सुचेता कृपलानी: उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री और विष का कैप्सूल

 


सुचेता कृपलानी: उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री और विष का कैप्सूल

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में असंख्य वीरों ने अपनी जान की बाजी लगाई थी, लेकिन कुछ नाम इतिहास के पन्नों में अपेक्षाकृत कम चर्चित रहे। सुचेता कृपलानी (1908-1974) न केवल स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख नेता थीं, बल्कि वह उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनीं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और अदम्य साहस का प्रमाण इस बात से मिलता है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे हमेशा अपने साथ ज़हर का एक कैप्सूल रखती थीं। इस कहानी में हम उनके जीवन, संघर्ष और इस अद्भुत तथ्य को विस्तार से जानेंगे।


सुचेता कृपलानी का प्रारंभिक जीवन और स्वतंत्रता संग्राम

सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को हरियाणा के अंबाला में हुआ था। उनके पिता सुरेश चंद्र मजूमदार एक सरकारी अधिकारी थे, लेकिन वे अपनी बेटी को पारंपरिक सीमाओं में बांधकर नहीं रखना चाहते थे। सुचेता ने लाहौर और दिल्ली में शिक्षा प्राप्त की और इंद्रप्रस्थ कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया। इसके बाद वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से आगे की पढ़ाई करने लगीं।

शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने राजनीति में रुचि लेनी शुरू की। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, उन्होंने गांधी जी के नेतृत्व में काम किया और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय रूप से भाग लिया।


स्वतंत्रता संग्राम और ज़हर का कैप्सूल

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, विशेष रूप से भारत छोड़ो आंदोलन में, अंग्रेज सरकार ने सख्त दमन चक्र चला रखा था। कई स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में डाल दिया गया, और कुछ को गुप्त रूप से मार भी दिया गया। इस दौर में, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई नेताओं को विश्वास था कि यदि वे पकड़े जाते हैं, तो अंग्रेज उनसे जबरदस्ती गुप्त जानकारियाँ निकाल सकते हैं या उनका मानसिक और शारीरिक शोषण कर सकते हैं।

इसी भय के कारण कई क्रांतिकारी अपने पास ज़हर की गोली या कैप्सूल रखते थे, ताकि वे गिरफ़्तार होने पर यातनाओं से बच सकें और अंग्रेजों को कोई जानकारी न दे सकें। सुचेता कृपलानी भी इसी विचारधारा का हिस्सा थीं। कहा जाता है कि वे हमेशा अपने पास ज़हर का कैप्सूल रखती थीं, ताकि अगर कभी वे अंग्रेजों के हाथ लगें और उन्हें प्रताड़ित किया जाए, तो वे अपनी जान देकर स्वतंत्रता संग्राम की गोपनीयता बनाए रख सकें।

हालांकि, सौभाग्य से उन्हें कभी इस कैप्सूल का उपयोग नहीं करना पड़ा। लेकिन यह उनकी निडरता और आत्म-त्याग की भावना को दर्शाता है।


आजादी के बाद का सफर और उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री

स्वतंत्रता के बाद, सुचेता कृपलानी भारतीय राजनीति में सक्रिय रहीं। वे भारतीय संविधान सभा की सदस्य बनीं और महात्मा गांधी के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों और समाज सुधार के लिए काम किया।

1952 में वे लोकसभा के लिए चुनी गईं और बाद में उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगीं। 1963 में, वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, जिससे वे भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनका कार्यकाल 1967 तक चला, जिसमें उन्होंने प्रशासनिक सुधारों पर जोर दिया।

सुचेता कृपलानी का जीवन साहस, संघर्ष और निस्वार्थ सेवा की मिसाल है। वे न केवल स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहीं, बल्कि आजादी के बाद भी उन्होंने देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके ज़हर के कैप्सूल रखने की कहानी उनकी दृढ़ संकल्प और निडरता को दर्शाती है। आज उनकी कहानी भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा है कि अगर हौसला हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।

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