हरियाणा का सबसे बड़ा ढोंगी बाबा: रामपाल दास की कहानी

हरियाणा का सबसे बड़ा ढोंगी बाबा: रामपाल दास की कहानी

रामपाल दास की कहानी सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीहरियाणा के चर्चि


त बाबा रामपाल: जूनियर इंजीनियर से संत, फिर सलाखों तक की कहानी

नमस्कार दोस्तों! आप देख रहे हैं Vishwaprem News, और मैं हूँ आपकी अंजना। आज हम चर्चा करेंगे हरियाणा की उस घटना की जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। यह रिपोर्ट संजीव चौहान द्वारा तैयार की गई है, और यह पूरी तरह से सरकारी फाइलों में दर्ज आंकड़ों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है।

रामपाल: एक विवादित 

नियर से तथाकथित संत और फिर सजायाफ्ता मुजरिम बनने की दास्तान है। हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में जन्मे रामपाल का प्रारंभिक जीवन एक साधारण किसान परिवार में बीता। अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए उन्होंने जूनियर इंजीनियर की सरकारी नौकरी हासिल की। लेकिन यह सफर एक साधारण सरकारी कर्मचारी के जीवन तक सीमित नहीं रहा।

1995 में रामपाल ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने करोंथा गांव में ‘सतलोक आश्रम’ की स्थापना की। यहां से रामपाल ने अपनी नई पहचान बनाने की शुरुआत की, जो बाद में बड़े विवादों का कारण बनी।

सतलोक आश्रम से विवादों की शुरुआत

रामपाल के आश्रम में ‘कष्ट निवारण’ के नाम पर विशेष पूजा आयोजित होती थी। भक्तों से 9,000 रुपये प्रति पूजा वसूले जाते थे। सत्संग और प्रवचन के माध्यम से रामपाल ने बड़ी संख्या में अनुयायी बनाए, लेकिन उनके कथित चमत्कार और क्रियाकलापों पर सवाल उठने लगे।

आर्य समाज विवाद और पहली गिरफ्तारी

2006 में, आर्य समाज के अनुयायियों के साथ विवाद के बाद रामपाल पर हत्या और हिंसा के आरोप लगे। हरियाणा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। हालांकि, उस वक्त उसे सुरक्षित बचा लिया गया, लेकिन यह घटना रामपाल के खिलाफ समाज के एक बड़े वर्ग की नाराजगी का कारण बनी।

2014 का बरवाला कांड: खूनी संघर्ष

2014 में, हरियाणा पुलिस ने रामपाल को गिरफ्तार करने के लिए बड़ी कार्रवाई की। बरवाला स्थित सतलोक आश्रम में 18 दिनों तक चला यह ऑपरेशन खूनी संघर्ष में बदल गया। पुलिस और रामपाल के समर्थकों के बीच झड़प में चार महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई।

पुलिस के मुताबिक, आश्रम से हथियार, बम, तेजाब और संदिग्ध वस्तुएं बरामद हुईं। रामपाल ने अपने अनुयायियों को पुलिस के खिलाफ भड़काया। गिरफ्तारी के समय, वह आश्रम में छिपा हुआ था और सरेंडर करने के बजाय हिंसा को बढ़ावा दे रहा था।

कोर्ट का फैसला और सजा

रामपाल को हत्या के आरोप में दोषी पाया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उसे कई अन्य मामलों में भी दोषी ठहराया गया। हालांकि, कुछ मामलों में बरी किया गया, लेकिन वह अब भी जेल में बंद है।

आश्रम का सच

पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, सतलोक आश्रम में बड़े पैमाने पर आर्थिक शोषण होता था। भक्तों से भारी रकम वसूलने के अलावा, वहां संदिग्ध गतिविधियां भी संचालित होती थीं। आश्रम को ‘आध्यात्मिक केंद्र’ के बजाय ‘अपराध का गढ़’ कहा जाने लगा।

भक्तों की राय

रामपाल के अनुयायियों का दावा है कि वह निर्दोष है और उसे गलत तरीके से फंसाया गया। उनका कहना है कि वह सच्चा संत है और समाज के कल्याण के लिए काम करता था।

बाबा रामपाल की कहानी समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि धर्म और आध्यात्मिकता के नाम पर कैसे अंधभक्ति खतरनाक साबित हो सकती है।

डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पूरी तरह से सरकारी फाइलों और दर्ज तथ्यों पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है।

आपकी क्या राय है इस पूरे मामले पर? हमें Vishwaprem News पर जरूर बताएं। जुड़े रहिए हमारे साथ, ऐसी ही विस्तृत खबरों के लिए। धन्यवाद!

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