"72 घंटों में अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा? क्या इन गोलियों के खतरों से वाकिफ हो आप?"
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72 घंटों में अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा? क्या इन गोलियों के खतरों से वाकिफ हो आप?" बेटियाँ अपनी ज़िंदगी खो रही हैं…टीवी पर ऐड आता है—बस एक कैप्सूल 72 घंटों के अंदर अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा। और न जाने कितनी लड़कियाँ, सोच-समझ के बिना ही, इन्हें यूँ ही निगल जाती हैं। बिना सोचे कि इन गोलियों में क्या है, या इसका असर कितना खतरनाक हो सकता है।
आजकल हमारे समाज में एक खतरनाक ट्रेंड बन चुका है—वह है अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए दवाइयों का सेवन। टीवी पर एक विज्ञापन आता है—"बस एक कैप्सूल, 72 घंटों के अंदर अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा!" यह विज्ञापन एक साधारण समाधान की तरह पेश किया जाता है, लेकिन इसके पीछे जो खतरनाक सच है, उसे समझना बहुत जरूरी है।
हर दिन हमारे समाज में कितनी ही लड़कियाँ बिना सोचे-समझे इन दवाइयों का सेवन करती हैं। जब तक उन्हें इस बात का अहसास होता है कि यह दवाई उनकी ज़िंदगी को प्रभावित कर रही है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इन गोलियों में ऐसे खतरनाक केमिकल होते हैं जो सिर्फ भ्रूण को खत्म नहीं करते, बल्कि लंबे समय तक महिला के फर्टिलिटी सिस्टम पर गंभीर असर डालते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बाद में शादी के बाद वह माँ नहीं बन पातीं। उनकी पूरी ज़िंदगी एक राज़ बनकर रह जाती है, और समाज की कड़ी नज़रों में उनका इतिहास हमेशा के लिए कैद हो जाता है।
यह स्थिति सच में दुखद है, और इस पर गहराई से सोचने की ज़रूरत है। अगर कोई लड़की प्रेग्नेंसी से डरती है, तो क्या उसे सेक्स करने की ज़रूरत थी? क्या यह सब सिर्फ एक लापरवाही का नतीजा नहीं है? एक और सवाल उठता है कि क्या हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाएं, जैसे आशा कार्यकर्ता, ANM, आंगनवाड़ी और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र, सिर्फ़ कागज़ों तक ही सीमित हैं? अगर ये संस्थाएँ सही तरीके से काम कर रही होतीं, तो क्या इतनी लड़कियाँ बिना किसी जागरूकता के इन दवाइयों का सेवन करतीं?
सरकार हर साल मातृत्व सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन फिर भी यह स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। हर साल लाखों लड़कियाँ बिना किसी गाइडेंस के ये खतरनाक दवाइयाँ ले रही हैं, और धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम इन बच्चियों को सही जानकारी दें और उन्हें इस खतरे से बचाएं?
आज की सच्चाई यह है कि 13-14 साल की बच्चियाँ अपने बैग में i-pill लेकर घूम रही हैं। माँ-बाप, भाई-बहन, या फिर परिवार के लोग इस बारे में कुछ नहीं जानते। यह स्थिति इतनी खतरनाक हो चुकी है कि इन बच्चियों को बाद में गंभीर बीमारियाँ हो रही हैं, जिनमें से एक प्रमुख बीमारी बच्चेदानी का कैंसर बन गई है। यह एक गंभीर चेतावनी है, और इसका मुख्य कारण हमारी अनदेखी ही है। अगर हम समय रहते इसे गंभीरता से नहीं लेंगे, तो यह समस्या और भी विकराल रूप ले सकती है।
यह लेख शायद कुछ महिलाओं को बुरा लगे, लेकिन यह सब केवल एक जागरूकता के लिए है। मेरी बहनों, यह सच बताना मेरा कर्तव्य है, ताकि आप अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकें और किसी भी तरह के स्वास्थ्य जोखिम से बच सकें। अगर इस लेख से आपको किसी प्रकार की चोट पहुँचती है, तो मैं क्षमा चाहती हूँ, लेकिन इसका उद्देश्य केवल एक सच्चाई को उजागर करना है, ताकि हम सब अपनी बेटियों को सही मार्गदर्शन दे सकें और उनकी ज़िंदगी को एक बेहतर दिशा दे सकें।
हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इन लड़कियों को हर कदम पर सही जानकारी दें, ताकि वे अपनी ज़िंदगी को सुरक्षित और स्वस्थ तरीके से जी सकें। जागरूकता ही इस समस्या का सबसे प्रभावी समाधान है, और हम सब को मिलकर इसके खिलाफ कदम उठाना होगा।
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