हरियाणा विधानसभा चुनाव की जमीनी तस्वीर: कौन है सबसे आगे?

 हरियाणा विधानसभा चुनाव की जमीनी तस्वीर: कौन है सबसे आगे?

गांवों की चुनावी तस्वीर से राज्य की राजनीति साफ हो जाती है। शहरों की अपेक्षा, गांवों में चुनावी सरगर्मियां ज्यादा रहती हैं। हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में बुजुर्ग राजनीति में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं और खुले दिल से राजनीति पर चर्चा करते हैं। 


गांवों की चुनावी तस्वीर से राज्य की राजनीति साफ हो जाती है। शहरों से ज्यादा गांवों में चुनावों की सरगर्मियां रहती हैं। हरियाणा राज्य में युवाओं से ज्यादा बड़े-बूढ़े एक्टिव रहते हैं। गांव में बुजुर्ग तपाक से आपसे बात करेंगे। गांव की राजनीति के बारे में खुलकर बोलेंगे। बीजेपी सत्ता के रेस से बाहर नहीं है। कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं मगर सत्ता की चाबी निर्दलियों के हाथ में ही रहेगी। निर्दलीय मैदान में उतरे बागी चुनाव के गणित को उलझा रहे हैं। पिछले चुनाव में जीते निर्दलीय विधायकों से भी जनता खुश है। अंबाला कैंट से अनिल विज लगातार छह बार चुनाव जीत चुके हैं। मगर इस बार कहानी अटक रही है। विज को इस बार संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां से कांग्रेस ने परिविंदर सिंह परी को टिकट दिया है मगर सीधे मुकाबले में निर्दलीय चित्रा सरवारा से हैं। चित्रा कांग्रेस में थीं मगर टिकट न मिलने के कारण उन्होंने निर्दलीय ताल ठोंक दी। हिसार से सावित्री जिंदल निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। उनके बेटे नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद हैं। सावित्री जिंदल ने भी बीजेपी से टिकट मांगा था मगर नहीं मिला इसलिए उन्होंने निर्दलीय ही ताल ठोंक दी। जब ग्राउंड रिपोर्ट की टीम ने हिसार में गरीब तबके से बात की तो उन्होंने सावित्रि जिंदल का नाम लिया। लोगों का कहना है कि सावित्री जिंदल बहुत अच्छी हैं और दयालु भी हैं। हमारी बात वह सुनती हैं। बीजपी और कांग्रेस के प्रत्याशी तो सीधे मुंह बात नहीं करते । इसके बाद बात करें पुंडरी विधानसभा की तो वहां से सतबीर भाणा चुनाव में बाजी मार सकते हैं। सतबीर ने 2019 का चुनाव कांग्रेस से लड़ा था पर कड़े मुकाबले में वो हार गया था पर अबकी बार वो मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं। इसी प्रकार से मजबूत पकड़ कलायत में अनीता ढुल की भी बताई जा रही है। अनीता पिछले दस साल से मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। सबसे खास बात तो यह है की कलायत विधानसभा में विकास और कमलेश का विरोध है।

इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो चुका है। बीजेपी सत्ता की दौड़ से बाहर नहीं है, जबकि कांग्रेस आत्मविश्वास से भरी हुई है। लेकिन सत्ता की चाबी शायद फिर से निर्दलीयों के हाथ में रहेगी।

  • अंबाला कैंट से लगातार छह बार के विजेता अनिल विज को इस बार कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। उनके सामने निर्दलीय उम्मीदवार चित्रा सरवारा चुनौती पेश कर रही हैं।
  • हिसार से सावित्री जिंदल, जो दयालु और जनता के बीच लोकप्रिय हैं, निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। स्थानीय जनता उनकी सराहना कर रही है।
  • पुंडरी में सतबीर भाणा मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं, जबकि कलायत में अनीता ढुल की पकड़ बरकरार है।
  • गन्नौर में देवेंद्र कादयान और बहादुरगढ़ में राजेश जून की चर्चा है।

हरियाणा की चुनावी तस्वीर पर नज़र रखना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी गणित को उलझा रहे हैं। जनता के मन की बात और नेता की छवि ही तय करेगी कि इस बार बाजी कौन मारेगा।

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