"राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस से बदली कांग्रेस की रणनीति: अब सवर्ण नहीं, OBC-Dalit-माइनॉरिटी पर फोकस

 


"राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस से बदली कांग्रेस की रणनीति: अब सवर्ण नहीं, OBC-Dalit-माइनॉरिटी पर फोकस"

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आज की प्रेस कांफ्रेंस ने भारतीय राजनीति की दिशा और कांग्रेस की रणनीति को लेकर कई अहम संकेत दिए हैं। राहुल गांधी के बयानों से यह साफ हो गया है कि अब कांग्रेस पार्टी सवर्ण वोट बैंक को लेकर चिंतित नहीं है — जो पिछले कई वर्षों से भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा नजर आ रहा है। इसके बजाय कांग्रेस अब अपनी ऊर्जा और नीतियां पिछड़े वर्गों (OBC), दलितों और अल्पसंख्यकों को केंद्र में रखकर तैयार कर रही है।

राहुल की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से पांच प्रमुख बातें सामने आईं, जो आने वाले लोकसभा चुनावों और देश की सामाजिक-राजनीतिक बहस में गहरी छाप छोड़ सकती हैं।


1. निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करेगी कांग्रेस

राहुल गांधी ने स्पष्ट संकेत दिए कि अब आरक्षण सिर्फ सरकारी नौकरियों और संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगा। कांग्रेस यदि सत्ता में आती है, तो वह निजी क्षेत्र और निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू करने की दिशा में काम करेगी। यह बयान देश की सामाजिक न्याय की राजनीति में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।


2. 50% आरक्षण की सीमा खत्म करने की तैयारी

भारतीय संविधान के तहत आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तय की गई है (इंद्रा साहनी केस, 1992)। लेकिन राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस इस सीमा को “ध्वस्त” करने के पक्ष में है। यानी, अगर समाज में जरूरत है और आंकड़े बताते हैं कि पिछड़े वर्गों की संख्या अधिक है, तो आरक्षण भी उसी अनुपात में बढ़ाया जाएगा।


3. जातिगत जनगणना पर सरकार की मंशा पर संदेह

भले ही केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना की घोषणा की हो, लेकिन कांग्रेस इस पर सरकार की नीयत को शक की नजर से देख रही है। राहुल का मानना है कि यह कदम वास्तव में लागू नहीं होगा, बल्कि यह सिर्फ चुनावी झुनझुना बन सकता है। उनका जोर है कि कांग्रेस इस मुद्दे को जनआंदोलन बनाएगी और सरकार पर दबाव बनाएगी।


4. राहुल का नया एजेंडा: जनगणना और आरक्षण सीमा हटाना

राहुल गांधी का अगला राजनीतिक हथियार जातिगत जनगणना को जल्द कराने और आरक्षण की वर्तमान सीमा को खत्म कराने का आंदोलन होगा। कांग्रेस यह मुद्दा उठाकर न सिर्फ OBC, SC-ST वोटरों को सक्रिय करना चाहती है, बल्कि भाजपा को घेरने की भी रणनीति बना रही है।


5. श्रेय का युद्ध: सरकार का ऐलान, विपक्ष की जीत

भले ही जातिगत जनगणना का ऐलान केंद्र सरकार ने किया हो, लेकिन इसका राजनीतिक श्रेय राहुल गांधी और विपक्ष को जाता दिख रहा है। राहुल लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं, और अब जब सरकार ने कदम उठाया है, तो कांग्रेस इसे “जनता की जीत” और “विपक्ष के दबाव का नतीजा” बताने में जुटी है।


 कांग्रेस ने बदला ट्रैक, अब सोशल जस्टिस पर पूरा फोकस

राहुल गांधी की आज की प्रेस कांफ्रेंस से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस अब "सोशल जस्टिस" यानी सामाजिक न्याय को केंद्र में रखकर चुनावी रणनीति बना रही है। पार्टी यह मान चुकी है कि सवर्णों का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ जुड़ा हुआ है और अब कांग्रेस को अपने मूल सामाजिक आधार — OBC, दलित, और अल्पसंख्यक — को फिर से संगठित करना है।

यह रणनीति आने वाले समय में न सिर्फ कांग्रेस की पहचान को परिभाषित करेगी, बल्कि भारतीय राजनीति में जाति आधारित प्रतिनिधित्व, हक और अधिकार की बहस को भी तेज कर देगी।

#CasteCensus #जाति_जनगणना

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