पंजाब में किसान आंदोलन तेज़: 200 से अधिक किसानों की गिरफ्तारी से बढ़ा तनाव

 


पंजाब में किसान आंदोलन तेज़: 200 से अधिक किसानों की गिरफ्तारी से बढ़ा तनाव

पंजाब में किसानों का आंदोलन एक बार फिर सुर्खियों में है। किसान संगठनों के प्रमुख नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर सहित 200 से अधिक किसानों की गिरफ्तारी के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। किसानों का कहना है कि वे अपने हक और सरकार से किए गए वादों को पूरा करवाने के लिए सड़कों पर उतरे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है।

क्यों हो रही है किसानों की गिरफ्तारी?

पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर सहित कई जगहों पर किसान अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे थे। किसानों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी: किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिले।
कर्ज़ माफी: छोटे और सीमांत किसानों को राहत दी जाए।
पुराने आंदोलन से जुड़े मुकदमों की वापसी: 2020-21 किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लगाए गए केस वापस लिए जाएं।
बीमा और सब्सिडी: खेती के लिए सरकार विशेष पैकेज जारी करे।

लेकिन पुलिस ने अचानक कार्रवाई करते हुए 200 से अधिक किसानों को गिरफ्तार कर लिया, जिससे विरोध और बढ़ गया है।

क्या सरकार किसानों से किए वादे भूल गई?

पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार बनने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि उनके साथ न्याय होगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान और आप के अन्य नेताओं ने चुनाव से पहले किसानों के हित में कई बड़े वादे किए थे। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए सवाल उठने लगे हैं कि क्या आप सरकार अपने चुनावी वादे भूल गई?

किसानों का आरोप है कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले दबाव बनाने के लिए आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर गिरफ्तार नेताओं को तुरंत रिहा नहीं किया गया, तो वे बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

🔹 कांग्रेस: कांग्रेस ने इस मामले पर आप सरकार को घेरा और कहा कि किसानों को कुचलने की नीति अपनाई जा रही है।
🔹 अकाली दल: अकाली दल ने भी किसानों का समर्थन किया और कहा कि किसानों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
🔹 भाजपा: भाजपा का कहना है कि किसानों की मांगों को कानूनी तरीके से हल किया जाना चाहिए, न कि सड़कों पर।

किसान आगे क्या करेंगे?

किसान संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे आंदोलन तेज़ करेंगे और अगर सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो वे बड़ी रैलियों और चक्का जाम करने पर विचार करेंगे।

किसानों की गिरफ्तारी ने पंजाब में राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गर्मा दिया है। चुनावी वादों पर सवाल उठ रहे हैं और सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। क्या सरकार किसानों के साथ बातचीत कर कोई समाधान निकालेगी, या फिर यह आंदोलन और बढ़ेगा? यह देखना बाकी है।

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