बीजेपी का अब सिर्फ "मिशन साऊथ" बाकी!
बीजेपी का अब सिर्फ "मिशन साऊथ" बाकी!
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक देशभर में उल्लेखनीय विस्तार किया है। कभी इसे केवल हिंदी बेल्ट और ब्राह्मण-बनियों की पार्टी माना जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ पार्टी ने अनुसूचित जाति (SC), जनजाति (ST) और विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के बीच भी अपनी मजबूत पकड़ बना ली। इसके अलावा, नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में भी पार्टी ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवाई है।
देशभर में बीजेपी का विस्तार
बीजेपी ने अपने कुशल संगठन और चुनावी प्रबंधन के दम पर लगातार नए क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाई। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पहले से ही बीजेपी की मजबूत पकड़ थी, लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्यों में भी अपनी स्थिति को मजबूत किया। नॉर्थ ईस्ट में जहां कभी कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व था, वहां बीजेपी ने सत्ता में हिस्सेदारी बनाई और कई राज्यों में सरकार भी बनाई।
अब बारी है दक्षिण भारत की!
देशभर में अपने प्रभाव को बढ़ाने के बाद बीजेपी की नजर अब दक्षिण भारतीय राज्यों पर है। दक्षिण भारत के राज्यों – तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में बीजेपी अभी भी अपने मजबूत जनाधार के लिए संघर्ष कर रही है। हालांकि, कर्नाटक में पार्टी ने पहले ही सरकार बनाकर अपनी क्षमता का परिचय दिया है, लेकिन बाकी राज्यों में अब भी उसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
तमिलनाडु में बीजेपी की रणनीति
तमिलनाडु में बीजेपी का मुकाबला दो प्रमुख दलों – द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) से है। बीजेपी ने यहां हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन स्थानीय राजनीति और भाषा के मुद्दे अब भी पार्टी के लिए बड़ी बाधा बने हुए हैं। हाल ही में बीजेपी ने राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कुछ बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल किया है।
तेलंगाना में बीजेपी की बढ़ती उपस्थिति
तेलंगाना में भी बीजेपी ने खुद को मुख्य विपक्ष के रूप में पेश किया है। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) के खिलाफ बीजेपी लगातार आक्रामक रही है। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां उल्लेखनीय प्रदर्शन किया था, और पार्टी इसे 2024 में और आगे ले जाना चाहती है।
केरल और आंध्र प्रदेश में बीजेपी की रणनीति
केरल में बीजेपी अभी तक अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। राज्य में कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के मजबूत गढ़ होने के कारण बीजेपी को यहां पैर जमाने में कठिनाई हो रही है। हालांकि, पार्टी लगातार अपनी विचारधारा को लेकर जनता तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। आंध्र प्रदेश में भी बीजेपी के लिए हालात चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन वहां क्षेत्रीय दलों – वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के खिलाफ वह अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
क्या बीजेपी "मिशन साऊथ" फतेह कर पाएगी?
बीजेपी के पास मजबूत संगठन, कार्यकर्ताओं का व्यापक नेटवर्क और कुशल चुनावी रणनीति है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने हर राज्य में पार्टी को विस्तार देने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, दक्षिण भारत में क्षेत्रीय दलों की मजबूत पकड़, भाषा और सांस्कृतिक भिन्नताएं पार्टी के लिए बड़ी चुनौती हैं।
लेकिन बीजेपी ने जिस तरह नॉर्थ ईस्ट में अपनी स्थिति को मजबूत किया, उसी तरह दक्षिण भारत में भी पार्टी अपनी रणनीति के तहत विस्तार कर सकती है। अगर पार्टी सही गठबंधन, स्थानीय नेताओं का सहयोग और जनता से जुड़ने की सही रणनीति अपनाती है, तो आने वाले वर्षों में "मिशन साऊथ" भी पूरा हो सकता है।
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