योगी का फार्मूला कर गया काम, जीत गई भाजपा: 'बंटेंगे तो कटेंगे' ने दिलाई बड़ी जीत?

 


योगी का फार्मूला कर गया काम, जीत गई भाजपा: 'बंटेंगे तो कटेंगे' ने दिलाई बड़ी जीत?

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर अपनी चुनावी रणनीति और संगठनात्मक ताकत का प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और उनकी प्रसिद्ध 'डबल इंजन सरकार' के नारे ने न केवल पार्टी की जीत सुनिश्चित की, बल्कि एक बार फिर साबित कर दिया कि भाजपा की जमीनी पकड़ मजबूत है।

### बंटेंगे तो कटेंगे: राजनीति का नया मंत्र?
चुनावी मैदान में इस बार योगी सरकार ने अपनी रणनीति को 'बंटेंगे तो कटेंगे' के आधार पर तैयार किया। इस नारे का संदेश सीधा और सरल था: जातीय और सांप्रदायिक विभाजन से ऊपर उठकर मतदाताओं को एकजुट करना। योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषणों में इस नारे का बार-बार उल्लेख किया और जनता को बताया कि विभाजनकारी राजनीति से दूर रहकर ही विकास संभव है।

योगी की रणनीति: जीत के मुख्य कारण

  1. विकास का एजेंडा:
    भाजपा ने विकास कार्यों को चुनावी मुद्दा बनाया। मुख्यमंत्री ने सड़कों, बिजली, और कानून व्यवस्था में सुधार को जोर-शोर से जनता के सामने रखा।

  2. जातिगत समीकरण:
    योगी सरकार ने विभिन्न जातीय समूहों के लिए अलग-अलग योजनाएं चलाईं, जिससे सभी वर्गों का समर्थन मिला। 'सबका साथ, सबका विकास' का संदेश इस बार जमीनी स्तर पर असरदार साबित हुआ।

  3. मजबूत संगठन:
    भाजपा का बूथ स्तर का संगठन और कार्यकर्ताओं की सक्रियता विपक्षी दलों पर भारी पड़ी। हर मतदाता तक पहुंचने की रणनीति ने भाजपा को मजबूत बढ़त दिलाई।

  4. योगी की छवि:
    योगी आदित्यनाथ ने खुद को एक कर्मठ और मजबूत नेता के रूप में प्रस्तुत किया। उनकी साफ-सुथरी छवि और सख्त प्रशासनिक रवैये ने जनता के बीच भरोसा पैदा किया।

विपक्ष की कमजोरी बनी भाजपा की ताकत

जहां भाजपा ने संगठित तरीके से प्रचार किया, वहीं विपक्षी दलों के बीच गहरे मतभेद दिखाई दिए। सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच कोई ठोस गठबंधन नहीं बना, जिससे भाजपा को फ्री हैंड मिला।

आखिर में सवाल:

क्या योगी का फार्मूला 2027 के चुनावों में भी भाजपा को ऐसी ही जीत दिला पाएगा? क्या 'बंटेंगे तो कटेंगे' जैसे नारे अन्य राज्यों में भी उतने ही असरदार साबित होंगे? उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे इन सवालों के जवाब ढूंढने का संकेत दे रहे हैं।

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