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Showing posts from December, 2024
 जब वी.पी. सिंह ने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली, तो उन्होंने देश के सबसे बड़े भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा कदम उठाया। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले संगठनों, जैसे कि डी.आर.आई. (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) और आयकर विभाग ने उद्योगपतियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी, जिससे कई काले कारनामे उजागर होने लगे। वी.पी. सिंह ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध छेड़ा, बल्कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जिन उद्योगपतियों के काले धन से देश का नुकसान हो रहा था, उन्हें बेनकाब किया जाए। लेखक संतोष भारतीय की किताब में एक दिलचस्प घटना का उल्लेख किया गया है। जब वी.पी. सिंह के निर्देश पर डी.आर.आई. ने धीरूभाई अंबानी के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया, तो अचानक एक दुर्लभ घटना घटी। धीरूभाई अंबानी को पैरालिसिस का अटैक आ गया, जैसे ही उन्हें इस कार्रवाई की भनक लगी। यह घटना संयोग मात्र नहीं थी, बल्कि उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों की एक तस्वीर थी, जिसमें वी.पी. सिंह की हर कदम से उद्योग जगत और कुछ बड़े उद्योगपतियों में खलबली मच गई थी। मई 1985 में, वी.पी. सिंह ने अचानक प्‍यूरिफाइड टेरेपथैलिक एसिड क...

"दौलत के मामले में कौन है नंबर 1 मुख्यमंत्री? ADR रिपोर्ट में खुलासा!"

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 देश के मुख्यमंत्रियों की संपत्तियों को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 31 मुख्यमंत्रियों की कुल संपत्ति 1630 करोड़ रुपये है। इन मुख्यमंत्रियों में से कुछ के पास बड़ी संपत्ति है, जबकि कुछ के पास बेहद सीमित संसाधन हैं। सबसे अमीर मुख्यमंत्री: चंद्रबाबू नायडू (आंध्र प्रदेश) - 931 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं। पेमा खांडू (अरुणाचल प्रदेश) - 332 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। सिद्धारमैया (कर्नाटक) - 51 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं। मध्यम संपत्ति वाले मुख्यमंत्री: हेमंत सोरेन (झारखंड) - 25.33 करोड़ रुपये की संपत्ति। देवेंद्र फडणवीस (महाराष्ट्र) - 13.27 करोड़ रुपये की संपत्ति। सुखविंदर सिंह सुक्खू (हिमाचल प्रदेश) - 7.81 करोड़ रुपये की संपत्ति। पुष्कर सिंह धामी (उत्तराखंड) - 4.64 करोड़ रुपये की संपत्ति। भगवंत मान (पंजाब) - 1.97 करोड़ रुपये की संपत्ति। गरीब मुख्यमंत्री: ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल) - सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं, उनकी कुल संपत्ति 15 लाख रुपये से भी कम है। उमर अब्...

चौधरी देवीलाल क्या महिला विरोधी थे ?

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चौधरी देवीलाल क्या महिला विरोधी थे की उन्होंने सीएम पद पर रहते हुए एक महिला को मंत्री पद से हटाने की बात पर अड़ गए थे और जब यह बात उस वक्त के प्रधानमंत्री तक गई तो उन्होंने देवीलाल को चेतावनी दी की अगर मंत्री पद पर वापिस नहीं लिया तो सीएम नहीं रहोगे उसके बाद वो देवीलाल ने चरण सिंह से मुलाकात की और बाद में चरण सिंह ने भी देवीलाल को भी फटकार लगाई थी। उसी ताऊ देवीलाल को मसीहा के रूप में याद करते हैं और उनका लोकलाज से लोकराज कहा जाता है। इस किस्से के बाद ताऊ देवीलाल के बारे में क्या राय है कमेंट करके जरूर बताएं । यह सियासी किस्सा चंद्रशेखर ने अपनी पुस्तक में लिखा है हमने वहीं से रिपोर्ट तैयार की है।  INTRO  चौधरी देवीलाल का नाम भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम है जो सादगी, लोक सेवा, और जनहित में लिए गए साहसिक निर्णयों के लिए जाना जाता है। लेकिन उनके राजनीतिक जीवन में कुछ विवाद भी ऐसे हैं जो आज भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन्हीं में से एक किस्सा है जब उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए एक महिला मंत्री को हटाने की बात पर जोर दिया था। आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सदस्य बन...

