कांग्रेस पंजाबी चेहरा को हरियाणा में देगी टिकट ?
पंजाबी समाज को हरियाणा कांग्रेस उस वक्त भूली बैठी है जिस वक्त भाजपा ने पंजाबी समाज को घाव दिया हुआ है और उनकी असल चौधर छीन ली गई है। सीएम पद से लेकर गृह मंत्रालय तक ले लिया है। अब पंजाबी समाज को जब भी मनोहर लाल खट्टर को लेकर कहा जाता है तो वो कहते हैं की पावर तो चली गई है दिल समझाने के लिए बेशक कहते फिरते हैं कि चलती तो मनोहर लाल खट्टर की ही है। लोकसभा चुनाव के बाद बहुत कुछ बदल जाएगा। पंजाबी समाज के हाथ कुछ नहीं लगेगा। इस वक्त पर घाव पर मरहम-पट्टी करना कांग्रेस का काम है पर वो इस वक्त पंजाबी समाज को और दूर कांग्रेस करती नजर आ रही है। लोकसभा में पंजाबी समाज को टिकट नहीं देती नजर आ रही है। पंजाबी समाज की जरूरत विधानसभा में होगी। पंजाबी समाज हरियाणा में बात करें तो ये एक अच्छा प्रभाव लिए हुए हैं। हरियाणा में पंजाबी समुदाय 8 प्रतिशत है और यह 25 से 30 विधानसभाओं में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं और यह सीटें जीतने का माद्दा रखते हैं। जाट समाज के बाद पंजाबी वोट बैंक बड़ा वोट बैंक है। पंजाबी वोट की कद्र को देवीलाल भी समझते थे। जब चौधरी देवीलाल ने डॉक्टर मंगलसेन के साथ समझौता किया था तो 14 विधायक बना कर लाए थे। भजनलाल के समय हमारे 16 विधायक थे। 1977 में चौ. देवीलाल के मुख्यमंत्रित्व में बनी जनता पार्टी की सरकार में डा. मंगल सेन उप-मुख्यमंत्री थे। डा. कमला वर्मा सहित 2 पंजाबी मंत्री उनकी सरकार में शामिल थे। इसी प्रकार 1987 में फिर से मुख्यमंत्री बने चौ. देवीलाल की सरकार में भी पंजाबी वर्ग को पूरा प्रतिनिधित्व दिया गया। वर्ष 2000 में जब प्रदेश में इनैलो की सरकार बनी और ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी अपनी कैबिनेट में 5 कैबिनेट मंत्रियों में से 2 कैबिनेट मंत्री पंजाबी वर्ग से अशोक अरोड़ा व जसविंद्र सिंह संधू के रूप में शामिल किए। इसके अलावा उनकी सरकार में अनेक राजनीतिक पदों पर पंजाबी वर्ग के नेताओं को समयोजित किया गया था। चौटाला की सरकार में अशोक अरोड़ा नंबर 2 पर सबसे पॉवरफुल मंत्री थे। रोहतक लोकसभा सीट पर डेढ़ लाख के आस पास वोटर हैं। सिरसा लोकसभा सीट पर लगभग दो लाख वोटर हैं। हिसार की बात करें तो 90 हजार के लगभग है।
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