श्याम बाल वाटिका और श्री चेतन्य स्कूल पर गिरेगी गाज बिना मान्यता के वसूल रहे मोटी फीस ?
हरियाणा में शिक्षा का घोटाला: नामी स्कूल बिना मान्यता के संचालित, अभिभावक हैरान ?
श्याम बाल वाटिका और श्री चेतन्य स्कूल पर गिरेगी गाज बिना मान्यता के वसूल रहे मोटी फीस ?
श्याम बाल वाटिका का पक्ष के झूठ ?
हरियाणा में फर्जी स्कूलों की पोल खुली, शिक्षा मंत्री ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी ?
कुलदीप खंडेलवाल
हरियाणा में शिक्षा के क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। नामी और प्रतिष्ठित माने जाने वाले कुछ स्कूलों के बारे में खुलासा हुआ है कि वे वर्षों से बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इस खबर ने न केवल अभिभावकों के बीच चिंता पैदा की है, बल्कि शिक्षा विभाग और सरकार को भी सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है। इस खुलासे में श्याम बाल वाटिका पब्लिक स्कूल (प्राइमरी विंग), जाट कॉलोनी, नरवाना और श्री चेतन्य स्कूल, टोहाना जैसे बड़े नाम शामिल हैं, जिनके खिलाफ अब कार्रवाई की तैयारी चल रही है। यह मामला शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है और बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।इन स्कूलों पर आरोप है कि ये बिना किसी वैध मान्यता के संचालित हो रहे हैं, फिर भी हर साल अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलते हैं। नियमों को ताक पर रखकर ये स्कूल न केवल दाखिला प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं, बल्कि डबल वर्दी, महंगी किताबें, विकास शुल्क, फंड और अन्य चार्जेज के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूल रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए इन स्कूलों पर भरोसा करते थे, लेकिन अब यह खुलासा उनके लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। श्याम बाल वाटिका और श्री चेतन्य जैसे स्कूल, जो अपनी प्रतिष्ठा के लिए जाने जाते थे, अब इस विवाद के केंद्र में हैं। इसके अलावा, शीतला माता हाई स्कूल और जश्न हाई स्कूल जैसे अन्य नाम भी इस सूची में शामिल हैं, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है। हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो भी स्कूल अवैध रूप से चल रहे हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सबक सिखाया जाएगा।" शिक्षा विभाग ने हाल ही में राज्य स्तर पर एक सूची जारी की है, जिसमें ऐसे कई स्कूलों के नाम शामिल हैं जो बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इस सूची में नरवाना और टोहाना के स्कूलों के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। विभाग ने इन स्कूलों को बंद करने और इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।इस खुलासे ने अभिभावकों के बीच एक अजीब स्थिति पैदा कर दी है। एक तरफ वे अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं, तो दूसरी तरफ उन्हें डर है कि सरकार की कार्रवाई के बाद ये स्कूल बंद हो सकते हैं, जिससे उनके बच्चों का शैक्षणिक सत्र प्रभावित होगा। नरवाना के एक अभिभावक ने कहा, "हमने सालाना 50-60 हजार रुपये फीस दी, यह सोचकर कि हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा पा रहे हैं। अब पता चला कि स्कूल के पास मान्यता भी नहीं है। अगर स्कूल बंद हो गया तो हमारे बच्चों का क्या होगा?" टोहाना के एक अन्य अभिभावक ने गुस्से में कहा, "यह शिक्षा विभाग की नाकामी है। इतने सालों तक ये स्कूल कैसे चलते रहे और किसी ने कुछ नहीं किया?"यह मामला शिक्षा के नाम पर हो रहे कारोबार की ओर भी इशारा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कई निजी स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने के बजाय मुनाफे को प्राथमिकता दे रहे हैं। बिना मान्यता के स्कूल चलाना, फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करना, और प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दे इस बात के सबूत हैं कि शिक्षा व्यवस्था में गहरी खामियां मौजूद हैं। एक शिक्षाविद् ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "ऐसे स्कूलों का मकसद बच्चों को पढ़ाना कम और पैसे कमाना ज्यादा होता है। यह एक बड़ा रैकेट है, जिसमें प्रशासन की मिलीभगत भी हो सकती है। सरकार और शिक्षा विभाग पर अब दबाव बढ़ गया है कि वह इस मामले में ठोस कदम उठाए। अभिभावकों का कहना है कि सरकार को स्कूलों की नियमित जांच करनी चाहिए और मान्यता की प्रक्रिया को इतना पारदर्शी बनाना चाहिए कि कोई भी स्कूल बिना वैध दस्तावेजों के न चल सके। इसके साथ ही, यह मांग भी उठ रही है कि शिक्षा विभाग एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करे, जहां अभिभावक आसानी से यह जांच सकें कि कौन सा स्कूल मान्यता प्राप्त है और कौन सा नहीं। एक अभिभावक ने सुझाव दिया, "अगर हमें पहले पता होता कि ये स्कूल गैर मान्यता प्राप्त हैं, तो हम अपने बच्चों को वहां कभी नहीं भेजते। सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि हमें पहले ही सारी जानकारी मिल जाए।"इस पूरे प्रकरण ने हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने सालों तक ये स्कूल बिना किसी रोक-टोक के कैसे चलते रहे? क्या शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन इसकी जानकारी से अनजान थे, या फिर इसमें उनकी कोई भूमिका थी? जानकारों का कहना है कि यह मामला सिर्फ कुछ स्कूलों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में ऐसे सैकड़ों स्कूल हो सकते हैं जो नियमों को ठेंगा दिखाकर चल रहे हैं।अब सबकी नजरें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या यह कार्रवाई सिर्फ कागजी होगी, या वास्तव में इन स्कूलों पर शिकंजा कसा जाएगा? श्याम बाल वाटिका और श्री चेतन्य जैसे स्कूलों का गैर मान्यता प्राप्त होना न केवल अभिभावकों के लिए सबक है, बल्कि सरकार के लिए भी एक चेतावनी है कि शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। अगर सरकार इस मौके पर सख्ती दिखाकर एक मिसाल कायम करती है, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं कम हो सकती हैं। श्याम बाल वाटिका का भी पक्ष मिडिया के सामने आया है उसमें बड़ी ही चतुराई से झूठ बोला गया है। जिसमें अधिकारियों पर आरोप लगाए गए हैं अब अधिकारियो और श्याम बाल वाटिका प्राइमरी विंग जाट कलोनी को लेकर ठन गई है? अधिकारियों द्वारा बताया सच क्या है। पढ़िएगा जरूर
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