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा की बड़ी तैयारी

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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: भाजपा की बड़ी तैयारी नमस्कार दोस्तों! दिल्ली की राजनीति में हलचल तेज़ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। इस बार भाजपा का मुख्य फोकस है आम आदमी पार्टी (आप) के विजय रथ को रोकना और दिल्ली की सत्ता में वापसी करना। क्या भाजपा इस बार इतिहास बदल पाएगी? आइए जानते हैं पूरी कहानी। intro भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए अपनी तैयारियों को तेज़ कर दिया है, जिसमें मुख्य ध्यान आम आदमी पार्टी (आप) के विजय रथ को रोकने पर केंद्रित है। दिल्ली भाजपा नेतृत्व लगातार बैठकों में जुटा हुआ है, और उनकी योजना राष्ट्रीय राजधानी की सभी 70 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने की है। हालांकि, आप ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन भाजपा जल्दबाजी के मूड में नहीं है और प्रत्येक सीट के लिए विशेष रणनीति तैयार कर रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अगुवाई वाली कोर कमेटी शुक्रवार या शनिवार को बैठक करेगी, जिसमें उम्मीदवारों की सूची को और छोटा किया ...

जंगपुरा विधानसभा चुनाव: फरहाद सूरी, मनीष सिसोदिया और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर!"

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  "नमस्कार, स्वागत है आपके अपने चैनल vishwaprem news पर। आज हम आपको ले चलते हैं दिल्ली के जंगपुरा विधानसभा सीट के चुनावी मैदान में, जहां राजनीति हर दिन नया मोड़ ले रही है। क्या कांग्रेस के फरहाद सूरी बदल पाएंगे समीकरण? क्या मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी की पकड़ को बरकरार रख पाएंगे? और बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक क्या होगा? चलिए जानते हैं इस रोमांचक मुकाबले की हर पहलू।" intro जंगपुरा विधानसभा सीट पर चुनावी माहौल हर दिन अधिक रोचक होता जा रहा है। इस क्षेत्र में राजनीतिक दलों की सक्रियता ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता और पूर्व मेयर फरहाद सूरी को मैदान में उतारकर सियासी समीकरणों को बदल दिया है। फरहाद सूरी के नामांकन ने मुस्लिम समुदाय के बीच कांग्रेस की उपस्थिति को मजबूती दी है। उनके आने से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मनीष सिसोदिया और बीजेपी के संभावित उम्मीदवारों के लिए चुनौती और अधिक बढ़ गई है। जंगपुरा में मुस्लिम वोटर्स की भूमिका हमेशा से निर्णायक रही है, और इस बार इनका बंटवारा चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। फरहाद सूरी के अनुभव और कद को ...

देश ने खोया एक महान नेता: डॉ. मनमोहन सिंह का निधन

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  देश ने खोया एक महान नेता: डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारत के राजनीतिक इतिहास में आर्थिक सुधारों के जनक और मृदुभाषी नेता के रूप में पहचाने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। गरीबी और संघर्ष की पृष्ठभूमि से उठकर बिना किसी सघन राजनीतिक आधार के भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश का नेतृत्व करना उनके असाधारण व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है। उनका जीवन और कार्य राजनीति में नैतिकता, धैर्य और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है। एक साधारण पृष्ठभूमि से प्रधानमंत्री तक का सफर डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिनकी कोई सघन राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। पंजाब के एक छोटे से गांव में जन्मे, उन्होंने शैक्षणिक उत्कृष्टता और कठोर परिश्रम के बल पर खुद को स्थापित किया। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट हासिल करने के बाद उन्होंने भारत के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई। 1991 में भारत के आर्थिक संकट के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने उन्हें वित्तमंत्री का दायित्व सौंपा। यह वह समय था जब भारत का अधिकांश सोना विदेशी बै...

मुख्यमंत्री बनने के बाद भी झोपड़ी में रहा था मुख्यमंत्री?

