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क्या पूरे ब्रिटेन को मिलेगा फ्री ChatGPT प्रीमियम एक्सेस?

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 क्या पूरे ब्रिटेन को मिलेगा फ्री ChatGPT प्रीमियम एक्सेस ? सैम ऑल्टमैन, जो कि ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI के सीईओ और सह-संस्थापक हैं, उन्होंने यूनाइटेड किंगडम (UK) के सभी निवासियों को ChatGPT का प्रीमियम एक्सेस मुफ्त में देने के लिए £2 अरब ($2.5 अरब) की संभावित डील पर चर्चा की है। द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्ताव यूके के प्रौद्योगिकी सचिव पीटर काइल के साथ एक मीटिंग के दौरान सामने आया। यह बातचीत OpenAI और यूके सरकार के बीच संभावित साझेदारी के व्यापक संदर्भ में हुई थी। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि काइल ने इस प्रस्ताव को गंभीरता से नहीं लिया, मुख्यतः इसकी अधिक लागत के कारण। इसके बावजूद, यह बातचीत इस ओर इशारा करती है कि यूके सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्षेत्र को लेकर काफी उत्साहित है, भले ही इसे लेकर सटीकता, प्राइवेसी और कॉपीराइट जैसे मुद्दों पर चिंताएं बनी हुई हैं। वर्तमान में, OpenAI ChatGPT का एक मुफ्त व एक पेड वर्जन प्रदान करता है। पेड वर्जन ChatGPT Plus की कीमत $20 प्रति माह है, जिसमें तेज़ रिस्पॉन्स और नए फीचर्स तक पहले पहुंच जैसी सुविधा...

प्रदेश और देश में जितने भी गुंडे, मवाली और हिस्ट्रीशीटर हैं वो सभी बीजेपी में हैं: अदित्य देवीलाल

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  प्रदेश और देश में जितने भी गुंडे, मवाली और हिस्ट्रीशीटर हैं वो सभी बीजेपी में हैं: अदित्य देवीलाल बीजेपी और कांग्रेस मिलकर नूरा कुश्ती कर रही हैं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गिरोह है जो बीजेपी की नाकामियों को छिपाने का काम कर रहा है जिस दिन बीजेपी चाहेगी तभी नेता प्रतिपक्ष बन जाएगा और वो ही नेता प्रतिपक्ष बनेगा जिसका नाम बीजेपी देगी चाहे कानून व्यवस्था हो, बढ़े बिजली के दाम हों, एसवाईएल के पानी का मुद्दा हो यह फिर पानीपत में बिल्डर द्वारा एक किसान की हत्या की गई इन सभी मुद्दों को लेकर इनेलो सडक़ों पर उतरी लेकिन कांग्रेस इन मुद्दों पर सरकार के साथ मिली हुई थी चंडीगढ़, 23 अगस्त। विधानसभा में इनेलो के विधायक दल के नेता अदित्य देवीलाल ने शनिवार को प्रेस वार्ता कर कहा कि प्रश्रकाल से पहले कानून व्यवस्था पर चर्चा होनी चाहिए थी। पहले मनीषा की हत्या और दो दिन पहले एक 13 साल की लडक़ी की हत्या समेत प्रदेश में गैंगस्टरों द्वारा लगातार व्यापारियों को धमकी देने, फिरौती मांगने, लूटपाट करने, अपहरण करने, सरेआम गोलियों से निर्दोश लोगों की हत्या करने, बेटियों के साथ किए जा रहे बलात्कार जैसे मुद्दे पर ...
“दोस्तों, ज़रा सोचिए… जिस ज़मीन पर किसान की मेहनत टिकी है… जिस ज़मीन पर गरीब की उम्मीदें बसी हैं… वही ज़मीन अगर ‘काग़ज़ी खेल’ और ‘राजनीतिक दांवपेंच’ में अमीरों की जेब में चली जाए — तो क्या ये सिर्फ़ एक सौदा है? या फिर ये गरीब की उम्मीदों की कब्रगाह? हरियाणा में यही हो रहा है। ज़मीन, जो कभी किसानों की थी… जो कभी गाँव की थी… जो कभी गरीब की थी… आज वही ज़मीन बड़े-बड़े बिल्डरों और रसूखदार नेताओं के कब्ज़े में है। RTI के दस्तावेज़ बताते हैं कि ‘सरकारी ज़मीन’ को ‘निजी जेबों’ में डाला गया। कोर्ट की फ़ाइलें गवाही देती हैं कि ‘पॉलिसी’ का इस्तेमाल किया गया… मगर जनता की नहीं, खास लोगों की सेवा के लिए। अब सवाल उठता है — 👉 क्या ज़मीन सिर्फ़ काग़ज़ों पर खेली जाने वाली गोटी है? 👉 क्या गरीब की ज़मीन, सिस्टम की मिलीभगत से, अमीर की तिजोरी में बंद कर दी जाती है? 👉 और क्या हमारे नेताओं का ‘विकास’ का नारा, असल में ‘ज़मीन का कारोबार’ है? आज हम आपको दिखाएँगे हरियाणा के उस काले सच को… जहाँ ज़मीन का टुकड़ा बिकता नहीं है… छीना जाता है। जहाँ किसान का खेत बोया नहीं जाता… हथियाया जाता है। जहाँ ‘गाँव ...

