साक्षी मलिक की नई किताब 'विटनेस' में हुए बड़े खुलासे! 🏅📚
साक्षी ने यह भी लिखा है कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के एशियाई खेलों के ट्रायल्स से छूट लेने के फैसले से उनके विरोध प्रदर्शन पर असर पड़ा। इसके अलावा, उन्होंने अपने करियर के संघर्ष और विरोध प्रदर्शनों में दरार कैसे आई, इस पर भी कई महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं।
पूर्व ओलंपिक पदक विजेता और हरियाणा की मशहूर महिला पहलवान साक्षी मलिक की नई किताब 'विटनेस' ने खेल जगत और राजनीति में भूचाल ला दिया है। हाल ही में रिलीज़ हुई इस किताब में साक्षी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, जो भारतीय कुश्ती जगत और इसके प्रशासन से जुड़े विवादों की परतें खोलती हैं।
साक्षी मलिक, जो भारत के खेल इतिहास में एक प्रमुख नाम हैं, ने अपनी इस किताब में अपने करियर के संघर्ष, जीत, हार, और साथ ही कुश्ती फेडरेशन और इसके प्रमुख चेहरों के बारे में कई व्यक्तिगत और राजनीतिक दावे किए हैं। खासकर, उन्होंने भाजपा नेता और महिला पहलवान बबीता फोगाट पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ साजिश रची थी। साक्षी के अनुसार, बबीता का उद्देश्य केवल बृजभूषण को हटाना नहीं था, बल्कि उनकी कुर्सी पर खुद बैठने का भी था।
बबीता फोगाट पर आरोप
साक्षी मलिक ने लिखा है कि बबीता फोगाट, जो सार्वजनिक तौर पर पहलवानों की शुभचिंतक होने का दावा करती रही हैं, के अंदर भी स्वार्थ और राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं थीं। उन्होंने दावा किया कि बबीता ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ माहौल बनाकर खुद कुश्ती फेडरेशन की अध्यक्ष बनने की योजना बनाई थी। यह आरोप न केवल बबीता की छवि पर सवाल खड़े करता है, बल्कि भारतीय कुश्ती जगत में बड़े षड्यंत्रों की ओर भी इशारा करता है।
साक्षी ने यह भी लिखा है कि विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का लक्ष्य बृजभूषण को कुश्ती महासंघ से हटाना था, लेकिन बबीता इस पूरे विरोध-प्रदर्शन को अपने व्यक्तिगत हितों की ओर मोड़ने की कोशिश कर रही थीं। बबीता फोगाट, जो खुद भी कुश्ती के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं, पर यह आरोप उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को भी उजागर करता है।
विनेश और बजरंग पर टिप्पणी
साक्षी मलिक ने अपनी किताब में विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया पर भी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि जब इन दोनों ने एशियाई खेलों के ट्रायल्स से छूट लेने का फैसला किया, तो इसका प्रभाव विरोध प्रदर्शन पर पड़ा। साक्षी ने लिखा कि विरोध के दौरान सभी पहलवान एकजुट थे, लेकिन जब ट्रायल्स से छूट की बात आई, तो इससे पहलवानों के बीच फूट पड़ गई और विरोध की ताकत कमजोर हो गई।
साक्षी के अनुसार, विरोध प्रदर्शन की मूल भावना कहीं न कहीं दब गई थी, और इसमें कुछ पहलवानों के करीबी लोगों ने भी अपनी भूमिका निभाई। साक्षी ने अपने विरोध में शामिल होने के अनुभव और उसमें आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन में शामिल सभी पहलवानों के बीच विश्वास और समर्पण के मुद्दे थे, जो समय के साथ कमजोर होते गए।
किताब ‘विटनेस’ के अन्य खुलासे
साक्षी मलिक की किताब ‘विटनेस’ केवल एक आत्मकथा नहीं है, बल्कि यह एक गहरी दृष्टि है जिसमें खेल और राजनीति के मेल की जटिलताओं को उजागर किया गया है। साक्षी ने अपने करियर के संघर्षों का भी विवरण दिया है। उन्होंने अपने अनुभवों के जरिए बताया है कि किस तरह से एक महिला पहलवान के रूप में उन्हें सामाजिक और पारिवारिक दबावों का सामना करना पड़ा। किताब में साक्षी ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने करियर में आने वाली बाधाओं को पार किया और अंततः ओलंपिक में पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया।
उनकी किताब न केवल कुश्ती जगत के पर्दे के पीछे की कहानियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थ किस हद तक खेल में दखल दे सकते हैं। ‘विटनेस’ के जरिए साक्षी ने अपने समर्थकों और आलोचकों दोनों के सामने एक नई कहानी रखी है, जो भारतीय खेल जगत की स्थिति पर सवाल खड़े करती है।
विवाद और प्रतिक्रियाएं
साक्षी मलिक की इस किताब पर विवाद बढ़ता जा रहा है। कई लोग उनके द्वारा किए गए दावों को गंभीरता से ले रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह उनके व्यक्तिगत अनुभव और नजरिए पर आधारित हैं, जो पूरी सच्चाई नहीं हो सकते। बबीता फोगाट और अन्य पहलवानों की तरफ से अभी तक इन दावों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह निश्चित है कि साक्षी की किताब ने खेल जगत में नई बहस को जन्म दिया है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और क्या खुलासे होते हैं और इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं।
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