उत्तर प्रदेश उपचुनाव 2024: 9 विधानसभा सीटों पर मतदान, कौन मारेगा बाजी?
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उत्तर प्रदेश उपचुनाव 2024: 9 विधानसभा सीटों पर मतदान, कौन मारेगा बाजी?
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई 9 विधानसभा सीटों पर बुधवार को उपचुनाव के लिए मतदान हुआ। इन सीटों पर हो रही मतगणना और चुनावी हलचल ने प्रदेश के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। उपचुनाव के इस दौर में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, और हर पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। लेकिन इन सीटों पर चुनावी मुकाबला किसके पक्ष में जाएगा, यह बड़ा सवाल बनकर सामने है।
कौन सी हैं वो 9 सीटें?
उत्तर प्रदेश की जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, वे हैं:
- बिल्हौर (कानपुर)
- गोविंदनगर (कानपुर)
- इंदरगढ़ (झाँसी)
- मैनपुरी (मैनपुरी)
- चंदोसी (संतकबीरनगर)
- राजघाट (विंध्याचल)
- अलीगंज (बरेली)
- कासगंज (कासगंज)
- ललितपुर (ललितपुर)
इन सीटों पर निर्वाचन आयोग ने बुधवार को मतदान कराया, और अब सभी की नजरें वोटों की गिनती और परिणाम पर टिकी हैं।
राजनीतिक दलों के बीच मुकाबला
उत्तर प्रदेश के इन 9 सीटों पर मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), समाजवादी पार्टी (SP), और कांग्रेस के बीच मुकाबला देखने को मिलेगा। इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी (BSP) और अन्य क्षेत्रीय दल भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
बीजेपी: उत्तर प्रदेश में अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए भाजपा पूरी ताकत से मैदान में है। पार्टी ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इन सीटों को जीतने के लिए कई रैलियों और चुनावी सभाओं को संबोधित किया।
समाजवादी पार्टी (SP): सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इन उपचुनावों को सपा की प्रतिष्ठा से जोड़ा है। पार्टी ने इन सीटों पर उम्मीदवार उतारकर भाजपा को टक्कर देने की कोशिश की है।
कांग्रेस: कांग्रेस भी इन उपचुनावों को लेकर सक्रिय है। हालांकि कांग्रेस की स्थिति यूपी में कमजोर रही है, लेकिन पार्टी अपने उम्मीदवारों को समर्थन देने में जुटी है और कुछ सीटों पर असर डालने का प्रयास कर रही है।
मतदान के बाद का माहौल
बुधवार को मतदान शांतिपूर्वक हुआ, हालांकि कुछ स्थानों पर लंबे समय तक मतदान केंद्रों के बाहर लाइनें देखी गईं। निर्वाचन आयोग ने सभी प्रक्रियाओं को सही तरीके से लागू करने के लिए कड़ी निगरानी रखी। मतदान के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह देखा गया और सभी दलों ने चुनावी प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी।
सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने वोटबैंक को मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। बीजेपी ने खासतौर पर योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय नेताओं के जरिए अपने चुनावी प्रचार को बढ़ावा दिया है। वहीं सपा ने भी अखिलेश यादव के नेतृत्व में मजबूत प्रचार किया है, जबकि कांग्रेस ने अपने पुराने वर्कर्स को भी सक्रिय किया है।
किसके पक्ष में जा सकती है बाजी?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में हर उपचुनाव महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यहां की जनसँख्या और चुनावी परिणाम पूरे देश की राजनीति पर प्रभाव डाल सकते हैं। इस उपचुनाव को लेकर सट्टेबाजों के अनुमान और राजनीतिक विश्लेषकों की राय मिलीजुली रही हैं। अगर हम पिछले विधानसभा चुनावों को देखें, तो यूपी में भाजपा ने एक मजबूत स्थिति बनायी है, लेकिन सपा और कांग्रेस भी अब यहां अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश में लगी हैं।
उपचुनाव के परिणाम इस बात को स्पष्ट करेंगे कि प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कौन सी पार्टी सशक्त स्थिति में रहेगी। कुल मिलाकर यह उपचुनाव भाजपा, सपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। जो पार्टी इन सीटों पर विजय प्राप्त करेगी, वह आगामी चुनावी महाकुंभ में अपनी स्थिति को और मजबूत कर पाएगी।
उत्तर प्रदेश के इन 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की मतगणना और परिणाम की घड़ी बहुत ही अहम होगी। चुनाव के परिणाम न सिर्फ प्रदेश की सियासत को प्रभावित करेंगे, बल्कि ये आगामी विधानसभा चुनावों का संकेत भी हो सकते हैं। इस उपचुनाव में सबसे बड़ी चुनौती हर पार्टी के लिए अपने वोटबैंक को बनाए रखना और विपक्ष को हराना होगी। सभी दलों के लिए यह चुनाव उनके राजनीतिक भविष्य के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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