पंजाब सरकार ने खत्म किया 14 महीने पुराना किसान आंदोलन: मोदी सरकार असफल, AAP सरकार सफल!

 


पंजाब सरकार ने खत्म किया 14 महीने पुराना किसान आंदोलन: मोदी सरकार असफल, AAP सरकार सफल!

किसान आंदोलन जिसे केंद्र सरकार 14 महीने तक नहीं तोड़ पाई, उसे AAP सरकार ने कैसे सुलझाया?

पिछले 14 महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर एक नया राजनीतिक मोड़ आया है। जिस आंदोलन को मोदी सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद समाप्त नहीं कर पाई, उसे पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने सफलतापूर्वक हल कर दिया। यह वही आंदोलन है, जिसके चलते केंद्र सरकार को सात बार अपने मंत्री चंडीगढ़ भेजने पड़े, और आज ही केंद्रीय मंत्रियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। अगली बैठक 4 मई को होने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही पंजाब सरकार ने इसे समाप्त कर दिया।

क्या था यह किसान आंदोलन?

यह किसान आंदोलन केंद्र सरकार की नीतियों और किसानों की लंबित मांगों को लेकर पिछले 14 महीनों से जारी था। किसानों का मुख्य रूप से विरोध एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी, कृषि कर्ज माफी, और बिजली सब्सिडी जैसे मुद्दों को लेकर था। इस आंदोलन ने केंद्र सरकार पर जबरदस्त दबाव बनाया और कई बार दिल्ली बॉर्डर, हरियाणा और पंजाब में बड़े प्रदर्शन देखने को मिले।

मोदी सरकार क्यों नहीं सुलझा पाई आंदोलन?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आंदोलन को खत्म करने के लिए कई कोशिशें कीं, लेकिन सभी नाकाम साबित हुईं। केंद्र सरकार ने:
✅ सात बार केंद्रीय मंत्रियों को वार्ता के लिए चंडीगढ़ भेजा
✅ किसानों से समझौता करने की कोशिश की
✅ कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया

लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे और केंद्र सरकार से ठोस गारंटी चाहते थे। इसी वजह से यह आंदोलन 14 महीने तक जारी रहा।

AAP सरकार ने कैसे किया समाधान?

पंजाब की AAP सरकार ने किसानों से सीधी बातचीत की और उनकी मांगों को गंभीरता से लिया। सरकार ने:
🔹 किसानों की बिजली सब्सिडी पर ठोस आश्वासन दिया
🔹 कृषि कर्ज माफी को लेकर सकारात्मक कदम उठाए
🔹 एमएसपी को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने का भरोसा दिया
🔹 संवाद का नया तरीका अपनाया, जिससे किसानों को सरकार की नीयत पर भरोसा हुआ

इसी के चलते, किसान संगठनों ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी।

AAP सरकार की सफलता, बीजेपी की विफलता?

AAP सरकार की इस रणनीति ने उसे किसानों के बीच मजबूत किया, जबकि मोदी सरकार की नाकामी को उजागर किया।
🔸 क्या यह मोदी सरकार की किसान नीतियों की हार है?
🔸 क्या AAP सरकार किसानों की असली हितैषी बनकर उभरी है?
🔸 क्या केंद्र सरकार को भी अब AAP सरकार से सीखना चाहिए?

राजनीतिक असर

इस फैसले से पंजाब में AAP की लोकप्रियता और बढ़ेगी, जबकि बीजेपी को किसानों के समर्थन में और गिरावट देखने को मिल सकती है। अगले चुनावों में यह मुद्दा बड़ा राजनीतिक प्रभाव डाल सकता है।

क्या कहती है जनता?

इस बड़े बदलाव पर आपकी क्या राय है? क्या AAP सरकार ने सही कदम उठाया, या यह सिर्फ राजनीतिक रणनीति है? कमेंट में अपनी राय दें!

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