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vishwaprem news पर, जहां हम आपको दिल्ली के सियासी मैदान की हर बड़ी खबर के साथ अपडेट रखते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है, और इस बार लड़ाई सीधे बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की लगातार जीत ने बीजेपी को नई रणनीतियां अपनाने पर मजबूर कर दिया है। मुफ्त योजनाओं की सियासत, झुग्गी-झोपड़ी वालों को साधने की कोशिशें और 'शीशमहल विवाद' पर बीजेपी के वार—दिल्ली का चुनावी माहौल पूरी तरह गरमाया हुआ है। क्या पीएम मोदी की "जहां झुग्गी, वहीं मकान" योजना और मुफ्त सुविधाओं को जारी रखने के वादे से बीजेपी दिल्ली की सत्ता में वापसी कर पाएगी? या अरविंद केजरीवाल की योजनाएं फिर से बीजेपी की राह में रोड़ा बनेंगी?
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बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को चारों ओर से घेरने की रणनीति अपनाई है, और दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। दिल्ली के पिछले तीन विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) की लगातार सफलता के बाद बीजेपी के लिए यह चुनौती और भी बड़ी हो गई है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों में शत-प्रतिशत सीटें जीती थीं, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनावों में उसे लगातार हार का सामना करना पड़ा था। इसे देखते हुए बीजेपी ने अपने चुनावी दांव को और मजबूत किया है, खासकर उन योजनाओं को लेकर, जो आम आदमी पार्टी की पहचान बन गई हैं, जैसे मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रोहिणी के जापानी पार्क में आयोजित एक परिवर्तन रैली में यह ऐलान किया कि अगर दिल्ली में बीजेपी सरकार बनती है, तो आम आदमी पार्टी की चल रही सभी कल्याणकारी योजनाएं जारी रहेंगी। यह संकेत देता है कि बीजेपी भी अब मुफ्त योजनाओं को लेकर जनता से वादा कर रही है, जो पहले आम आदमी पार्टी का हथियार था। इस रणनीति का उद्देश्य दिल्ली के वोटरों को यह संदेश देना है कि बीजेपी के लिए जनता का कल्याण सर्वोपरि है, चाहे वह मुफ्त योजनाओं के रूप में हो या विकास के कार्यों के रूप में।
दिल्ली के करीब 750 झुग्गियों में रहने वाले लोगों का वोट बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण बन गया है, क्योंकि ये लोग दिल्ली की लगभग 20 विधानसभा सीटों पर निर्णायक प्रभाव डालते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को 1675 फ्लैटों की चाबियां सौंपकर अपनी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार किया है। यह फ्लैट 'जहां झुग्गी वहीं मकान' योजना के तहत दिए गए हैं, जिससे बीजेपी की मंशा स्पष्ट होती है कि वह झुग्गीवासियों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी रणनीति को बदलते हुए झुग्गीवासियों के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है। सर्वे के अनुसार, 2020 में दिल्ली के गरीब वर्ग ने 61% वोट आम आदमी पार्टी को दिए थे, और पार्टी ने इस वोट के दम पर 62 सीटें जीतने में सफलता पाई थी। यह वोटबैंक बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है, और यही कारण है कि वह इस वर्ग को साधने की पूरी कोशिश कर रही है। पीएम मोदी ने अपने भाषणों में यह भी कहा है कि उनकी सरकार ने दिल्ली में 1000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें चलाने का काम किया है, जबकि आम आदमी पार्टी ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
बीजेपी की चुनावी हमलावर रणनीति को लेकर आरोप भी लगाए जा रहे हैं, जैसे कि आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर यह आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री आवास को आलीशान "शीशमहल" में बदल दिया। बीजेपी का दावा है कि यह वही केजरीवाल हैं जिन्होंने कभी सरकारी घरों के खिलाफ आवाज उठाई थी, लेकिन आज खुद 45 करोड़ रुपये खर्च कर अपने लिए एक महल बनवाया है। पीएम मोदी ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि वे भी ऐसे महल बना सकते थे, लेकिन उनका सपना तो देशवासियों को पक्का घर देना था, और उन्होंने कभी अपने लिए घर नहीं बनवाया।
बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर कई पोस्टर्स और वीडियो जारी किए हैं, जिनमें केजरीवाल के महंगे घर और उनकी कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ आरोपों को प्रमुखता से उठाया गया है। मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी कई बार केजरीवाल के इस महल पर निशाना साधते हुए कहा कि जब देश कोविड-19 की महामारी से जूझ रहा था, तब केजरीवाल अपना महल बना रहे थे। यह बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन गया है, जिसे वह हर मंच पर उठा रही है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है, जिसमें 29 नाम शामिल हैं। इस लिस्ट में 7 नेता हाल ही में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। बीजेपी का इरादा इस बार आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का है, जैसे कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवेश वर्मा और कालकाजी से मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ रमेश बिधूड़ी को चुनावी मैदान में उतारना। कांग्रेस ने भी अपनी ताकतवर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जैसे कि अलका लांबा को आतिशी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है।
बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, और यह साफ नजर आता है कि वह किसी भी कीमत पर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना चाहती है। दिल्ली की जनता के लिए यह चुनाव एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है। तो दोस्तों, दिल्ली चुनावों का खेल और दिलचस्प होता जा रहा है। बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच ये मुकाबला किस दिशा में जाएगा, ये देखना बेहद रोमांचक होगा।
आपकी क्या राय है? क्या बीजेपी इस बार चुनाव जीत पाएगी, या आम आदमी पार्टी एक बार फिर दिल्ली की गद्दी पर बैठेगी?
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