हरियाणा प्रदेश में भूपिंदर सिंह हुड्डा नहीं तो कौन?

 हरियाणा प्रदेश में भूपिंदर सिंह हुड्डा नहीं तो कौन?


हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस की स्थिति पहले कभी इतनी कमजोर नहीं हुई, जितनी आज दिखाई दे रही है। भूपिंदर सिंह हुड्डा लम्बे समय से पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेता रहे हैं, लेकिन अब सवाल उठता है कि अगर हुड्डा नहीं, तो कांग्रेस के पास कौन सा चेहरा है जो पार्टी को मजबूत नेतृत्व दे सके?

हरियाणा में विपक्ष की भूमिका हमेशा मजबूत रही है। भजनलाल से लेकर ओमप्रकाश चौटाला तक, हरियाणा की राजनीति में विपक्षी दलों ने हमेशा सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। लेकिन वर्तमान में कांग्रेस जिस तरह की आंतरिक कलह और नेतृत्व संकट से गुजर रही है, वह पहले कभी नहीं देखा गया।

कांग्रेस का संकट और नेतृत्व की तलाश

कांग्रेस पार्टी फिलहाल नेतृत्व संकट से गुजर रही है। प्रदेश स्तर पर भूपिंदर सिंह हुड्डा के बाद पार्टी में कोई ऐसा बड़ा चेहरा नजर नहीं आ रहा, जो संगठन को संभाल सके। युवा नेतृत्व उभर नहीं पाया है और वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल की कमी स्पष्ट दिखती है। यह स्थिति भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, क्योंकि कांग्रेस के कमजोर होते ही भाजपा का जनाधार और मजबूत हो सकता है।

क्या हुड्डा के बाद कोई विकल्प है?

अगर हुड्डा को किनारे किया जाता है, तो कांग्रेस के पास कुछ ही विकल्प बचते हैं। रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और अशोक तंवर जैसे नेता राज्य स्तर पर अपनी पहचान रखते हैं, लेकिन हुड्डा के समान जनाधार और संगठनात्मक पकड़ किसी के पास नहीं है। सुरजेवाला राष्ट्रीय राजनीति में अधिक सक्रिय हैं, कुमारी शैलजा को पार्टी के भीतर व्यापक समर्थन नहीं मिलता, और अशोक तंवर पहले ही पार्टी से अलग हो चुके हैं।

भविष्य की राह

अगर कांग्रेस को हरियाणा में अपनी खोई हुई जमीन वापस पानी है, तो उसे संगठन को मजबूत करना होगा, जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़ना होगा और एक स्पष्ट नेतृत्व तय करना होगा। भाजपा की बढ़ती ताकत और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसी पार्टियों की संभावनाओं के बीच कांग्रेस को जल्द ही अपने संकट का हल निकालना होगा, अन्यथा हरियाणा में वह पूरी तरह हाशिये पर चली जाएगी।

भूपिंदर सिंह हुड्डा के बिना कांग्रेस का भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है। पार्टी के सामने यह सबसे बड़ा सवाल है कि क्या वह अपने पुराने जनाधार को फिर से मजबूत कर पाएगी या फिर हरियाणा की राजनीति में उसकी प्रासंगिकता धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी?

Who If Not Bhupinder Singh Hooda in Haryana? 🤔🇮🇳

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