Posts

“हरियाणा – बेरोज़गारों का राजधानी प्रदेश?

  “हरियाणा – बेरोज़गारों का राजधानी प्रदेश?” 📰 हुकलाइन: “रोज़गार के नाम पर सिर्फ़ जुमले, और युवा... लाइन में।” 🎙 वीडियो स्क्रिप्ट (Reel/Short Style) 🎤 सरकार कहती है: “हमने युवाओं को रोज़गार देने का रिकॉर्ड तोड़ काम किया है।” 📉 Insider Data कहता है: “हरियाणा में बेरोजगारी दर देश में सबसे ज़्यादा है – 28% से ऊपर! ” 👨‍🎓 हर दूसरा ग्रेजुएट या तो कोचिंग कर रहा है, या भटक रहा है। 🏢 नौकरियों की भर्ती? HSSC पेपर लीक HTET फर्जीवाड़ा हर साल भर्तियां रद्द ❌ और भर्तियां जब निकलती हैं, तो कोर्ट में फंसी रहती हैं। 🕵️‍♂️ खबर के पीछे का खेल: 📆 पिछले 5 सालों में सरकार ने 75,000 नौकरी देने का वादा किया। ✅ जॉइन कितने हुए? Insider सूत्रों के अनुसार सिर्फ़ 15-20% 📌 बेरोजगारी भत्ता स्कीम? हजारों युवा अभी भी एप्लीकेशन पेंडिंग का जवाब सुन रहे हैं। 🔥 राजनीति का फ़ायदा? ✅ युवा वोट बैंक को बहलाना ✅ कोचिंग सेंटर और भर्ती माफिया को ज़िंदा रखना ❌ असली समाधान? न ZERO प्लान, न पारदर्शिता 📢 The Insider Says: “हरियाणा में युवा सबसे ज़्यादा पढ़े-...

8 महीने बाद भी 2100 रुपए सिर्फ पोस्टरों में!

  8 महीने बाद भी 2100 रुपए सिर्फ पोस्टरों में!” 📜 🎙 स्क्रिप्ट (Reel/Short Style, 60–75 सेकंड) 🎤 सरकार ने कहा था: “हर महिला को देंगे ₹2100 हर महीने — सीधे खाते में!” 📆 चुनाव हुए 8 महीने हो चुके हैं। 👩‍🦰 महिलाओं के हाथ में क्या आया? न योजना लागू, न पैसा, सिर्फ़ वादा। 🔍 खबर के पीछे का खेल: 📌 योजना का ऐलान अक्टूबर 2023 में हुआ। 🎯 टारगेट था महिला वोट — खासकर गरीब, ग्रामीण, और अकेली महिलाएं। 📢 प्रचार हुआ, बड़े-बड़े होर्डिंग लगे, भाषणों में “लाडली बहना” बोला गया। ❌ पर स्कीम का एक भी टका अब तक नहीं आया। 🧠 राजनीतिक चाल: ✅ BJP को लगा महिला वोट साध लेंगे। ❌ लेकिन अब महिलाएं पूछ रही हैं: “2100 रुपए कहाँ हैं? झूठ बोल के वोट लिए?” 🤝 विपक्ष का सवाल: “क्या ये चुनावी स्कीम थी या जनता से धोखा?” 📢 The Insider Says: “जब योजना सिर्फ वादों तक रह जाए, तो उसे ‘WADA YOJANA’ कहते हैं, ‘WELFARE’ नहीं!” 8 महीने हो गए... ₹2100 महिला योजना का क्या हुआ? क्या ये स्कीम थी? या चुनावी झुनझुना? Comment करो – क्या आपके इलाके में किसी महिला को पैसे मिले? #InsiderRepor...

बिहार को अगला मुख्यमंत्री कौन?

Image
  बिहार को अगला मुख्यमंत्री कौन? 1️⃣ तेजस्वी यादव – अनुभव और सामाजिक न्याय तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता, बिहार की राजनीति में एक मजबूत और अनुभवी चेहरा बन चुके हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी ने रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को अपने एजेंडे में प्रमुखता दी है। उनकी राजनीति सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों की आवाज उठाने पर केंद्रित है। राजनीतिक विरासत के साथ-साथ उनका मजबूत जमीनी नेटवर्क उन्हें एक भरोसेमंद उम्मीदवार बनाता है। 2️⃣ चिराग पासवान – युवा और विकास का सपना लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान खुद को "बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट" के विजन के साथ पेश करते हैं। चिराग युवा हैं, तकनीक-प्रेमी हैं और उनके भाषणों में आधुनिकता और विकास की झलक साफ दिखाई देती है। वे बेरोजगारी, डिजिटल बिहार और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दों को लेकर जनमानस को आकर्षित कर रहे हैं। 📊 बिहार 2025 के चुनाव में जनता किसे चुनेगी – अनुभव के प्रतीक तेजस्वी या नए बिहार के सपने देखने वाले चिराग ? 👇 अपनी राय ज़रूर बताएं... 🟩 #BiharElections #CMF...

