"सरकार कहती है… हर हाथ को हुनर मिलेगा!
"सरकार कहती है… हर हाथ को हुनर मिलेगा!
सरकार कहती है… हर युवा को रोज़गार मिलेगा!
लेकिन…! 9 साल बाद सच्चाई क्या है?
स्किल इंडिया पर हज़ारों करोड़ खर्च हुए, लेकिन नौजवान अब भी सड़क पर ठेला चला रहे हैं, ऑटो चला रहे हैं, डिलीवरी बॉय बने हुए हैं।
तो फिर सवाल उठता है — क्या ये स्किल इंडिया है… या स्कैम इंडिया?नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़े कह रहे हैं कि भारत की बेरोज़गारी दर पिछले कई सालों में सबसे ऊँचे स्तर पर है।2015 से अब तक लाखों युवाओं को ट्रेनिंग दी गई, लेकिन नौकरी मिली सिर्फ़ एक-तिहाई को।
बाक़ी? वही ज़ीरो पर खड़े हैं।
👉 प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर करोड़ों रुपये खर्च हुए — लेकिन नौजवानों के हिस्से में क्या आया?
👉 क्या ये योजनाएँ सिर्फ़ चुनावी जुमले हैं?
👉 नौजवानों को रोज़गार मिला… या सरकार को सिर्फ़ प्रचार मिला?
देश का नौजवान, जिसकी आँखों में सपने थे — डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजर बनने के… आज वो मजबूर है Zomato–Swiggy की ड्रेस पहनने को।
क्योंकि सरकार के वादों ने उसे सिर्फ़ निराशा दी। तो अब बताइए…Skill India की कहानी है ‘हुनर से रोज़गार’ की… या सिर्फ़ ‘हुनर से सरकार’ की?
वाल सीधा है – 5 लाख की डिग्री और बदले में 15 हज़ार की नौकरी… क्या यही है भारत का शिक्षा तंत्र? क्या यही है नए भारत का सपना? आज इस मंच से पूछेंगे – पढ़ाई में निवेश करो, या फिर कर्ज़ में डूब जाओ?"
"भारत में MBA, B.Tech, M.Tech जैसी डिग्रियों पर लाखों रुपए खर्च होते हैं। IIMs और प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फीस 5 से 10 लाख तक पहुँच चुकी है। लेकिन डिग्री के बाद मिलने वाली औसत सैलरी – 15 से 20 हज़ार रुपए!
AICTE की रिपोर्ट कहती है कि हर साल 8 लाख इंजीनियर ग्रेजुएट होते हैं… लेकिन उनमें से 60% को जॉब ही नहीं मिलती। जिनको मिलती है, उनकी शुरुआती सैलरी 15 से 20 हज़ार रुपए। सवाल उठता है – जब लाखों रुपए की फीस ली जाती है, तो ये 15 हज़ार की नौकरी क्यों?"
*"आज का नौजवान डिग्री लेकर निकलता है – लेकिन न उसके पास स्किल है, न रोजगार।
– NSSO के आँकड़े बताते हैं, 20–24 साल के 36% युवा बेरोज़गार हैं।
– CMIE कहता है – educated unemployment, यानी जितना पढ़ोगे उतना बेरोज़गार रहोगे।
आप सोचिए… एक किसान अपने बेटे को शहर भेजता है, 5 लाख का कर्ज़ लेकर MBA कराता है। और बदले में क्या मिलता है? एक BPO में 15 हज़ार की नौकरी।
क्या यही है Skill India का सपना? क्या यही है Digital India का वादा?"*
*"यहाँ सवाल सिर्फ नौजवान का नहीं, बल्कि सिस्टम का है।
– यूनिवर्सिटी फीस पर कोई कंट्रोल नहीं।
– प्राइवेट कॉलेज ‘डिग्री फैक्ट्री’ बन चुके हैं।
– सरकार सिर्फ़ स्कीम और घोषणाओं में व्यस्त है।
जिनकी जेब मोटी है, उनके बच्चे विदेश चले जाते हैं। और मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे, कर्ज़ लेकर भी, 15 हज़ार की नौकरी करने को मजबूर।
क्या ये है समान अवसर?
क्या ये है भारत की शिक्षा नीति?"
"मैं यहाँ सवाल करता हूँ –
👉 5 लाख की डिग्री लेने के बाद भी अगर रोजगार नहीं है, तो ये सिस्टम किसके लिए है?
👉 शिक्षा – रोजगार दिलाने के लिए है या प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ की कमाई का धंधा है?
👉 नौजवान डिग्री ले या फिर कर्ज़ का बोझ?
"आज बहस यही है – 5 लाख की डिग्री और 15 हज़ार की नौकरी, नौजवान की मजबूरी क्यों है?
जवाब आपको देना होगा… सरकार को देना होगा… और इस व्यवस्था को देना होगा।
क्योंकि शिक्षा अगर रोज़गार नहीं दिला सकती, तो ये डिग्री नहीं… धोखा है।"
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