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"एक गरीब नाई परिवार में जन्मे कर्पूरी ठाकुर, जिन्होंने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन जिनकी ईमानदारी और सादगी की मिसाल आज भी राजनीति में दी जाती है। उनके लिए मुख्यमंत्री का पद जनसेवा का माध्यम था, न कि विलासिता का साधन।" दो बार बिहार का मुख्यमंत्री रहने के बावजूद गरीब नाई परिवार में जनमे कर्पूरी ठाकुर का न मन बदला और न जीवन। वे फटा कुर्ता धोती पहनकर रिक्शे से मुख्यमंत्री कार्यालय से अपने घर आते-जाते दिख जाते थे। ले मेरा बेटा मुख्यमंत्री बन गया हो लेकिन मेरे लिए वह अब भी बेरोजगार है। वह मुझे पैसे नहीं भेजता। कर्पूरी ठाकुर की फकीरी के कई किस्से हैं जो आज भी राजनीति में एक मिसाल हैं। कर्पूरी ठाकुर का जन्म आज से 100 साल पहले भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया में नाई जाति के परिवार में हुआ था। अब कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली होने के कारण इस गांव को कर्पूरीग्राम कहा जाता है। कर्पूरी ठाकुर समाजवाद के सच्चे सिपाही थे। केवल सत्रह साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए। देश की आजादी वे लोकनायक जेपी और समाजव...

कांग्रेस की दो शेरनी: अल्का लांबा और रागिनी नायक ?

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"दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस को मिली नई उम्मीद: अल्का लांबा और रागिनी नायक की जोड़ी ने मचाई हलचल!" नमस्कार, आपका स्वागत है हमारे vishwaprem news चैनल पर! आज हम बात करेंगे दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस के उभरते हुए नए चेहरे और उनकी रणनीति पर। कांग्रेस को नई उम्मीद की किरण नजर आ रही है, और इसकी वजह हैं दो तेज-तर्रार महिला नेता – अल्का लांबा और रागिनी नायक।" intro दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस के लिए एक नई उम्मीद की किरण नजर आ रही है। दो तेज-तर्रार महिला नेता, अल्का लांबा और रागिनी नायक, कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के मिशन पर हैं। यह जोड़ी, जिसे अब 'कांग्रेस की दो शेरनी' कहा जा रहा है, आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में है। दिल्ली की राजनीति में महिलाओं का प्रभाव बढ़ रहा है, और कांग्रेस इसे अपनी ताकत के रूप में देख सकती है। अल्का और रागिनी का नेतृत्व यह साबित करता है कि पार्टी महिलाओं को राजनीति में स्थान देने के लिए गंभीर है। अल्का लांबा, जो पहले आम आदमी पार्टी से जुड़ी थीं, ने अपनी करिश्माई व्यक्तित्व और जनता स...

मेदांता में अभय चौटाला और अजय चौटाला अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला के पार्थिव शरीर को लेने पहुंचे

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 मेदांता में अभय चौटाला और अजय चौटाला अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला के पार्थिव शरीर को लेने पहुंचे गुड़गांव: हरियाणा के प्रमुख राजनीतिक परिवार से जुड़े चौटाला परिवार में शोक का माहौल छाया हुआ है। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के संस्थापक और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का आज सुबह निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे और लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। ओमप्रकाश चौटाला का निधन मेदांता अस्पताल, गुड़गांव में हुआ, जहां वे पिछले कुछ दिनों से भर्ती थे। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। देश के कई दिग्गज नेताओं और उनके समर्थकों ने उनके प्रति संवेदना प्रकट की। चौटाला परिवार के सदस्य, अभय चौटाला और अजय चौटाला, अपने पिता के पार्थिव शरीर को लेने के लिए मेदांता अस्पताल पहुंचे। इस दौरान अस्पताल के बाहर भारी भीड़ देखी गई, जिसमें उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता शामिल थे। ओमप्रकाश चौटाला की गिनती हरियाणा की राजनीति के प्रमुख स्तंभों में होती थी। वे अपने कुशल नेतृत्व और जमीनी जुड़ाव के लिए जाने जाते थे। उनकी मृत्यु से हरियाणा की राजनीति में एक युग का...

