"कुर्सी की खातिर जनता को झूठा बनाते नेता!
"कुर्सी की खातिर जनता को झूठा बनाते नेता!"
(– और हम पूछेंगे सवाल, खरी-खरी, देसी जुबान में!)
(देसी ठाठ में):
हल्की ढोलक और बैंजो की बीट)
"नेताजी बोले थे सड़क बनवाएंगे... ना बनी!
नेताजी बोले थे रोज़गार देंगे... ना मिला!
नेताजी बोले थे ‘परिवर्तन’ आएगा...
पर आया तो बस झूठ, घोटाला और जुबानी जुगलबंदी!"
आज बात करेंगे उन वादों की,
जो हर बार चुनाव से पहले किए जाते हैं —
और चुनाव के बाद फाइल में गाड़ दिए जाते हैं।
नाम सै – जुबान देसी, बात कड़वी
और ए पहला एपिसोड सै –
‘कुर्सी की खातिर जनता को झूठा बनाते नेता!’
🔥
"सत्ता हो या विपक्ष — सवाल सब पे बराबर!"
जुबान देसी, बात कड़वी
"जुबान सै देसी... पर बात सै कड़वी!
ना किसी पार्टी का डर, ना सत्ता का लिहाज़!
ये सै हरियाणा की जनता की आवाज –
नेता थारे सवालां के जवाब दे या गद्दी छोड़ दे!"
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