से बिल्कुल भी नही देगा। अगर आगे अपील की गयी तो द्वितीय अपील में कमीषनर हरियाणा तक सब सेटिंग का खेल है। एक-एक आरटीआई आवेदन कई-कई सालों तक पेंडिंग रखकर इसे इसे आवेदनकर्ता के खिलाफ हथियार की तरह आरटीआई कमीषन इस्तेमाल करता है ताकि थक हारकर आवेदक बैठ जाए और सच्चाई जनता के सामने आ ही ना सके . नगरपरिषद टोहाना से मांगी गयी कई आरटीआई कई-कई सालों से पेंडिंग है लेकिन सूचना आयोग कोई कार्यवाही नही करता। अब देखना है कि इस आरटीआई आवेदन का जवाब नगरपरिषद के ईमानदार अधिकारी ईमानदारी से देते हैं या नही .आरटीआई से मिलने वाली सारी जानकारी से जनता को अवगत करवाया जाए जिससे पता चल सके कि जनता के टैक्स से खरीदी गयी स्ट्रीट लाईटें कहां-कहां लगायी गयी व कुड़ा उठाने के कितने वाहन कहां-कहां चलाए गए ..इसके साथ हरियाणा सरकार से अपील है कि जनता के टैक्स का पैसा इस प्रकार से दोनो हाथों से लूटाने की बजाए पारदर्षिता कायम करने का प्रयास करे और देष को भ्रष्टाचार की गर्त में जाने से बचाए

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