हरियाणा की राजनीति में नेतृत्व और ईमानदारी की मिसाल: फूलचंद मुलाना और मनोहर लाल खट्टर का दृष्टिकोण ?

 हरियाणा की राजनीति में नेतृत्व और ईमानदारी की मिसाल: फूलचंद मुलाना और मनोहर लाल खट्टर का दृष्टिकोण ?


हरियाणा की राजनीति में फूलचंद मुलाना एक ऐसा नाम है, जिसने अपने कार्यकाल में अनेक उपलब्धियां हासिल कीं और कांग्रेस पार्टी में अहम भूमिका निभाई। मुलाना न केवल हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, बल्कि उनका परिवार भी राजनीति में काफी सक्रिय है। उनके बेटे ने अंबाला से सांसद के रूप में कार्य किया, जबकि उनकी बहू को विधायक बनने का अवसर मिला। हालांकि, उनके कार्यकाल में कई सवाल उठे, खासकर प्रशासनिक स्तर पर नियुक्तियों को लेकर।

फूलचंद मुलाना का नेतृत्व और सवाल

मुलाना के नेतृत्व के समय, खासकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान, अंबाला क्षेत्र से थानेदार स्तर पर कोई बड़ी नियुक्ति नहीं हुई। यह एक ऐसा विषय है जो क्षेत्र के नागरिकों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। सवाल यह है कि जब उनका परिवार राजनीति में इतनी ऊंचाई पर था, तो क्या क्षेत्र के युवाओं के लिए अधिक अवसर उपलब्ध नहीं कराए जा सकते थे?

मुलाना का चुप रहना और इन मुद्दों पर सक्रियता न दिखाना उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े करता है। यह बात साफ है कि राजनीति में केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए काम करना जनता के विश्वास को कमजोर कर सकता है।

मनोहर लाल खट्टर: पारदर्शिता और निष्पक्षता का उदाहरण

इसके विपरीत, हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने प्रशासन के दौरान एक अलग दृष्टिकोण दिखाया। खट्टर सरकार ने अंबाला लोकसभा क्षेत्र में 24 थानेदार नियुक्त किए, और वह भी पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ। खास बात यह रही कि इनमें से एक नियुक्ति एक मज़दूर की बेटी की भी थी। यह दिखाता है कि खट्टर सरकार केवल योग्यता और मेहनत को प्राथमिकता देती है, न कि पारिवारिक या राजनीतिक लाभ को।

खट्टर के इस कदम ने यह साबित कर दिया कि उनके लिए जनता और क्षेत्र के विकास का महत्व सर्वोपरि है। यह राजनीति में एक आदर्श उदाहरण है, जहां सत्ता का उपयोग व्यक्तिगत हितों के बजाय जनता के हितों के लिए किया गया।

राजनीति में नेतृत्व की परिभाषा

फूलचंद मुलाना और मनोहर लाल खट्टर के दृष्टिकोण की तुलना से यह समझा जा सकता है कि राजनीति में नेतृत्व केवल पद और शक्ति तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह जनता की सेवा और उनके विश्वास को बनाए रखने पर निर्भर करता है।

जहां एक तरफ मुलाना के समय क्षेत्रीय युवाओं को अवसर नहीं मिले, वहीं खट्टर सरकार ने अपनी नीतियों और फैसलों से जनता का दिल जीत लिया। यह दर्शाता है कि राजनीति में ईमानदारी और पारदर्शिता का महत्व कितना बड़ा है।

अंत में: जनता के लिए सबक

हरियाणा की राजनीति के इन दो उदाहरणों से जनता को यह समझना चाहिए कि वे अपने नेताओं को केवल उनके वादों पर नहीं, बल्कि उनके काम और नीतियों पर परखें। राजनीतिक नेतृत्व का मुख्य उद्देश्य जनता की भलाई और क्षेत्र का विकास होना चाहिए।

आने वाले समय में ऐसे ही नेताओं का चुनाव करें, जो केवल वादे न करें, बल्कि उन्हें निभाने की ईमानदार कोशिश भी करें। यही एक सशक्त लोकतंत्र की नींव है।

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