श्री चैतन्य स्कूल टोहाना के पास आठवीं से आगे नहीं है मान्यता फिर भी लाखों रुपए देकर समझदार लोग करवा रहे हैं एडमिशन क्या वो लोग हैं समझदार ?विधायक नीरज शर्मा ने भी शिक्षा माफिया पर उठाया सवाल फिर भी नहीं हुआ बवाल ?

श्री चैतन्य स्कूल टोहाना के पास आठवीं से आगे नहीं है मान्यता फिर भी लाखों रुपए देकर समझदार लोग करवा रहे हैं एडमिशन क्या वो लोग हैं समझदार ?
विधायक नीरज शर्मा ने भी शिक्षा माफिया पर उठाया सवाल फिर भी नहीं हुआ बवाल ?
कुलदीप खंडेलवाल 
शिक्षा माफिया के आगे आखिर क्यों शासन प्रशासन नतमस्तक रहता है सीधा से है इसके दो जवाब बाप बड़ा ना भइया सबसे बड़ा रूपया जब शासन प्रशासन के आगे चढ़ावा चढ़ेगा तो शिक्षा माफिया के आगे नतमस्तक तो होगा ही फिर तो प्रशासन स्कूल के लिए नियम और कानून सब खूंटी के टांग देगा। ऐसा ज्यादातर बार देखने को सामने आता है। अब एक स्कूल नामी टोहाना में इस वक्त चर्चा में है की उसका अपना नाम भी नियमों के अनुसार रजिस्ट्रेशन में नहीं है। उसका नाम कागजों में जीडी गोयंका ही है। पहले यह जीडी गोयंका ही था। इसके बाद उसने यह स्कूल दुसरी संस्था को दे दिया उसने अब तक तो मान्यता भी आठवीं तक ली हुई है पर कक्षाएं बारहवीं तक बिठाए हुए हैं। उस स्कूल का नाम है श्री चैतन्य इंटरनेशनल स्कूल है। टोहाना के पहले ऐसा मामला भिवानी के तोशाम बाईपास स्थित श्री चैतन्य टेक्नो स्कूल का भी आया था। जिसमें सामने आया था की नर्सरी से बारहवीं तक संचालित किया जा रहा है। नौ अप्रैल को स्कूल में बच्चों के अभिभावकों से स्कूल ड्रेस और किताबों के नाम पर हजारों रुपये लिए जाने को लेकर हंगामा हो गया था। इसके बाद वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इसके बाद विद्यालय सुर्खियों में आया तो इसकी मान्यता को लेकर भी सवाल उठा। इसकी जांच भी शिक्षा अधिकारियों ने आरंभ की। स्कूल प्रबंधन को शिक्षा अधिकारियों ने दो बार नोटिस देकर मान्यता से जुड़े दस्तावेज तलब किए, मगर, दोनों ही बार में स्कूल यहां मान्यता के न तो दस्तावेज पेश कर पाया न ही मान्यता संबंधी कोई प्रमाण विभाग के पास मिला। इसके बाद, 17 अप्रैल को भिवानी खंड शिक्षा अधिकारी डॉ अनिल गौड़ ने बिना मान्यता के ही स्कूल में बच्चों के दाखिला किए जाने के संबंध में विद्यालय पर कार्रवाई के लिए अपनी अनुशंसा उच्चाधिकारियों को भेज दी थी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के यह भी संज्ञान में आया है कि श्री चैतन्य टेक्नो की भिवानी के अलावा रोहतक, हिसार, महम, जींद, गुरुग्राम सहित प्रदेश के करीब सभी बड़े-बड़े शहरों में ब्रांच खोली जा रही हैं, जिनकी मान्यता को लेकर भी अब संशय बना है।

टोहाना के बीईओ कार्यवाही करने में नजर आ रहे हैं लाचार ?

