कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी: एक के बाद एक हार, संगठन और रणनीति पर उठे सवाल

कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी: एक के बाद एक हार, संगठन और रणनीति पर उठे सवाल

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए हाल के चुनावी नतीजे खतरे की घंटी बजा रहे हैं। पहले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हार, फिर हरियाणा में सत्ता गंवाना, और अब दिल्ली नगर निगम उपचुनाव में 68 उम्मीदवारों की जमानत जब्त होना—इन सभी घटनाक्रमों ने कांग्रेस को झकझोर कर रख दिया है। इन लगातार मिल रही असफलताओं ने न केवल पार्टी की राजनीतिक पकड़ को कमजोर किया है, बल्कि इसके अस्तित्व पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

दिल्ली में कांग्रेस का शर्मनाक प्रदर्शन
दिल्ली के नगर निगम उपचुनाव में कांग्रेस के 68 उम्मीदवारों की जमानत जब्त होना पार्टी के लिए गंभीर झटका है। यह बताता है कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस की पकड़ कितनी कमजोर हो चुकी है। दिल्ली कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) के उभार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मज़बूत रणनीति के कारण कांग्रेस यहां हाशिए पर पहुंच गई है।

कांग्रेस की हार के मुख्य कारण
संगठन की कमजोरी – कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा पूरी तरह चरमरा चुका है। बूथ स्तर पर कार्यकर्ता सक्रिय नहीं हैं और नेतृत्व जमीनी हकीकत से कटा हुआ है।
स्पष्ट रणनीति का अभाव – पार्टी के पास कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है कि वह किस तरह से जनता को अपने पक्ष में करे। मुद्दों पर कांग्रेस का रुख अस्थिर रहता है।
युवाओं से दूरी – कांग्रेस युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में असफल रही है। जबकि बीजेपी और आप सोशल मीडिया और आधुनिक प्रचार माध्यमों के जरिए युवाओं से संवाद स्थापित कर रही हैं।
स्थानीय नेतृत्व का अभाव – कांग्रेस के पास हर राज्य में मज़बूत स्थानीय नेता नहीं हैं, जो पार्टी के पक्ष में माहौल बना सकें।
ईवीएम पर सवाल, लेकिन कोई ठोस रणनीति नहीं – कांग्रेस बार-बार ईवीएम पर सवाल उठाती है, लेकिन इसे हटाने के लिए कोई ठोस आंदोलन खड़ा करने में असफल रही है।
कांग्रेस को क्या करना चाहिए?
अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस इस संकट से कैसे बाहर निकले? अगर पार्टी को अपना अस्तित्व बचाना है, तो उसे तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे।

मजबूत संगठन का निर्माण – कांग्रेस को सबसे पहले अपने संगठन को पुनः खड़ा करना होगा। हर राज्य में जमीनी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना होगा और बूथ स्तर तक मजबूत नेटवर्क बनाना होगा।
देश के मुद्दों पर आंदोलन – बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के मुद्दे, महिला सुरक्षा जैसे विषयों पर कांग्रेस को जनता के बीच जाना होगा और लगातार सड़कों पर आंदोलन करना होगा।
युवाओं से जुड़ाव – डिजिटल मीडिया और जमीनी स्तर पर कैंपेनिंग के जरिए कांग्रेस को युवाओं से जुड़ना होगा। कांग्रेस को स्पष्ट विज़न के साथ युवाओं को पार्टी से जोड़ने की नीति बनानी होगी।
लोकल लीडरशिप को बढ़ावा – हर राज्य में मज़बूत स्थानीय नेता तैयार करने होंगे, जो जनता के बीच लोकप्रिय हों और पार्टी को ज़मीनी स्तर पर मजबूती दें।
ईवीएम हटाने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन – अगर कांग्रेस को ईवीएम पर शक है, तो उसे सिर्फ बयानबाजी से काम नहीं चलेगा। पार्टी को इसके खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर ठोस आंदोलन खड़ा करना होगा।
कांग्रेस की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। अगर पार्टी जल्द ही खुद को नहीं संभालती, तो आने वाले चुनावों में और भी बुरी स्थिति हो सकती है। कांग्रेस को सिर्फ चुनावी राजनीति तक सीमित न रहकर जमीनी संघर्ष करना होगा और जनता के मुद्दों पर निरंतर आंदोलन करना होगा। अन्यथा, वह धीरे-धीरे भारतीय राजनीति से गायब हो सकती है।

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