जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी हुई। वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बरात का स्वागत किया।शहीद सतीश की बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो,

जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी हुई।

 वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बरात का स्वागत किया।

शहीद सतीश की बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो, 

जींद जिले के उचाना में छातर गांव में शहीद सतीश कुमार की बेटी की शादी, सीआरपीएफ ने निभाई पिता की भूमिका

जींद जिले के उचाना के छातर गांव में शनिवार को एक भावुक और प्रेरणादायक घटना घटी। शहीद सतीश कुमार की बेटी निशा की शादी पूरे सम्मान और उत्साह के साथ संपन्न हुई। इस विवाह समारोह को खास बनाने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने विशेष भूमिका निभाई।

शहीद की बेटी की शादी: एक मिसाल
निशा, जो बचपन से ही अपने पिता की छत्रछाया से वंचित रही, का विवाह समारोह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन था। वधू पक्ष की ओर से सीआरपीएफ की टुकड़ी ने बारात का भव्य स्वागत किया, जिससे यह समारोह एक भावुक और गौरवपूर्ण घटना बन गया। सीआरपीएफ ने इस शादी को न केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में देखा, बल्कि इसे शहीद सतीश कुमार को श्रद्धांजलि देने का माध्यम भी बनाया।

पिता की कमी पूरी करने का प्रयास
शहीद सतीश कुमार ने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी अनुपस्थिति में उनकी बेटी की शादी में पिता की कमी महसूस न हो, इसके लिए सीआरपीएफ ने शादी की सभी तैयारियों में पूरा सहयोग किया। टुकड़ी ने शादी के हर कदम पर परिवार के साथ खड़े होकर यह सुनिश्चित किया कि यह दिन निशा के लिए खास और यादगार बने।

गांव और परिवार के लिए गर्व का क्षण
यह दृश्य हर किसी के दिल को छू लेने वाला था। गांववालों ने इसे देशभक्ति और मानवीयता की अद्भुत मिसाल माना। समारोह में उपस्थित लोगों ने सीआरपीएफ के इस नेक कार्य की सराहना की और इसे एक प्रेरणा के रूप में देखा। निशा के परिवार ने सीआरपीएफ को धन्यवाद दिया और कहा कि शहीद सतीश कुमार का परिवार होने पर उन्हें गर्व है।

सीआरपीएफ के प्रयासों को सलाम
सीआरपीएफ ने शहीदों और उनके परिवारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि बल केवल सीमा पर ही नहीं, बल्कि समाज के हर हिस्से में योगदान देता है। यह शादी शहीदों के परिवारों के प्रति उनके कर्तव्य और सम्मान का प्रतीक बनी।

निष्कर्ष
छातर गांव की इस शादी ने समाज को यह संदेश दिया कि शहीदों के परिवारों की जिम्मेदारी केवल उनके अपने परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज और सरकार की है। सीआरपीएफ के इस प्रयास ने न केवल निशा के जीवन में खुशियां लाई, बल्कि शहीद सतीश कुमार के बलिदान को भी सम्मानित किया। ऐसे प्रयास न केवल शहीद परिवारों का मनोबल बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना भी प्रबल करते हैं।

सीआरपीएफ के इस नेक कार्य को कोटि-कोटि नमन।

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