दिल्ली चुनावों में "खेला" संभव: AIMIM की एंट्री से AAP और कांग्रेस की राह मुश्किल ?
दिल्ली चुनावों में "खेला" संभव: AIMIM की एंट्री से AAP और कांग्रेस की राह मुश्किल ?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब सियासी समीकरण बदलने की संभावना है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में AIMIM की सक्रियता ने AAP, कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबले को और जटिल बना दिया है। AIMIM का मुख्य फोकस मुस्लिम बहुल सीटों पर है, जिससे AAP और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। यदि मुस्लिम वोट बंटते हैं, तो भाजपा को फायदा मिलने की पूरी संभावना है। ऐसे में दिल्ली का चुनावी रण इस बार बेहद दिलचस्प होने जा रहा है, क्योंकि AIMIM की एंट्री से "खेला" होने के पूरे आसार हैं तो आपको क्या लगता है की खेला होगा या नहीं कमेंट करके जरूर बतायें और विश्वप्रेम न्यूज को फोलो शेयर और सब्सक्राइब करें
इंट्रो....
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नज़दीक आते ही राजनीतिक हलचलें तेज़ हो गई हैं। इस बार सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती के रूप में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM उभरकर आ रही है। AIMIM की रणनीति न सिर्फ AAP की जीत की राह कठिन कर सकती है, बल्कि कांग्रेस के अदद खाता खोलने के सपने को भी धुंधला कर सकती है।
AIMIM की रणनीति और सीटों का गणित क्या कहता है। AIMIM से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से पार्टी ने करीब 7 से 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है। पार्टी ने खासतौर पर उन सीटों को चुना है, जो मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं। दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 15 प्रतिशत है। इनमें से कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। सीलमपुर, मुस्तफाबाद, ओखला, मटिया महल और बल्लीमारान जैसी सीटों पर मुस्लिम आबादी 40 से 80 प्रतिशत के बीच है। इसके अलावा, चांदनी चौक और सदर बाजार में मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव लगभग 20 प्रतिशत के करीब है। फिलहाल ये सीटें आम आदमी पार्टी के कब्जे में हैं, लेकिन AIMIM के मैदान में आने के बाद यहां समीकरण बदल सकते हैं। AAP और कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी हो गई है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुस्लिम मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी पर भरोसा जताया था, लेकिन दिल्ली दंगों के बाद मुस्लिम समुदाय में AAP से नाराजगी देखी जा रही है। इस स्थिति का फायदा AIMIM उठाने की तैयारी में है।
AAP की रणनीति ऐसे में क्या रहेगी। AAP ने कांग्रेस के कद्दावर मुस्लिम नेताओं को तोड़ने की कोशिश की है। सीलमपुर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मतीन अहमद के बेटे जुबैर अहमद को टिकट देकर AAP ने बड़ा दांव खेला है। तो दुसरी तरफ कांग्रेस ने भी चाल चल दी है कांग्रेस ने आप के मौजूदा विधायक अब्दुल रहमान को अपनी ओर खींच लिया है। इससे सीलमपुर सीट पर AAP और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला तय है।
AIMIM का बड़ा कार्ड ताहिर हुसैन को लेकर खेल दिला दिया है। AIMIM ने ताहिर हुसैन को प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव खेला है। ताहिर हुसैन पहले नेहरू विहार से AAP के पार्षद रह चुके हैं। हालांकि, 2020 के दिल्ली दंगे में नाम आने के बाद AAP ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया था। ताहिर फिलहाल जेल में बंद हैं और उनके खिलाफ UAPA और दंगे की साजिश समेत कई धाराओं में 11 केस दर्ज हैं। ताहिर का मैदान में आना न सिर्फ AAP के लिए चिंता की बात है बल्कि मुस्लिम वोटों के बंटने की संभावना को भी बढ़ा रहा है। मुस्तफाबाद सीट पर मौजूदा विधायक हाजी यूनुस और ताहिर के बीच लंबे समय से राजनीतिक खींचतान रही है। इसके बाद बात करें मुस्तफाबाद सीट की तो वहां त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना रह सकती है। मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर AIMIM की एंट्री से मुकाबला बेहद रोचक हो गया है। इस सीट पर मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा है, लेकिन अगर मुस्लिम वोट AIMIM और AAP के बीच बंट गए, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। पिछले MCD चुनाव में कांग्रेस ने मुस्तफाबाद के दो मुस्लिम बहुल वार्डों में जीत हासिल की थी, जिससे यह साफ हुआ कि मुस्लिम वोटों में AAP के प्रति नाराजगी बरकरार है। इस बार AAP ने आदिल खान को मुस्तफाबाद से प्रत्याशी बनाया है, जबकि ताहिर हुसैन के आने से मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है।कांग्रेस और AIMIM का प्रभाव दिल्ली के चुनाव में AIMIM का चुनाव में उतरना कांग्रेस के लिए भी बड़ा झटका साबित हो सकता है। लंबे समय तक मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का कोर वोट बैंक रहे थे, लेकिन पिछले दो चुनावों में ये वोट AAP की तरफ शिफ्ट हो गए। AIMIM अगर इन सीटों पर मजबूत प्रदर्शन करती है तो कांग्रेस के लिए वापसी की उम्मीदें भी खत्म हो सकती हैं।AIMIM के उम्मीदवारों के उतरने से दिल्ली की सियासत में "खेला" होना तय दिख रहा है। अगर मुस्लिम वोट बँटे, तो भाजपा को इसका सीधा लाभ हो सकता है। अब देखना यह है कि AAP, कांग्रेस और AIMIM में से कौन दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करता है, और भाजपा को इसका कितना फायदा मिलता है। क्या दिल्ली का मुस्लिम वोट बैंक बंटेगा? कौन मारेगा बाज़ी? आने वाला वक्त ही बताएगा।" "दिल्ली का चुनावी रण दिलचस्प हो गया है – देखना होगा कि 'खेला' किसके पक्ष में होता है। चलते चलते एक कानून की जानकारी जोकि आपका कानूनी अधिकार जो हर नागरिक को पता होने चाहिए! महिलाओं को निशुल्क पुलिस सहायता का अधिकार महिलाओं के लिए खासतौर पर महिला पुलिस स्टेशन और निशुल्क सहायता की सुविधा दी गई है। महिलाएं किसी भी पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। इसके अलावा, रात के समय किसी महिला को बिना महिला पुलिस अधिकारी के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।"
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