इस मामले पर खंड शिक्षा अधिकारी जवाब दे रहे हैं की उन्होंने स्कूल का निरीक्षण किया तो काफी खामियां मिलीं और उनसे जो मान्यता से संबंधित दस्तावेज मांगे गए वो प्रोवाइड नहीं करवा पाए। हमने स्कूल को नोटिस दिया था और उपरोक्त अधिकारियों को जानकारी दे दी थी। स्कूल ने कहा था की मान्यता के लिए फाइल लगाई हुई है। उस फ़ाइल को लगाए हुए एक साल हो गए हैं। हम कानूनी कार्यवाही करेंगे। फाइल को लगाए हुए एक साल हो गया है पर अभी तक ना तो मान्यता प्राप्त हुई है जबकि नियमानुसार जब तक मान्यता ना हो तब तक वो आगे की कक्षाएं नहीं लगा सकते हैं। इस मामले पर खंड शिक्षा अधिकारी भी बेबस नजर आ रहे हैं मानो वो कुछ करना चाहते हो पर वो कुछ नहीं कर पा रहे हो। सीधी सी बात है वो जिला और खंड के शिक्षा अधिकारियों को क्या समझते होंगे उनका सीधा शिक्षा मंत्री और डायरेक्टर से खेल खेलते होंगे फिर खंड शिक्षा अधिकारी की क्यो करेंगे परवाह अब इस मामले में तो टोहाना के अभिभावकों को सोचना चाहिए की जो लाखों रूपए देकर हाई फाई सोसाइटी में कहेंगे की हमारा बच्चा तो श्री चेतन्य स्कूल में पढ़ता है। इस बात को वो शान समझेंगे पर उनकी शान तब बर्बाद हो जाएगी जब उन्हें सामने वाला कहेगा की उस स्कूल के पास तो मान्यता भी नहीं है और तुम लाखों रूपए दे रहे हो अक्ल वक्ल भी है क्या वो संस्थान तुम्हें बेवकूफ बनाकर लूट रहा है और तुम लुटे भी जा रहे हो और बच्चे का भविष्य भी खराब कर रहे हो। कैसे इन्सान है तुम फिर क्या जवाब होगा उस अभिभावक पर जरा सोचिए और समझिए कहीं खबर पढ़ते सुनते हुए आपको फिल तो नहीं हो रहा है की मेरा बच्चा भी श्री चैतन्य में पढ़ता है मैं बेवकूफ हूं जिस स्कूल में मेरा बच्चा पढ़ रहा है वहां तो मान्यता ही नहीं है बिना नियम कायदे के स्कूल में पढ़ा रहा हूं। अब इस बात पर अपनी बेवकूफी पर थोड़ा मुस्कराइये और अपने आप को कहिए दुनिया को मैं बेवकूफ बनाता हूं। श्री चैतन्य ने मुझे बना दिया। दिल को समझाने के लिए कहिए मैंने तो स्कूल की सुविधाएं और स्टैंडर्ड देखा था वो पसंद आया था। तभी तो दाखिला करवाया था। उस अभिभावक ने जूते कपड़े खरीदते वक्त पुरी दुकान का सम्मान बिखराव करवा दिया था पर बच्चों के भविष्य के लिए बाहरी खेल देख लिया था। मान्यता वान्यता तो देखी नहीं थी। खैर कथावाचक की बातों पर विश्वास करते होंगे तो कहेंगे पाप की कमाई रास नहीं आई और बच्चों को सेंध मार गई। इन सब में प्रदेश सरकार की व्यवस्था सामने आ गई की बिना मान्यता के स्कूल चल रहे हैं और जिला अधिकारी भी नियम नियम खेल रहे हैं और कह रहे हैं कि जिले में बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला नहीं होने दिया जाएगा। निदेशालय से रिपोर्ट आई है, उसमें फतेहाबाद खंड का एक स्कूल है। बिना मान्यता से चल रहे स्कूलों की बीईओ से रिपोर्ट मांगी गई है। पर बीईओ साहब लाचार नजर आ रहे हैं। दुसरी तरफ विपक्ष भी शिक्षा माफिया से सवाल उठा रहा है।

विधायक नीरज शर्मा ने सीबीएसई और एचएसईबी द्वारा चल रहे स्कूलों की संख्या के बारे में सवाल रखा है। उन्होंने बिंदुवार सवाल रखे हैं। राज्य में सीबीएसई बोर्ड और हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या जिला वार मांगी है। स्कूलों के पास व्यवसाय प्रमाण पत्र, संरचना स्थिरता प्रमाण पत्र, साफ सुथरा प्रमाण पत्र, अग्नि एनओसी का भी प्रमाण मांगा है। दो एकड़ से अधिक भूमि पर चल रहे स्कूलों में एनओसी नहीं होने पर उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की है, इसकी भी जिला वार रिपोर्ट विधायक ने मांगी है।
शिक्षा निदेशालय ने जिला वार बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में नए शिक्षा सत्र से बच्चों के दाखिला नहीं होने देने और इनकी सूची सार्वजनिक किए जाने संबंधी आदेश दिए हैं। खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से जिले में बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों का सर्वेक्षण कराया गया था अब इसी सूची की फिजिकल वेरिफिकेशन कराने के बाद इनकी सूची सार्वजनिक की जाएगी और अभिभावकों को भी इन स्कूलों में बच्चों के दाखिला नहीं कराने के लिए आगाह किया जाएगा।

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