हिंदू खतरे में नहीं, बल्कि देश खतरे में है: खुल गया पर्दा, क्यों औरंगजेब और मस्जिद में उलझा रहा था 'विश्वगुरु'?"

हिंदू खतरे में नहीं, बल्कि देश खतरे में है: खुल गया पर्दा, क्यों औरंगजेब और मस्जिद में उलझा रहा था 'विश्वगुरु'?" देश की राजनीति में एक नया मोड़ आ चुका है। हर तरफ चर्चा है कि 'हिंदू खतरे में हैं' , लेकिन असली सवाल यह है—क्या सच में हिंदू खतरे में हैं, या यह एक राजनीतिक चाल है? दरअसल, खतरे में तो देश है , उसकी अर्थव्यवस्था, उसकी सामाजिक एकता और उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था। लेकिन जनता को असली मुद्दों से भटकाने के लिए कभी औरंगजेब को उखाड़ने की बात होती है, तो कभी मस्जिद-मंदिर की बहस को हवा दी जाती है। 1. असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का खेल देश महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और शिक्षा व्यवस्था की खस्ताहाल स्थिति से जूझ रहा है। लेकिन इन गंभीर मुद्दों पर बात करने के बजाय मीडिया और सत्ता धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने में लगी हुई है। क्या आपको याद है कि पिछली बार कब सरकार ने बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं, शिक्षा सुधार या स्वास्थ्य सेवाओं पर ठोस चर्चा की थी? 2. औरंगजेब से लड़ाई, लेकिन महंगाई से नहीं? हर चुनाव से पहले मुगल इतिहास को ज़िंदा कर दिया जाता है। औरंगजेब क...