हुड्डा सरकार में भारी पुलिस के पहरे में किसानों को नजरबंद करके रिलायंस को को दे दी थी 22 लाख एकड़ की जमीन ?
किसानों की जमीन रिलायंस को औने पौने दामों में बिकवाने वाला हुड्डा आज किसानों के साथ हमदर्दी की कर रहा है बात ?
हुड्डा ने किसानों की जमीन औने पौने दामों में रिलायंस को दिलवाई थी जमीन फिर भी कहता है किसानों का मसीहा ?
रिलायंस इंडस्ट्रीज को सरकार में फायदा पहुंचाने वाला अब किसान बिल पर खामोशी कहीं हुड्डा रिलायंस से निभा रहा हो यारी ?
(इंट्रो)
वक्त वक्त की बात है कभी रिलायंस का यार भूपेंद्र सिंह हुड्डा होता था उनको कोडियो के दाम में जमीन किसानों की उनको दिलवाता था यह बात हम नहीं बल्कि केजरीवाल और एक दैनिक भास्कर की रिपोर्ट कह रही है केजरीवाल ने राज्य की हुड्डा सरकार पर आरोप लगाया कि किसानों से 22 लाख रुपये एकड़ जमीन लेकर रिलायंस को दे दी, जिसने आगे एक करोड़ रुपये लेकर यही जमीन बेच दी। केजरीवाल ने कहा कि हुड्डा प्रॉपर्टी डीलर बने बैठे हैं, जो जनता की जमीन छीनकर रिलायंस, मुकेश अंबानी और डीएलएफ को दे रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि हरियाणा में किसानों को फसल की लागत से भी कम कीमत मुहैया कराई जा रही है, फसल बर्बाद हो जाए तो मुआवजे के रूप में 10 से 20 रुपये का चेक भेजते हैं। केजरीवाल ने कहा कि पूरे देश में सरकार बड़े-बड़े उद्योगपतियों को छह लाख करोड़ रुपये सालाना सब्सिडी के रूप में देती है, लेकिन किसानों को राहत के नाम पर 10 रुपये का चेक देते हैं। जिस देश के अंदर किसान की इज्जत नहीं होती, वह देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता। सात साल पहले की प्रकाशित रिपोर्ट दैनिक भास्कर की कह रही है। साथ साल पहले की खबर को ज्यों की त्यों हम भी प्रकाशित कर रहे हैं। गुरूग्राम में रिलायंस एसईजेड के बाहर चार महीने तक धरना प्रदर्शन करने वाली किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र गाड़ौली का कहना है कि 2006 में भारी पुलिस बल के पहरे में उनके गांव के किसानों को नजरबंद करने वाली हरियाणा सरकार ने यह जमीन रिलायंस को सौंप दी। मार्च 2006 में एचएसआईआईडीसी ने इस किसानों को इस जमीन की कीमत 20.75 लाख रुपये प्रति एकड़ दी थी जिसकी कीमत आज के दिन 8 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है। सुरेंद्र का कहना है कि जमीनें वापस न लौटाए जाने की सूरत में कंपनियां एसईजेड की जमीन पर बनने वाले प्रोजेक्ट में 40 प्रतिशत लाभांश उन्हें दें। इधर इनेलो सेज के नाम पर ली गई सभी जमीनें किसानों को वापिस लौटाने की मांग करते हुए इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा कि प्रदेश में सेज के नाम पर बड़े औद्योगिक घरानों ने जमीनें ली थीं। उस समय हुड्डा सरकार ने यह दावा किया था कि सेज से प्रदेश के 20 लाख बेरोजगार युवकों को रोजगार मिलेगा और 10 लाख करोड़ रुपए का निवेश आएगा। अब रिलायंस और पाश्र्वनाथ को फायदा पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने सेज की जमीनों को इंटीग्रेटेड टाउनशिप प्रोजेक्ट विकसित करने के लिए नई नीति घोषित कर दी है। भाजपा के राष्ट्रीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है एसईजेड के नाम पर सरकार की मदद से कलेक्टर रेट पर सस्ती जमीन खरीदने वाली रिलायंस इंडस्ट्री ने हरियाणा में 8200 एकड़ लैंडबैंक बना लिया है जिसमें से 1383.68 एकड़ जमीन सरकार को वापस लौटाने की पेशकश की पर अभी तक इस जमीन पर रिलायंस का कब्जा है। यूपीए सरकार द्वारा संसद के चालू मानसून सत्र में भूमि अधिग्रहण बिल लाया जा रहा है जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि यदि पांच साल में कंपनियां अपने उस उद्देश्य को पूरा नहीं करती जिसके लिए यह जमीन अधिगृहीत की गई है तो जमीन किसानों को वापस की जाए। रिलायंस जैसे बड़े औद्योगिक घरानों द्वारा सेज के नाम पर किसानों से कौडिय़ों के भाव ली गई जमीनों को अब रियल अस्टेट का धंधा करने व कॉलोनियां विकसित करने के लिए किया जा रहा है। मई में ही जारी हुआ था नोटिफिकेशन इसी साल मई में राज्य सरकार ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की नीति में किए गए संशोधन से एसईजेड की खाली जमीनों पर औद्योगिक-कॉमर्शियल व रेजीडेंशियल कालोनियां विकसित करने का रास्ता साफ किया है। जिसके लिए हाल ही में रिलायंस, पाश्र्वनाथ डेवलपर्स और ओरियंटल क्राफ्ट ने अपने नोटिफाइड एसईजेड की खाली पड़ी 1650 एकड़ जमीन पर इंटीग्रेटेड टाउनशिप बनाने के लिए एसईजेड की डी नोटिफिकेशन प्रकिया शुरू कर दी है जिसके लिए सरकार ने एनओसी जारी किया है।
हुड्डा सरकार के समय में रिलायंस थी उनकी यार भाजपा के आने के बाद भाजपा की बन गई यार ?