"सरकार कहती है… हर हाथ को हुनर मिलेगा!

"सरकार कहती है… हर हाथ को हुनर मिलेगा! सरकार कहती है… हर युवा को रोज़गार मिलेगा! लेकिन…! 9 साल बाद सच्चाई क्या है? स्किल इंडिया पर हज़ारों करोड़ खर्च हुए, लेकिन नौजवान अब भी सड़क पर ठेला चला रहे हैं, ऑटो चला रहे हैं, डिलीवरी बॉय बने हुए हैं। तो फिर सवाल उठता है — क्या ये स्किल इंडिया है… या स्कैम इंडिया? नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़े कह रहे हैं कि भारत की बेरोज़गारी दर पिछले कई सालों में सबसे ऊँचे स्तर पर है।2015 से अब तक लाखों युवाओं को ट्रेनिंग दी गई, लेकिन नौकरी मिली सिर्फ़ एक-तिहाई को । बाक़ी? वही ज़ीरो पर खड़े हैं। 👉 प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर करोड़ों रुपये खर्च हुए — लेकिन नौजवानों के हिस्से में क्या आया? 👉 क्या ये योजनाएँ सिर्फ़ चुनावी जुमले हैं? 👉 नौजवानों को रोज़गार मिला… या सरकार को सिर्फ़ प्रचार मिला? देश का नौजवान, जिसकी आँखों में सपने थे — डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजर बनने के… आज वो मजबूर है Zomato–Swiggy की ड्रेस पहनने को। क्योंकि सरकार के वादों ने उसे सिर्फ़ निराशा दी। तो अब बताइए… Skill India की कहानी है ‘हुनर से रोज़गार’ की… या सिर्फ़ ‘हुनर से सरकार’...

मौकों की कमी और शुरुआती संघर्षों ने बनाया मुझे प्रोड्यूसर: हुमा कुरैशी

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  मौकों की कमी और शुरुआती संघर्षों ने बनाया मुझे प्रोड्यूसर: हुमा कुरैशी मुंबई – बॉलीवुड अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने अपने करियर में एक नया अध्याय जोड़ते हुए फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रख लिया है। अपने भाई और अभिनेता साकिब सलीम के साथ मिलकर उन्होंने प्रोडक्शन हाउस शुरू किया है। लेकिन यह कदम सिर्फ पेशेवर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत अनुभवों से जुड़ा है। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में हुमा ने स्पष्ट किया कि उनका प्रोड्यूसर बनने का फैसला आकस्मिक नहीं, बल्कि करियर के शुरुआती संघर्षों और अवसरों की कमी से उपजा हुआ है। 🎤 “मैं बहुत कुछ कर सकती थी, लेकिन मौका नहीं मिला” — हुमा कुरैशी हुमा ने कहा: “ये बेहद खास है कि हमें फर्स्ट जनरेशन प्रोड्यूसर बनने का मौका मिल रहा है। ये निर्णय उस समय की हताशा और मौकों की कमी से आया जब करियर की शुरुआत में लगता था कि ‘मैं बहुत कुछ कर सकती हूं’, लेकिन कोई मौका नहीं दे रहा था। एक अभिनेता के तौर पर आप तभी कुछ साबित कर सकते हैं जब आपको काम मिले।” हुमा का मानना है कि कई बार कलाकार की काबिलियत काम के अभाव में दब जाती है, और यही वह वजह थी जिसने उन्हें कैम...

