कर्नाटक कांग्रेस में तकरार! गुटबाजी पर नियंत्रण के लिए AICC का सख्त निर्देश
कर्नाटक कांग्रेस में तकरार! गुटबाजी पर नियंत्रण के लिए AICC का सख्त निर्देश
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के कुछ ही महीनों के भीतर पार्टी के अंदर गुटबाजी और आपसी कलह की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं। राज्य में सत्ता के लिए संघर्ष और नेताओं के बीच खींचतान ने पार्टी नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। इस संदर्भ में, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने कर्नाटक इकाई को सख्त निर्देश जारी करते हुए गुटबाजी को तत्काल समाप्त करने का आदेश दिया है।
गुटबाजी की जड़ें
कर्नाटक कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के नेतृत्व में दो अलग-अलग धड़े बने हुए हैं। सिद्धारमैया मुख्यमंत्री हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता माने जाते हैं, जबकि डीके शिवकुमार राज्य अध्यक्ष के रूप में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। इन दोनों नेताओं के बीच सत्ता और प्रभाव को लेकर खींचतान जारी है।
सूत्रों के अनुसार, विधायकों और मंत्रियों के बीच भी मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। कुछ विधायक अपने विकास कार्यों की उपेक्षा और फंड आवंटन में भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। इसके अलावा, कुछ मंत्री मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) पर एकतरफा निर्णय लेने का आरोप लगा रहे हैं।
AICC का हस्तक्षेप
पार्टी नेतृत्व ने राज्य में बढ़ती अस्थिरता को देखते हुए तत्काल कदम उठाने का फैसला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। AICC ने राज्य के नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल ने हाल ही में कर्नाटक के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की और गुटबाजी समाप्त करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "यह समय व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का नहीं, बल्कि सरकार की स्थिरता और जनकल्याण पर ध्यान केंद्रित करने का है।"
आगे की रणनीति
AICC ने कर्नाटक कांग्रेस को निर्देश दिया है कि पार्टी के अंदरूनी मुद्दों को जल्द से जल्द हल किया जाए। इसके लिए एक समन्वय समिति का गठन किया गया है, जो नेताओं और विधायकों के बीच संवाद स्थापित करने का काम करेगी। इसके साथ ही, सरकार और पार्टी संगठन के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने के लिए नई रणनीतियां बनाई जा रही हैं।
AICC ने चेतावनी दी है कि अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं और विधायकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पार्टी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी विधायकों को समान अवसर और महत्व मिले, ताकि असंतोष की भावना को रोका जा सके।
जनता की उम्मीदें और विपक्ष का दबाव
कर्नाटक कांग्रेस सरकार को जनता की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है। पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कई बड़े वादे किए थे, जिनमें मुफ्त बिजली, बेरोजगारी भत्ता, और किसानों के लिए कर्जमाफी शामिल है। लेकिन गुटबाजी और अंदरूनी खींचतान के चलते इन योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी हो रही है।
विपक्षी भाजपा और जेडीएस इस स्थिति का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा ने कांग्रेस पर "अराजकता और अस्थिरता की राजनीति" का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस गुटबाजी से राज्य की जनता प्रभावित हो रही है।
निष्कर्ष
कर्नाटक में कांग्रेस के सामने चुनौती केवल अपनी सरकार को स्थिर बनाए रखने की नहीं है, बल्कि पार्टी के अंदर एकता और अनुशासन को भी बनाए रखना है। AICC का हस्तक्षेप और सख्त रुख पार्टी के लिए राहत की बात हो सकती है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच का यह शक्ति संघर्ष समाप्त हो पाएगा।
कर्नाटक कांग्रेस के लिए यह समय आत्ममंथन और जनता की सेवा पर ध्यान केंद्रित करने का है। यदि पार्टी गुटबाजी से ऊपर उठकर जनकल्याण पर ध्यान केंद्रित करती है, तो यह न केवल सरकार को स्थिरता प्रदान करेगा बल्कि आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए मजबूती भी सुनिश्चित करेगा।
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