किसानों के भले को लेकर राजनीति अक्सर राजनैतिक दल करते नजर आते हैं पर जब सत्ता में होते हैं तो वो किसान की कद्र नहीं करते हैं और किसानों से वोट बटोरकर फिर सत्ता का सुख में किसान का दर्द भूल जाते हैं जैसे आज भाजपा सत्ता में है तो पहले कभी अर्द्धनग्न होकर किसानों से हमदर्दी दिखाई थी। आज वो सत्ता में है तो वो किसानों की आवाज
नहीं सुन रहे हैं और विपक्ष भी प्रैस कान्फ्रेंस करके किसानों की आवाज बनने की बात कर रहे हैं लगभग दो या तीन मंडियों में जाकर अधिकारियों से बात करके किसानों की आवाज बनना कहा जाए तो इससे ना तो सरकार पर दबाव होगा और ना ही किसान की आवाज विपक्ष बन पाएगा। हमें याद है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का वो रूप जब वो किसानों के लिए जागा था। वर्ष 2002 में किसानों की आवाज बनकर कंडेला से दहाड़ लगाई थी और उस किसान यात्रा में किसानों ने भी भाग लिया था और सरकार पर भी दबाव हुआ था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 2002 में बिजली बिल माफी को लेकर कंडेला में सरकार व किसानों के बीच हुए टकराव को अपने लिए आधार बनाया था, इसके बाद भूमि अधिग्रहण व मुआवजा वितरण में धांधली मुख्य आधार बनाकर आंदोलन खड़ा किया था। अब ऐसी क्या बात है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोशल मीडिया और मिडिया पर खेल रहे हैं। ऐसी रणनीति ना बनाने के पिछे क्या कारण हो सकता है। खैर कुछ राजनैतिक नेता कहते हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा बुजुर्ग हो गये हैं तो वो एनर्जी नहीं है यदि वो एनर्जी नहीं है तो फिर किसी और नेता या विधायक को आगे लाए ताकि वो किसान और मजदूर की आवाज बन सके बेशक वो अपने बेटे दीपेन्द्र हुड्डा को आगे लाएं पर किसान और मजदूर की दबी आवाज तो उठाएं। विश्वप्रेम समाचार पत्र किसानों को लेकर विपक्ष को इसलिए जगा रहा है क्योंकि यह समय उनका सोने का नहीं है जागने का है और मिडिया मिडिया खेलने का नहीं है। इस मामले में लोहिया को याद करता हूं। राजनीति को एक नई दिशा देने वाले डॉ. राममनोहर लोहिया की कथनी और करनी के बीच स्पष्ट समानता देखने को मिलती है। उनका चिंतन केवल दूसरों से पालन कराने के लिए नहीं था बल्कि उनका पूरा जीवन उनके अपने आदर्शों को प्रदर्शित करने वाला रहा है। डॉ. लोहिया मानते थे कि जनता की बगावत ही संसद को अनुशासन में रख सकती है। कहना न होगा कि जयप्रकाश आंदोलन के बाद करीब तीस वर्षों तक इस देश की सड़कों ने जो चुप्पी ओढ़ी, उसका सीधा असर संसद पर पड़ा और वह आवारा होती गई। खैैर बात करें आंदोलन की यदि कांग्रेस कहती हैं की महामारी के दौरान आंदोलन नहीं कर सकते तो फिर पिछले दिनों भी तो भीड़ जुटाकर यात्राएं दुसरे राज्यों में निकाली है कहीं इसी बहाने सहारे बचना तो नहीं चाहती है। हुड्डा सरकार में चौधरी बिरेंद्र सिंह ने भी सरकार के खिलाफ भी आवाज उठाई थी और कहा था कि सरकार ने कई विधायकों को जमीन के सीएलयू देकर करोड़ों रुपये का फायदा पंहुचाया है। किसानो की जमीन हथिया कर हुड्डा के रिश्तेदार अमीर बन गए। सीएम झूठे वायदे कर लोगो का बेवकूफ बनाने का काम कर रहे है। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस भर्ती प्रक्रिया में भी सीएम ने अपने क्षेत्र के लोगो को लाभ पंहुचाने के लिए नया कानून बनाया। बीरेन्द्र सिंह ने ऐलान किया था कि वह इस प्रकार भेदभाव करने वाली सरकार को कतई नहीं चलने देंगे। ऐसे में अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसानों की हक की बात कर रहे हैं।
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