कांग्रेस का पिछले 5 साल का रिपोर्ट कार्ड: क्या है हार की वजह, और कौन जिम्मेदार?
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2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ी असफलता साबित हुआ। पार्टी ने मात्र 52 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने 303 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया।
राज्य स्तर पर भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा:
- आंध्र प्रदेश: यहां पार्टी हाशिए पर चली गई।
- सिक्किम, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश: कांग्रेस का प्रभाव लगभग खत्म हो गया।
- हरियाणा: गठबंधन के बावजूद हार।
2. 2020: दिल्ली और बिहार में हार
2020 में कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट जीतने में नाकाम रही। आम आदमी पार्टी ने लगातार दूसरी बार ऐतिहासिक जीत हासिल की।
- बिहार में भी कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन के बावजूद करिश्मा नहीं कर पाई।
3. 2021: असम, केरल और पश्चिम बंगाल में निराशा
2021 में कांग्रेस को असम और केरल जैसे अपने गढ़ों में हार झेलनी पड़ी।
- असम में बीजेपी ने फिर से सत्ता में वापसी की।
- केरल में कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन को बुरी तरह हराया गया।
- पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला।
4. 2022: गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हार
2022 का साल कांग्रेस के लिए और भी ज्यादा निराशाजनक रहा।
- गुजरात: बीजेपी ने कांग्रेस को करारी शिकस्त दी।
- पंजाब: आम आदमी पार्टी ने राज्य में कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया।
- उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर: इन तीनों राज्यों में बीजेपी का दबदबा कायम रहा।
5. 2023: हिंदी हार्टलैंड में हार
2023 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी बेल्ट के राज्यों में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी।
- मध्य प्रदेश और राजस्थान में गुटबाजी और नेतृत्व संकट हार का कारण बने।
- छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस बीजेपी को चुनौती देने में विफल रही।
6. 2024: फिर से बड़ा झटका?
2024 में लोकसभा चुनावों के साथ-साथ कांग्रेस ने ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में हार का सामना किया। पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर स्थिति और कमजोर हो गई।
हार के मुख्य कारण
- नेतृत्व की कमी: राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व को लेकर पार्टी के भीतर और बाहर सवाल उठते रहे हैं।
- आंतरिक गुटबाजी: कई राज्यों में गुटबाजी और नेतृत्व संकट ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया।
- स्थानीय रणनीति की कमी: बीजेपी और अन्य पार्टियां स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता देती हैं, जबकि कांग्रेस की रणनीति पुरानी पड़ चुकी है।
- युवाओं को जोड़ने में विफलता: पार्टी युवाओं और नए मतदाताओं से संवाद स्थापित करने में असफल रही है।
- संगठन की कमजोरी: जमीनी स्तर पर पार्टी का संगठन कमजोर हो चुका है।
जिम्मेदारी किसकी?
कांग्रेस की हार का जिम्मेदार सिर्फ एक व्यक्ति या नेता नहीं है। यह सामूहिक नेतृत्व और संगठनात्मक विफलता का नतीजा है। पार्टी को न केवल आत्ममंथन की जरूरत है, बल्कि नई ऊर्जा और रणनीति के साथ जमीन पर उतरने की भी आवश्यकता है।
आगे की राह
अगर कांग्रेस को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना है, तो उसे निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- स्थानीय नेतृत्व को सशक्त बनाना।
- युवा नेताओं को अवसर देना।
- गठबंधन रणनीति पर पुनर्विचार।
- डिजिटल मीडिया और जमीनी अभियानों पर ध्यान केंद्रित करना।
- स्थानीय मुद्दों और जनता की समस्याओं पर काम करना।
कांग्रेस के लिए चुनौती बड़ी है, लेकिन सही नेतृत्व और रणनीति से वापसी संभव है। सवाल यह है कि पार्टी इस चुनौती को स्वीकार करती है या नहीं।
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