जानिए कैसे एक छोटे से गाँव के लड़के ने संघर्ष कर UPSC परीक्षा पास की और देश का गौरव बना भारत में


जानिए कैसे एक छोटे से गाँव के लड़के ने संघर्ष कर UPSC परीक्षा पास की और देश का गौरव बना भारत में UPSC परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों युवा इस परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन केवल कुछ ही इसे पास कर पाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे युवा की प्रेरणादायक कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी मेहनत, लगन और संघर्ष से इस कठिन परीक्षा को पास किया और अपने गाँव और देश का नाम रोशन किया। गाँव की पृष्ठभूमि और कठिनाइयाँ यह कहानी है रामकुमार वर्मा की, जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में पैदा हुए। उनके पिता एक किसान थे और माँ गृहिणी। गाँव में अच्छी शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी, और संसाधनों की कमी थी। बिजली की समस्या, इंटरनेट की अनुपलब्धता और महंगी किताबें उनके लिए बड़ी बाधाएँ थीं। लेकिन रामकुमार ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा गाँव के सरकारी स्कूल से पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए शहर गए। पैसों की तंगी के कारण उन्हें ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकालना पड़ा। संघर्ष और मेहनत का सफर जब उन्होंने UPSC की परीक्षा देने का फैसला किया, तब उनके पास कोई कोचिंग की सुविधा नहीं थी। उन्होंने खुद से पढ़ाई करने का निश्चय किया। उनके पास महंगी किताबें खरीदने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने पुराने किताबें खरीदीं और लाइब्रेरी में घंटों बिताए। रामकुमार का दिन 14-16 घंटे की पढ़ाई से शुरू होता और रात को थककर सो जाते। उन्होंने अपनी असफलताओं से सीखा और हर बार खुद को और बेहतर बनाया। पहली असफलता और फिर सफलता की राह पहले प्रयास में वे प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाए। दूसरे प्रयास में वे मेंस तक पहुँचे, लेकिन इंटरव्यू में असफल रहे। तीसरे प्रयास में उन्होंने अपनी गलतियों को सुधारा और पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दी। इस बार वे सफल हुए और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए चुने गए। परिवार और गाँव का गौरव उनकी सफलता से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा गाँव गर्व महसूस कर रहा था। जब वे पहली बार अपने गाँव लौटे, तो उनका भव्य स्वागत किया गया। गाँव के बच्चों के लिए वे प्रेरणा बन गए और उन्होंने सभी को शिक्षा का महत्व समझाया। युवाओं के लिए प्रेरणा रामकुमार की कहानी हमें सिखाती है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर हौसला और मेहनत हो, तो सफलता जरूर मिलती है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि संसाधनों की कमी कभी भी सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकती। आज वे एक ईमानदार और मेहनती अधिकारी के रूप में देश की सेवा कर रहे हैं और अपने गाँव के अन्य बच्चों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो संघर्षों से घबराते हैं। मेहनत और धैर्य ही सफलता की असली कुंजी है।

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