"कोटा ड्रग्स स्कैंडल: बच्चों की जिंदगी पर काला साया"

"कोटा ड्रग्स स्कैंडल: बच्चों की जिंदगी पर काला साया"


राजस्थान के कोटा शहर, शिक्षा नगरी के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से, कोटा के भीतर एक गहराई में छिपी कहानी सामने आ रही है। एक कहानी जो इस शिक्षा नगरी की छवि को चुनौती दे रही है।"छात्रों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं से लेकर ड्रग्स के जाल में फंसते युवा – कोटा की सच्चाई धीरे-धीरे बाहर आ रही है।"हाल ही में पुलिस ने ऑपरेशन ‘वज्र प्रहार’ के तहत 124 ड्रग्स आप्राधिकों को गिरफ्तार किया। इन लोगों का धंधा छात्रों को नशे के जाल में फंसाने का है।" स्टिंग ऑपरेशन में यह स्पष्ट हुआ कि कैसे ड्रग्स अब एक साधारण रूटीन बन गए हैं। लड़के और लड़कियां अपनी पढ़ाई के साथ-साथ नशे की लत में डूबते जा रहे हैं। "माता-पिता अपने बच्चों को कोटा शिक्षा की रोशनी देने भेजते हैं, लेकिन वहां उनका सामना ऐसे अंधेरे से होता है जिससे उबरना आसान नहीं।""पहले दोस्तों के कहने पर, फिर धीरे-धीरे आदत। यहां के सीनियर हमें नशे में धकेलते हैं, और हम उनके जाल में फंसते चले जाते हैं।""कोटा का संघर्ष अभी भी जारी है, लेकिन इस बार इसे जीतने के लिए सभी को एक साथ कदम उठाने होंगे। शिक्षा के नाम पर नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए। देखे कुलदीप खंडेलवाल की खास रिपोर्ट "अगर आपको यह वीडियो पसंद आया, तो लाइक करें और सब्सक्राइब करें। साथ ही, अपनी राय भी जरूर साझा करें। 

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राजस्थान का कोटा शहर शिक्षा नगरी के तौर पर अपनी अलग पहचान बना चुका है. लेकिन पिछले कुछ समय से कोटा को लगातार अपनी इस पहचान को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. कोटा की छवि पर पहले से ही छात्रों के आत्महत्या करने की घटनाओं से असर पड़ा है. इसे लेकर काफी चर्चा हुई और प्रयास किए गए लेकिन छात्रों की खुदकुशी का सिलसिला रुका नहीं है. इसके बाद इस साल कोटा से यह भी खबर आ रही है कि वहां छात्रों की संख्या लगातार घटती जा रही है और कोचिंग संस्थान और इसपर निर्भर लोगों में चिंता है. अब इसी बीच कोटा से एक और चिंताजनक ख़बर आई है कि वहां ड्रग्स माफिया सक्रिय है। माता पिता अपने बच्चों के भविष्य का निर्माण के लिए कोटा भेजते हैं पर वहां बच्चे नशा की तरफ बढ़ रहे हैं नशा भी कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि ड्रग्स का नशा कर रहे हैं। इसलिए कोटा भेजने से पहले मां और बाप हो जाए सावधान कोटा पुलिस ने हाल ही में ड्रग्स कारोबारियों के ख़िलाफ़ एक बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने कोटा में अलग-अलग स्थानों से 124 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये अपराधी कोटा में ड्रग्स, स्मैक, चरस, गांजा बेचते थे. कोटा में पढ़ने वाले बच्चे भी इनके आसान शिकार होते थे. बीते कुछ समय में ड्रग्स का धंधा करने वाले अपराधियों ने कोटा में खूब पांव पसारे थे. कोटा की पुलिस अधीक्षक अमृता दुहान ने बताया कि ऑपरेशन वज्र प्रहार के तहत विभिन्न थानों नें पुलिस ने कार्रवाई की.सप्ताह काबिलियत का टेस्ट…और उससे भी बड़ा डर- जेईई/नीट में सिलेक्शन नहीं हुआ तो? मम्मी-पापा क्या कहेंगे? रिश्तेदार क्या कहेंगे? ये वो सवाल हैं, जो कोटा में कोचिंग कर रहे हैं लगभग हर एवरेज स्टूडेंट के दिमाग में घूमते हैं। तनाव बढ़ाते हैं। मासूम स्टूडेंट्स के इसी तनाव का फायदा नशे का कारोबार करने वाले उठा रहे हैं। स्ट्रेस दूर करने के नाम पर स्टूडेंट्स को ड्रग एडिक्ट बना रहे हैं। चाय की थड़ी और किराना स्टोर से लेकर हॉस्टल तक नशे का कारोबार चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय समाचार पत्र के स्टिंग ऑपरेशन की टीम तीन दिनों तक कोटा के जवाहरनगर और लैंडमार्क सिटी इलाके में घूमी। एक-एक हॉस्टल के बाहर पहुंची और नशे के कारोबार को समझने की कोशिश की। स्टिंग ऑपरेशन में एक बात सामने आई जो आपको हैरानी में डाल सकती है और यह बात है की लड़कियां भी नशा कर रही हैं। मेस वाले लड़के ने उनको बताया कि कोटा में कोचिंग कर रहे कई लड़के और लड़कियां नशा करते हैं। इससे नींद अच्छी आती है और दिमाग हल्का हो जाता है। गांजा सस्ता पड़ता है और सिगरेट में आसानी से भरकर कहीं भी बैठकर पी सकते हैं तो स्टूडेंट्स इसे ही पसंद करते हैं।