आपकी डिजिटल एजेंसी के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हो सकते हैं:

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 आपकी डिजिटल एजेंसी के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हो सकते हैं: एजेंसी का नाम सुझाव: Vishwaprem Digital Solutions Vishwaprem TechHub Vishwaprem Digital Agency Vishwaprem Creative Studio Vishwaprem Solutions एजेंसी का उद्देश्य और सेवाएं: उद्देश्य : डिजिटल मार्केटिंग, वेब डिज़ाइन और कंटेंट स्ट्रैटेजी के माध्यम से छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों को बढ़ावा देना। प्रदान की जाने वाली सेवाएं : वेब डिज़ाइन और विकास डिजिटल मार्केटिंग (SEO, SEM, PPC) सोशल मीडिया प्रबंधन और विज्ञापन ईमेल मार्केटिंग कंटेंट स्ट्रैटेजी और कंटेंट क्रिएशन ब्रांडिंग और डिजाइन सर्विसेज मोबाइल एप्लिकेशन डेवलपमेंट क्लाइंट की पहचान: लक्षित ग्राहक वर्ग : छोटे और मंझोले व्यवसाय स्टार्टअप्स ई-कॉमर्स कंपनियां अस्पताल, स्कूल, जिम, और खाद्य स्थानों जैसे क्षेत्रों में विशेष रुचि लक्ष्य ग्राहक का उद्देश्य : उनके व्यवसाय को डिजिटल रूप से बढ़ावा देना, बिक्री बढ़ाने और ऑनलाइन उपस्थिति को सुधारने में मदद करना। क्लाइंट लाने के तरीके: नेटवर्किंग : व्यापार मेलों, सम्मेलन, और उद्योग के इवेंट्स में सक्रिय भाग लें। सोशल मीडिया ग्रुप्स में श...

डिजिटल एजेंसी कैसे चलाएं और क्लाइंट को कैसे लाएं:

  डिजिटल एजेंसी कैसे चलाएं और क्लाइंट को कैसे लाएं: नीति और विजन बनाएं: सबसे पहले, एक स्पष्ट उद्देश्य और विजन तय करें। एजेंसी का क्या उद्देश्य होगा? आप किस प्रकार की सेवाएं देंगे (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, सोशल मीडिया मार्केटिंग, वेब डिज़ाइन, कंटेंट क्रिएशन, आदि)? इस पर ध्यान दें। उपलब्ध सेवाओं की सूची बनाएं: आप क्या-क्या सेवाएं प्रदान करेंगे, इस बारे में स्पष्टता होनी चाहिए। इसमें वेब डिज़ाइन, डिजिटल मार्केटिंग, सोशल मीडिया मैनेजमेंट, ईमेल मार्केटिंग, कंटेंट स्ट्रैटेजी, और अन्य सेवाएं शामिल हो सकती हैं। क्लाइंट की पहचान करें: अपनी सेवाओं के लक्षित ग्राहक को जानें। आपका टारगेट मार्केट कौन है? (मसलन, छोटे और मंझोले व्यवसाय, ई-कॉमर्स कंपनियां, स्टार्टअप्स, आदि)। इस बात को समझें कि उनका लक्ष्य क्या है और उन्हें आपकी किस सेवा से फायदा हो सकता है। क्लाइंट लाने के तरीके: नेटवर्किंग: अपने संपर्कों का विस्तार करें। व्यापार मेलों, नेटवर्किंग इवेंट्स, सोशल मीडिया ग्रुप्स और अन्य उद्योग सम्मेलनों में भाग लें। डिजिटल मार्केटिंग: अपनी डिजिटल एजेंसी का खुद का ऑनलाइन मार्केटिंग करें। वेबसाइट औ...

दिल्ली चुनावों में "खेला" संभव: AIMIM की एंट्री से AAP और कांग्रेस की राह मुश्किल ?

