महाराष्ट्र में RSS का 'मास्टर प्लान': भाजपा गठबंधन की ऐतिहासिक जीत और विपक्ष की हार ?

महाराष्ट्र में RSS का 'मास्टर प्लान': भाजपा गठबंधन की ऐतिहासिक जीत और विपक्ष की हार ?




महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। गठबंधन ने 288 में से 236 सीटें जीतकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इस प्रचंड जीत का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गहरी रणनीति और योजना को जाता है।

लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र में विपक्ष को एक मजबूत मोर्चे की उम्मीद थी। लेकिन आरएसएस और भाजपा के तालमेल ने इस धारणा को पूरी तरह पलट दिया। संघ ने प्रदेश में जमीनी स्तर पर काम कर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया, जिसके चलते यह परिणाम सामने आया।

लोकसभा चुनाव से विधानसभा तक का सफर
महायुति की जीत की कहानी तब शुरू हुई जब छह महीने पहले लोकसभा चुनाव में भाजपा को महाराष्ट्र में निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। उस समय भाजपा और आरएसएस के बीच आपसी तालमेल में कमी दिखाई दी थी। परंतु विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ने अपने संबंध मजबूत किए और नई रणनीति तैयार की।

आरएसएस के सहसरकार्यवाह अतुल लिमये और भाजपा के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश ने इस अभियान की कमान संभाली। अतुल लिमये ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल बनाया, जबकि शिवप्रकाश ने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने का कार्य किया।

सामाजिक समीकरण में बड़ा बदलाव
विधानसभा चुनाव में आरएसएस और भाजपा की रणनीति का मुख्य केंद्र सामाजिक समीकरणों को साधना था। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी दलों के हमले का जवाब देते हुए संघ ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ गहरा संपर्क स्थापित किया।

हजारों की संख्या में बैठकों का आयोजन कर स्थानीय नेताओं को सरकार की नीतियों और उपलब्धियों से अवगत कराया गया।
मराठा समाज को यह संदेश दिया गया कि भाजपा ने ही उनके लिए आरक्षण की पहल की थी।
अनुसूचित जनजाति की 16 में से 15 सीटों पर भाजपा की जीत इस रणनीति की सफलता का प्रमाण है।
बूथ स्तर पर मजबूत संगठन
आरएसएस और भाजपा ने बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया।

प्रत्येक बूथ समिति के कार्यकर्ताओं को विशेष समाजों की जिम्मेदारी सौंपी गई।
लाडली बहन योजना जैसी योजनाओं के फार्म भरवाने और उनके लाभार्थियों के साथ व्यक्तिगत संपर्क ने महिलाओं के बीच मजबूत जनाधार तैयार किया।
बूथ स्तर पर रिपोर्टिंग की प्रभावी व्यवस्था से हर कार्यकर्ता की भूमिका सुनिश्चित हुई।
50 वर्षों का रिकॉर्ड टूटा
संघ की यह रणनीति सिर्फ भाजपा के लिए नहीं, बल्कि पूरे महायुति गठबंधन के लिए फायदेमंद साबित हुई। 288 सीटों पर संघ का ध्यान केंद्रित रहा, जिससे सहयोगी दलों को भी बड़ी जीत मिली। 236 सीटों के साथ महायुति ने पिछले 50 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया और महाराष्ट्र में सबसे बड़ा राजनीतिक गठबंधन बनने में सफलता पाई।

विपक्ष की हार: चूक या रणनीतिक विफलता?
विपक्षी दल इस चुनाव में मराठा आरक्षण, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में लगे रहे। लेकिन संघ और भाजपा ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ बनाकर विपक्ष की रणनीतियों को विफल कर दिया।

महाराष्ट्र में भाजपा की प्रचंड जीत सिर्फ एक राजनीतिक सफलता नहीं है, बल्कि आरएसएस की दूरदर्शिता और संगठन क्षमता का परिणाम है। यह जीत दिखाती है कि जब पार्टी और संघ मिलकर काम करते हैं, तो असंभव भी संभव हो सकता है। महायुति की इस जीत ने न केवल विपक्ष को चित किया है, बल्कि यह आने वाले चुनावों के लिए भाजपा की ताकत को भी बढ़ावा देगी।

यह जीत आरएसएस की रणनीतिक सफलता और भाजपा के संगठनात्मक कौशल का प्रतीक है।

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