कुछ स्टूडेंट्स ने तो अपनी सेटिंग किराना की दुकानों और चाय की थड़ियों पर कर रखी है। वहीं, कुछ स्टूडेंट्स सीधे बाइक पेडलर्स के संपर्क में हैं, जिन्हें शाम होते ही हॉस्टल के बाहर डिलीवरी मिल जाती है। इसके अलावा कुछ स्टूडेंट्स को डर लगता है तो उन्हें हम लाकर दे देते हैं। इससे हमारा नशा भी हो जाता है और थोड़ी कमाई भी हो जाती है। अभी 3 सुसाइड्स के बाद पुलिस सख्ती बढ़ने के बाद स्टूडेंट्स को हॉस्टल के अंदर ही सप्लाई मिल रही है। इस मामले में एसपी अमृता दुहान ने कहा, "हमने इस अभियान के तहत सुबह-सुबह ऐसी जगहों पर कार्रवाई की जहां से कोचिंग छात्रों को मादक पदार्थों की सप्लाई होती थी. हमने पहले भी ऐसी कार्रवाई की है और आगे भी करते रहेंगे."कोटा के छात्रों को कैसे लग रही नशे की लत दरअसल घर से दूर रह कर बेहतर रिजल्ट के दबाव में रहने वाले बच्चे आसानी से इस रैकेट का शिकार हो जाते हैं. इस रैकेट का शिकार बने सूरज नाम के एक छात्र ने राष्ट्रीय चैनल से अपनी आपबीती साझा की. सूरज ने बताया कि कोटा आने के कुछ महीने बाद ही वह ड्रग्स लेने लगे. सूरज ने बताया कि उनके होस्टल में कई सीनियर ड्रग्स लेते थे और उनसे दोस्ती के बाद वह भी नशे की गिरफ्त में फंस गए. नशा का आदी बनाने के लिए वह एक ख़तरनाक खेल खेलते हैं एक बार लेकर देखो. मैंने लिया और धीरे-धीरे मैं इसका आदी होने लगा, या ऐसा कहें कि उन्होंने मुझे बना दिया. ये लोग किसी के दोस्त नहीं हैं, ये रैकेट चलाते हैं." सूरज ने कहा,"मुझे मेरे दोस्तों ने कहा कि एक बार लेकर देखो. मैंने लिया और धीरे-धीरे मैं इसका आदी होने लगा, या ऐसा कहें कि उन्होंने मुझे बना दिया. ये लोग किसी के दोस्त नहीं हैं, ये रैकेट चलाते हैं. उनका धंधा ही है कि नए बच्चों को लाकर इस जाल में फंसाएं और उनसे पैसे लेकर नशा कर पाएं. पैसे नहीं मिलने पर वो कुछ भी कर सकते हैं.” सूरज की तरह कोटा में बड़ी संख्या में बच्चे नशे का शिकार हैं. दरअसल घर से दूर अकेले रहने वाले बच्चों पर मां-बाप की उम्मीदों का बोझ और कामयाबी का दबाव होता है जिससे वो अक्सर टूट जाते हैं. सिर्फ इस साल अब तक 14 बच्चों ने आत्महत्या कर ली. कुछ बच्चे कोटा से भाग गए. "कोटा की पहचान को बनाए रखने के लिए हमें मिलकर जिम्मेदारियों को उठाना होगा। ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई एक सामूहिक प्रयास है, जो छात्रों और उनकी उम्मीदों को बचाने में मददगार हो सकता है। अगर आपको यह वीडियो मददगार लगा हो, तो लाइक करें, कमेंट करें, और अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करें।"

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