“दोस्तों, ज़रा सोचिए…
जिस ज़मीन पर किसान की मेहनत टिकी है…
जिस ज़मीन पर गरीब की उम्मीदें बसी हैं…
वही ज़मीन अगर ‘काग़ज़ी खेल’ और ‘राजनीतिक दांवपेंच’ में अमीरों की जेब में चली जाए — तो क्या ये सिर्फ़ एक सौदा है? या फिर ये गरीब की उम्मीदों की कब्रगाह?

हरियाणा में यही हो रहा है।
ज़मीन, जो कभी किसानों की थी… जो कभी गाँव की थी… जो कभी गरीब की थी…
आज वही ज़मीन बड़े-बड़े बिल्डरों और रसूखदार नेताओं के कब्ज़े में है।

RTI के दस्तावेज़ बताते हैं कि ‘सरकारी ज़मीन’ को ‘निजी जेबों’ में डाला गया।
कोर्ट की फ़ाइलें गवाही देती हैं कि ‘पॉलिसी’ का इस्तेमाल किया गया… मगर जनता की नहीं, खास लोगों की सेवा के लिए। अब सवाल उठता है —

👉 क्या ज़मीन सिर्फ़ काग़ज़ों पर खेली जाने वाली गोटी है?
👉 क्या गरीब की ज़मीन, सिस्टम की मिलीभगत से, अमीर की तिजोरी में बंद कर दी जाती है?
👉 और क्या हमारे नेताओं का ‘विकास’ का नारा, असल में ‘ज़मीन का कारोबार’ है?

आज हम आपको दिखाएँगे हरियाणा के उस काले सच को…
जहाँ ज़मीन का टुकड़ा बिकता नहीं है… छीना जाता है।
जहाँ किसान का खेत बोया नहीं जाता… हथियाया जाता है।
जहाँ ‘गाँव की ज़मीन’ को ‘नगर की डील’ बना दिया जाता है।

ये कहानी है — “गरीब की ज़मीन, अमीर की जेब।”
और इस कहानी के किरदार वही हैं… जिन्हें आप नेता कहते हैं… जिन्हें आप सेवक समझते हैं… लेकिन असल में ये ‘दलाल’ बन चुके हैं।

तो आइए… करते हैं शुरुआत… हरियाणा की सियासत के सबसे बड़े सवाल से —
क्या ज़मीन सिर्फ़ गरीब के पसीने की है… या नेता के पैसे की?”


एपिसोड 1 – मनसेर ज़मीन घोटाला

📍 लोकेशन: IMT Manesar, गुरुग्राम

  • साल 2007–2010, कांग्रेस सरकार का दौर।

  • 688 एकड़ ज़मीन किसानों से धमकाकर और दबाव डालकर औने-पौने दामों पर खरीदी गई

  • बाद में वही ज़मीन प्राइवेट बिल्डरों को करोड़ों में दी गई।

  • किसानों का घाटा: लगभग ₹1,500 करोड़।

  • सुप्रीम कोर्ट ने इसे "स्पष्ट धोखाधड़ी" (clear case of fraud) कहते हुए ज़मीनें राज्य सरकार को वापस देने का आदेश दिया।

  • आज भी इस मामले में CBI कोर्ट में सुनवाई जारी है, और पूर्व CM भूपिंदर सिंह हुड्डा समेत कई बड़े नाम आरोपी हैं।


एपिसोड 2 – शिकोहपुर डील और रॉबर्ट वाड्रा केस

📍 लोकेशन: शिकोहपुर, गुरुग्राम

  • 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने शिकोहपुर गांव में सस्ती दरों पर ज़मीन खरीदी।

  • कुछ महीनों बाद वही ज़मीन DLF को लगभग ₹58 करोड़ में बेच दी गई।

  • ED की चार्जशीट कहती है कि ये मुनाफा ग़ैरकानूनी लेन-देन और राजनीतिक पहुंच की वजह से संभव हुआ।

  • कांग्रेस नेताओं का नाम भी इसमें सामने आया।


एपिसोड 3 – पलवल सरकारी ज़मीन घोटाला

📍 लोकेशन: पलवल

  • 925 एकड़ सरकारी ज़मीन जिसकी वैल्यू थी लगभग ₹500 करोड़

  • बेची गई मात्र ₹25 करोड़ में।

  • आरोपियों में स्थानीय राजनेता, तहसीलदार, पटवारी और डीलरों का गठजोड़।

  • सवाल ये कि इतनी बड़ी सरकारी संपत्ति बिना हाई-लेवल राजनीतिक संरक्षण के क्या इतनी सस्ते में बिक सकती थी?


एपिसोड 4 – पंचकुल्ला (तालाब) ज़मीन घोटाला

📍 लोकेशन: भैंसा टिब्बा, पंचकुल्ला

  • एक पुराने तालाब की 1.1 एकड़ ज़मीन, जिसे धर्मशाला या दवाई केंद्र बनाने के लिए अधिग्रहित किया गया था…

  • वही ज़मीन HSVP ने प्राइवेट बिल्डर को ₹24.52 करोड़ में बेच दी।

  • हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए HSVP से जवाब मांगा है—
    "क्या सरकारी तालाब अब रियल एस्टेट में बदल दिए जाएंगे?"


एपिसोड 5 – भिवानी RTI खुलासा

📍 लोकेशन: भिवानी

  • RTI से खुलासा हुआ कि ₹150 करोड़ की सरकारी ज़मीन मात्र कुछ करोड़ में बेच दी गई।

  • जमीन शिक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों के नाम पर थी, लेकिन राजनेताओं और प्रॉपर्टी डीलरों ने मिलकर प्राइवेट हाथों में करा दी।

  • शिकायतें ACB और मुख्य सचिव तक पहुँचीं, लेकिन कार्रवाई अब तक अधूरी।


एपिसोड 6 – गुरुग्राम पंचायत ज़मीन मामला

📍 लोकेशन: गुरुग्राम, 46 एकड़ पंचायत ज़मीन

  • पंचायत की ज़मीन निजी बिल्डरों को ट्रांसफर कर दी गई।

  • यह भी उजागर हुआ कि कुछ अफसर और स्थानीय नेता ने मिलकर ग्रीन बेल्ट और रोड एरिया तक बेच डाला।

  • लोकल लोग कहते हैं—"ये सिर्फ़ जमीन नहीं, हमारी पीढ़ियों का भविष्य बेचा गया है।"


एपिसोड 7 – फरीदाबाद CAG रिपोर्ट

📍 लोकेशन: फरीदाबाद

  • CAG की रिपोर्ट में खुलासा: 9.43 एकड़ संरक्षित वन भूमि, जो Punjab Land Preservation Act के तहत सुरक्षित थी—

  • उसे गैरकानूनी रूप से Godavari Shilpkala Pvt Ltd को आवंटित किया गया।

  • यहाँ Pinnacle Business Tower खड़ा कर दिया गया।

  • यानी कानून और पर्यावरण दोनों की धज्जियाँ उड़ाकर, राजनीतिक-निजी गठजोड़ ने मोटा मुनाफा कमाया।

"ये सब केवल केस स्टडी नहीं हैं… ये हरियाणा के किसानों की पीड़ा हैं, जिनकी ज़मीन छिनी गई। ये हमारे गांवों की पंचायतों की धरोहरें हैं, जिन्हें बिल्डरों को बेच दिया गया। सवाल ये है कि—क्या कभी इन घोटालों के असली गुनहगारों को सज़ा मिलेगी? या गरीब की ज़मीन हमेशा इसी तरह अमीर की जेब में जाती रहेगी?"

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