दिल्ली चुनावों में "खेला" संभव: AIMIM की एंट्री से AAP और कांग्रेस की राह मुश्किल ? दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब सियासी समीकरण बदलने की संभावना है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में AIMIM की सक्रियता ने AAP, कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबले को और जटिल बना दिया है। AIMIM का मुख्य फोकस मुस्लिम बहुल सीटों पर है, जिससे AAP और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। यदि मुस्लिम वोट बंटते हैं, तो भाजपा को फायदा मिलने की पूरी संभावना है। ऐसे में दिल्ली का चुनावी रण इस बार बेहद दिलचस्प होने जा रहा है, क्योंकि AIMIM की एंट्री से "खेला" होने के पूरे आसार हैं तो आपको क्या लगता है की खेला होगा या नहीं कमेंट करके जरूर बतायें और विश्वप्रेम न्यूज को फोलो शेयर और सब्सक्राइब करें  इंट्रो.... दिल्ली विधानसभा चुनाव के नज़दीक आते ही राजनीतिक हलचलें तेज़ हो गई हैं। इस बार सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती के रूप में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM उभरकर आ रही है। AIMIM की रणनीति न सिर्फ AAP की जीत की राह कठिन कर सकती है, बल्कि कांग्रेस के अदद खात...

बेटे की चाहत में लोग दो शादियां करने को अच्छा मानते हैं। यहां यह मान्यता है कि दूसरी शादी से घर में लड़का होना लगभग तय है।

 भारत में विविधताओं का देश होने की बात केवल भाषाई और सांस्कृतिक नहीं बल्कि सामाजिक प्रथाओं में भी स्पष्ट होती है। ऐसा ही एक उदाहरण राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक छोटे से गांव, ‘रामदेयो की बस्ती’ का है। यहां की परंपराओं और मान्यताओं ने न केवल लोगों की जीवनशैली को प्रभावित किया है, बल्कि उनकी सामाजिक संरचना को भी आकार दिया है। इस गांव में 'कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी' की कहावत का अर्थ बिल्कुल जीवंत होता है। यहां की एक अनोखी परंपरा है कि हर पुरुष को दो शादियां करनी होती हैं। यह परंपरा आज भी जीवित है और इसे लोग खुशी-खुशी मानते हैं। इस प्रथा के पीछे एक अंधविश्वास नहीं, बल्कि बच्चों की चाहत और विशेषकर लड़कों की चाहत को पूरा करने की सोच है। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर पुरुष एक ही शादी करता है, तो उसके घर कोई संतान नहीं होगी या केवल बेटियां ही होंगी। इसलिए, बेटे की चाहत में लोग दो शादियां करने को अच्छा मानते हैं। यहां यह मान्यता है कि दूसरी शादी से घर में लड़का होना लगभग तय है। यह अनूठी परंपरा सुनने में अजीब जरूर लगती है, लेकिन इसे मानने वाले गांव के लोग इसे अपनी सामाजिक...

समुदाय में, घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को इस कुप्रथा में झौंक दिया जाता है