क्या ये लोकतंत्र है… या लोकतंत्र का मज़ाक?"

"सोचिए… जनता ने आपको चुना, सरकार बनाई, विधेयक पास हुआ… लेकिन राज्यपाल ने फाइल अपने पास रख ली — सालों तक… बिना साइन किए, बिना लौटाए! क्या ये लोकतंत्र है… या लोकतंत्र का मज़ाक?" ⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वही कड़ा सवाल पूछा है – 👉 "क्या राज्यपाल किसी बिल पर अनिश्चितकाल तक बैठे रह सकते हैं?" 👉 "अगर राज्यपाल 4 साल तक साइन न करें, तो लोकतंत्र का क्या होगा?" 🔥 और सुनिए… जब ये गंभीर सवाल कोर्ट ने उठाए, तब देश के सॉलिसिटर जनरल ने क्या कहा… "अगर कोर्ट में केस 7 साल तक लंबित रह सकता है, तो राज्यपाल भी बिल पर बैठे रह सकते हैं… अदालत को इसमें दखल क्यों देना चाहिए?" दोस्तों, सोचिए ज़रा — क्या जनता की चुनी हुई सरकार अब राज्यपाल की मर्जी की गुलाम बन जाएगी? क्या ये लोकतंत्र की हत्या नहीं है? intro सुप्रीम कोर्ट की पाँच-न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ, जिसका नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई कर रहे हैं, ने हाल ही में केंद्र सरकार से एक बेहद गंभीर और संवैधानिक सवाल पूछा है। सवाल यह है कि क्या किसी राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह राज्य की विधानसभा...

तीन लालों की विरासत… अब एक लाल के हाथ?

हरियाणा की राजनीति… तीन नामों के बिना अधूरी थी। देवी लाल… भजनलाल… बंसीलाल। तीन लाल… तीन परिवार… तीन ताक़तें। इन्होंने दशकों तक हरियाणा की राजनीति को अपनी मुट्ठी में रखा। लेकिन आज… तस्वीर बदल चुकी है। आज हरियाणा में सिर्फ़ एक “लाल” है… और उसका नाम है — मनोहर लाल।  सोचिए ज़रा… कभी जो तीनों लाल पूरे हरियाणा की सियासत पर राज करते थे… आज उनके परिवार बीजेपी की चौखट पर हैं। और उस चौखट की चाबी किसके हाथ में है? 👉 मनोहर लाल खट्टर। देवी लाल का परिवार — कभी किसानों की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा। भजनलाल का परिवार — पाला बदलकर भी सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने का उस्ताद। बंसीलाल का परिवार — प्रशासन और अनुशासन का दूसरा नाम। तीनों परिवार, तीनों विरासतें… आज सब बीजेपी की चौखट पर खड़ी हैं। और उस चौखट की चाबी किसके पास है? 👉 मनोहर लाल खट्टर के पास। कभी जो खट्टर को लोग हल्के में लेते थे… कहते थे — ये तो बस संगठन का आदमी है। ना कोई राजनीतिक खानदान, ना कोई जातिगत वोट बैंक। लेकिन वही खट्टर आज हरियाणा की राजनीति का सबसे बड़ा खिलाड़ी बन चुका है। क्या आपने सोचा है क्यों? क्योंकि खट्टर ने सि...