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की साख: मनमोहन सिंह बनाम नरेंद्र मोदी

Image
  अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की साख: मनमोहन सिंह बनाम नरेंद्र मोदी लेखक: Kuldeep Khandelwal | प्लेटफॉर्म: Vishwaprem News भारत की अंतरराष्ट्रीय साख एक ऐसा मुद्दा है जो देश की वैश्विक भूमिका, आर्थिक ताकत और कूटनीतिक प्रभाव को दर्शाता है। पिछले दो दशकों में भारत के दो बड़े प्रधानमंत्रियों— डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी — ने वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान को अलग- अलग अंदाज़ में स्थापित किया है। लेकिन सवाल उठता है: किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में भारत की साख ज़्यादा बढ़ी? मनमोहन सिंह: शांत कूटनीति और आर्थिक सम्मान डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक देश का नेतृत्व किया। एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के रूप में उनकी पहचान थी। उन्होंने 1991 के आर्थिक उदारीकरण के जनक के रूप में पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बना ली थी। मुख्य उपलब्धियाँ: परमाणु समझौता ( Indo- US Nuclear Deal): 2008 में अमेरिका के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते ने भारत को एक ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता दिलाई। G20 में स्थायी सदस्यता: उनके कार्यकाल में भारत को वैश्विक आर्थिक मंचों पर स्थायीत्व...

"रामराज्य में रोजगार कहां है?

Image
 "रामराज्य में रोजगार कहां है? "राम मंदिर बन गया, मगर रामराज्य नहीं आया!" "युवाओं के हाथों में डिग्री है — नौकरी नहीं!" "हर साल लाखों नौकरियां देने का वादा था — और हकीकत? पेपर लीक, भर्ती कैंसिल और इंतज़ार!" "राम के नाम पर वोट तो मिल गया, अब रोजगार कौन देगा मोदी जी?" "जवाब चाहिए — मंदिर नहीं, नौकरी चाहिए!"  मोदी युग में बेरोज़गारी: क्या राम के नाम पर रोजगार छुपाया गया?” "राम के नाम पर सियासत की गई, मंदिर बना, लेकिन क्या नौकरियां भी बनीं? ये सवाल है हर उस युवा का, जो डिग्री लेकर आज बेरोज़गार बैठा है। स्वागत है आपका Vishwaprem News में – जहां हम पूछते हैं वो सवाल, जो सरकार नहीं सुनना चाहती।" भारत में बेरोज़गारी दर 8% से ऊपर चल रही है – CMIE रिपोर्ट (2024) 10 में से 7 युवा डिग्री के बाद भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं सरकारी नौकरियों की संख्या घटती जा रही है – SSC, UPSC में सीटें कम पिछले 5 साल में EPFO में नौकरी मिलने की दर में गिरावट युवा की उम्मीदें UPSC, SSC, Railway, Bank – सबकी परीक्षाएं या तो रुकी रहीं या लेट हुईं पेपर लीक...

जॉन अब्राहम की फिल्म 'द डिप्लोमैट' की सच्ची कहानी: उज़मा अहमद का पाकिस्तान से बचाव ?

Image
  जॉन अब्राहम की फिल्म ' द डिप्लोमैट' की सच्ची कहानी: उज़मा अहमद का पाकिस्तान से बचाव ? जॉन अब्राहम की नई फिल्म ' द डिप्लोमैट' एक भारतीय महिला उज़मा अहमद की असल जिंदगी पर आधारित है, जिसे प्यार के जाल में फंसा कर पाकिस्तान ले जाया गया और बंदूक की नोक पर जबरन शादी करने के लिए मजबूर किया गया। इस केस में भारत के वरिष्ठ आईएफएस अफसर जेपी सिंह की भूमिका बेहद अहम रही, जिन्होंने अपने कूटनीतिक कौशल और बहादुरी से उज़मा को पाकिस्तान से सुरक्षित भारत वापस लाने का कठिन कार्य सफलतापूर्वक किया। यह मामला न केवल मानवीय दृष्टिकोण से संवेदनशील था, बल्कि भारत- पाकिस्तान जैसे तनावपूर्ण देशों के बीच राजनयिक संतुलन बनाए रखने की भी एक चुनौती थी। उज़मा अहमद कौन हैं और वे कैसे फंसीं पाकिस्तान में? उज़मा अहमद, एक भारतीय नागरिक हैं जो दिल्ली में अपनी नानी के साथ रहती थीं। उनकी पहली शादी से एक बेटी भी है। 2017 में उज़मा बिज़नेस मैनेजमेंट की पढ़ाई के सिलसिले में मलेशिया गई थीं, जहां उनकी मुलाकात एक पाकिस्तानी नागरिक ताहिर अली से हुई। ताहिर ने उज़मा को अपने प्रेमजाल में फंसा लिया और बाद मे...

पाकिस्तान से जुड़ाव का शक कैसे हुआ?

Image
  पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा गिरफ्तार, देश की सुरक्षा पर गंभीर सवाल हरियाणा की रहने वाली यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी भारत की आंतरिक सुरक्षा और सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर कई अहम सवाल खड़े करती है। ज्योति मल्होत्रा एक ट्रैवल यूट्यूबर हैं, जिनका चैनल लाखों लोगों द्वारा देखा जाता है, लेकिन अब उन पर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगा है। क्या है मामला? गिरफ्तारी से पहले की गई जांच में यह सामने आया कि ज्योति मल्होत्रा पाकिस्तान हाई कमिशन में कार्यरत दानिश नामक एक अधिकारी के संपर्क में थी। दानिश के इशारे पर ही वह पाकिस्तान भी गई थी। सूत्रों के अनुसार, वहां उसने न केवल यात्रा की, बल्कि कथित रूप से कई संवेदनशील जानकारियाँ भी साझा कीं। आरोप यह भी है कि ज्योति भारत के सैन्य ठिकानों और अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों की तस्वीरें और जानकारियाँ पाकिस्तान को भेज रही थी। पाकिस्तान से जुड़ाव का शक कैसे हुआ? एजेंसियों को ज्योति के सोशल मीडिया गतिविधियों और विदेश यात्राओं पर...