 यह कहानी एक अजीब और दुखद परंपरा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मध्यप्रदेश के मंदसौर और नीमच ज़िलों में कुछ विशेष समुदायों में प्रचलित है। यहां, एक कुप्रथा के तहत परिवार की पहली बेटी को "देह व्यापार" के लिए मजबूर किया जाता है। इस अजीब प्रथा का निहितार्थ उस समाज की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थितियों में है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। कई दशकों से, मंदसौर और नीमच जैसे इलाकों में इस तरह की परंपरा ने इन समुदायों को एक पहचान दिलाई है, लेकिन यह पहचान एक क्रूर और अमानवीयता की निशानी भी है। अंग्रेजों द्वारा यहां बसाए गए इन समुदायों के लोग खुद को राजपूत बताते हैं, लेकिन उनकी उत्पत्ति की सही जानकारी अस्पष्ट है। उनकी यह परंपरा राजा की वफ़ादारी से शुरू हुई, जब उन्हें दुश्मनों की जानकारी प्राप्त करने के लिए अपनी महिलाओं को गुप्तचर के रूप में भेजा जाता था। अंग्रेजों के आने के बाद, इस परंपरा ने देह व्यापार का रूप ले लिया और इसे एक पेशे के तौर पर अपनाया गया। समुदाय में, घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को इस कुप्रथा में झौंक दिया जाता है। यह परंपरा एक तरह से उस परिवार के लिए एक "रोज़...
दिल्ली विधानसभा चुनावों में जाट वोट बैंक का निर्णायक प्रभाव ? नमस्कार दोस्तों, आपका हमारे vishwaprem news चैनल में स्वागत है। आज हम चर्चा करेंगे दिल्ली विधानसभा चुनावों के सबसे गर्म मुद्दों में से एक—जाट वोट बैंक और इसकी राजनीतिक महत्वता। दिल्ली की राजनीति में जाट वोटरों का एक निर्णायक रोल है, खासकर दिल्ली देहात में। यहां के कुल 364 गांवों में से 225 गांव जाट बहुल हैं। इन गांवों का हर चुनाव में निर्णायक महत्व होता है। अब जाट वोट बैंक बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच बंटा हुआ है, लेकिन यहां बीजेपी का झुकाव ज्यादा नजर आता है। इसका मुख्य कारण बीजेपी के प्रति जाट वोटरों का विश्वास है, जो उन्हें केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं और विकास के दृष्टिकोण से उपयुक्त मानते हैं। बीजेपी की कृषि और ग्रामीण विकास योजनाओं ने दिल्ली के जाट समुदाय को प्रभावित किया है, जैसे कि पानी की पाइपलाइन विस्तार, खेतों में सिंचाई की सुविधाएं, और किसानों के लिए विशेष प्रावधान। इन नीतियों ने जाट समुदाय को बीजेपी की तरफ झुकने के लिए प्रेरित किया है।"आइए समझते हैं कि क्यों दिल्ली में जाट वोट बैंक इस बार खास ह...

प्रेग्नेंट होने के लिए लद्दाख के इस गांव में आती हैं विदेशी महिलाएं, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

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प्रेग्नेंट होने के लिए लद्दाख के इस गांव में आती हैं विदेशी महिलाएं, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप लद्दाख के एक छोटे से गांव 'थांगसे' में हर साल दर्जनों विदेशी महिलाएं आती हैं, और उनके आने का मकसद किसी साधारण पर्यटन से बिल्कुल अलग होता है। ये महिलाएं यहां घूमने या एडवेंचर के लिए नहीं, बल्कि प्रेग्नेंट होने के लिए आती हैं। इस रहस्यमय गांव की कहानियां सुनकर आपकी जिज्ञासा जरूर बढ़ जाएगी। थांगसे गांव को 'फर्टिलिटी विलेज' के नाम से भी जाना जाता है। यहां की जलवायु, प्राकृतिक वातावरण, और स्थानीय समुदाय की परंपराएं इसे विशेष बनाती हैं। गांव के लोग मानते हैं कि यहां के पानी और मिट्टी में ऐसी अद्भुत शक्ति है जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता (fertility) को बढ़ाती है। यही वजह है कि निसंतान दंपत्ति यहां आने का निर्णय लेते हैं। गांव में आने वाली एक विदेशी महिला ने बताया, "मैंने इस जगह के बारे में सोशल मीडिया पर पढ़ा और यहां आने का निर्णय लिया। मुझे यकीन नहीं था, लेकिन यहां कुछ ऐसा है जो महसूस किया जा सकता है। मैंने कुछ हफ्ते यहां बिताए और मेरे जीवन में एक चमत्कार हुआ।" लद्दाख ...

एक साल के लिए 500 रुपए में किराये पर मिलती है दूसरों की बीवी ?

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यह कहानी सामाजिक बुराइयों और परंपराओं के नाम पर होने वाले शोषण पर आधारित है, जो न केवल दिल को झकझोर देती है बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि हम समाज के किस स्तर पर हैं। कहानी शुरू होती है शिवपुरी गाँव से, जहाँ हर साल एक अनोखी मंडी लगती है। यह मंडी कोई आम बाजार नहीं है, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ महिलाओं की बोली लगाई जाती है। पुरुष यहाँ आते हैं, एक स्टाम्प पेपर पर दस्तखत करते हैं, और तय समय के लिए एक महिला को अपनी "पत्नी" बनाते हैं। इस मंडी की ख़ासियत यह है कि यहाँ महिलाओं की कीमत उनके उम्र, सुंदरता और जरूरतों के हिसाब से तय होती है। कोई महिला 500 रुपए में "किराये" पर जाती है, तो कोई 50,000 में। गाँव के लोग इसे सामान्य परंपरा मानते हैं, और इस प्रथा को "धड़ीचा" कहते हैं। गाँव की बहन, "सुमन" की कहानी सुमन 19 साल की एक सीधी-सादी लड़की थी। बचपन से ही उसने अपने आस-पास यह मंडी लगते देखी थी, लेकिन वह खुद को इससे अलग मानती थी। उसकी माँ उसे समझाती, "बेटी, हमारे गाँव में लड़कियों के लिए यही जीवन है। शादी के बाद भी हमें किराये पर जाना पड़ता है। यह ...

भारत का ऐसा अजीबो-गरीब गांव, जहां महिलाएं नहीं पहनती कपड़े, ये हैं कारण ?

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  हिमाचल के पीणी गांव की अनोखी परंपरा: महिलाओं के बिना कपड़ों के रहने की प्रथा हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत मणिकर्ण घाटी के पीणी गांव में हर साल सावन के महीने में एक बेहद अनोखी और रहस्यमयी परंपरा निभाई जाती है। यहां शादीशुदा महिलाएं पांच दिनों तक कपड़े नहीं पहनती हैं। इस प्रथा को लेकर गांववालों के बीच अटूट विश्वास और सख्त नियम हैं, जो सदियों से चले आ रहे हैं। यह परंपरा 17 अगस्त से 21 अगस्त तक निभाई जाती है और इसे निभाने में कोई लापरवाही नहीं की जाती। प्रथा के नियम और अनुशासन इन पांच दिनों के दौरान शादीशुदा महिलाएं पूरी तरह से घर के भीतर रहती हैं। वे बाहर नहीं निकलतीं और न ही किसी बाहरी व्यक्ति को गांव में आने की अनुमति होती है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि इस अवधि में कोई बाहरी हस्तक्षेप न हो। पति-पत्नी के बीच दूरी प्रथा का एक और महत्वपूर्ण नियम यह है कि इन दिनों पति-पत्नी आपस में बात नहीं करते हैं। न ही वे एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते हैं। पति-पत्नी एक-दूसरे से पूरी तरह दूरी बनाए रखते हैं। इतना ही नहीं, पुरुषों के लिए शराब पीना और मांस खाना भी इन पांच दिनों में वर्जित होता है। क्या मह...

एलन मस्क ने ग्रीन कार्ड विवाद पर दी प्रतिक्रिया: भारतीय मूल के सीईओ की दुविधा ने ऑनलाइन हलचल मचाई

  एलन मस्क ने ग्रीन कार्ड विवाद पर दी प्रतिक्रिया: भारतीय मूल के सीईओ की दुविधा ने ऑनलाइन हलचल मचाई सोशल मीडिया की दुनिया में, एक प्रभावशाली व्यक्ति के एक शब्द से ही डिजिटल परिदृश्य बदल सकता है। ऐसा ही हाल ही में हुआ जब टेक्नोलॉजी की दुनिया के दिग्गज एलन मस्क ने भारतीय मूल के सीईओ अरविंद श्रीनिवास के ग्रीन कार्ड से संबंधित एक पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी। ग्रीन कार्ड का महत्व और दुविधा ग्रीन कार्ड, जिसे आधिकारिक रूप से परमानेंट रेजिडेंट कार्ड कहा जाता है, अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने का अधिकार देता है। इसे "अमेरिकन ड्रीम" की ओर पहला कदम माना जाता है। लेकिन, ऐसे कई प्रतिभाशाली पेशेवरों के लिए, जो भारतीय मूल के हैं, यह रास्ता कठिन होता है। लंबा इंतजार, नौकरशाही की अड़चनें, और असमंजस इसमें बड़ी बाधाएं हैं। अरविंद श्रीनिवास, जो सैन फ्रांसिस्को स्थित कंपनी परप्लेक्सिटी एआई के सीईओ हैं, ने हाल ही में इस दुविधा को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, "अमेरिका में तीन साल से हूं, लेकिन अभी भी सोच रहा हूं कि ग्रीन कार्ड के...