रणभूमि से भागते नजर आ रहे हैं भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी शैलजा और सुरजेवाला तो ऐसे में गुरनाम चढूनी और राजकुमार सैनी पर कांग्रेस लगाएगी दांव ?

राजकुमार सैनी और गुरनाम सिंह चढूनी कांग्रेस की टिकट से लड़ने को तैयार जबकि कांग्रेस के दिग्गज भूपेंद्र हुड्डा से लेकर कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला चुनाव ना लड़ने की बजाए पढ़ रहें हैं अखबार चुनाव को लेकर नहीं नजर आ रहा कहीं इश्तिहार तो कैसे प्रदेश में आएगी कांग्रेस। रणभूमि से भागते नजर आ रहे हैं दिग्गज तो ऐसे में गुरनाम चढूनी और राजकुमार सैनी पर कांग्रेस लगाएगी दांव ?
हरियाणा कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथों में खेल रही हैं जिसका खामियाजा कांग्रेस भुगत रही है क्योंकि भूपेंद्र हुड्डा पर आरोप लग रहे हैं की उसके कारण हरियाणा में कांग्रेस हाशिए पर जा रही हैं भाजपा का विरोध होते हुए भी भी कांग्रेस फायदा नहीं ले पा रही हैं ऐसे में कांग्रेस की सर्जरी जरूरी है जो हो भी रही हैं अगर प्रभारी दीपक बावरिया सही खेल गए तो कांग्रेस को दोबारा खड़ी कर सकते हैं। इस वक्त खबरें चल रही है की चौधरी बिरेंद्र सिंह के बाद कुछ नेता कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं जो भाजपा के नान जाट के चक्रव्यूह को तोड़ेंगे जिसमें प्रमुख चेहरा राजकुमार सैनी का है। इसके इलावा गुरनाम सिंह चढूनी का है। राजकुमार सैनी के साथ गुरनाम सिंह चढूनी कांग्रेस में बहार ला देंगे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर फिलहाल आरोप लग रहे हैं की वो जेल जाने से बचने के लिए भाजपा को अंदरूनी तौर पर सहयोग कर रहे हैं। प्रदे में चर्चा यहां तक फैली है की भूपेंद्र हुड्डा ने कांग्रेस की सुपारी ले रखी हैं। इन सब चर्चाओं को रोकना है तो भाजपा के खिलाफ रणनीति से चुनाव लड़ें और डटकर मुकाबला करने के साथ चढूनी और सैनी का फायदा पार्टी ज्वाइन करवाकर उठाए। भाजपा ने 2014 में राजकुमार सैनी को कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था तथा कांग्रेस के नवीन जिंदल को हराकर लोकसभा पहुंचे। राजकुमार सैनी के कांग्रेस में आने से ओबीसी वोटर पर असर ज़रूर होगा। 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जाट आरक्षण का विरेाध व ओबीसी के समर्थन में दिए विवादित बयानों से राजकुमार सैनी सुर्खियों में रहे। जिससे उनकी भाजपा से दूरियां बढ़ती गई और सितंबर 2018 में पानीपत में रैली कर लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया। 2019 में बसपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा और फिर विधानसभा चुनाव लड़ा, परंतु सफलता नहीं मिल पाई। 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन में भड़की हिंसा को काफी हद तक उनके विवादित बयानों से भी जोड़ा गया था। चर्चा है कि कांग्रेस अब उन्हें अपने पाले में लाकर भाजपा के नायब सैनी की काट तलाशने के प्रयास में जुटी है। दुसरी तरफ गुरनाम सिंह चढूनी हैं। 60 साल के गुरनाम कुरुक्षेत्र के चढूनी गांव के रहने वाले हैं और भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष हैं। बीते दो दशकों से किसानों के मुद्दों पर लगातार सक्रिय रहने वाले चढूनी जीटी रोड क्षेत्र (कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुना नगर, अंबाला) में चर्चित रहे हैं। अब तो पुरे देश प्रदेश में चर्चित है हालांकि, 10 सितम्बर को पीपली में हुए किसानों पर लाठीचार्ज और फिर किसान आंदोलन में मजबूत पैरवी करके कृषि कानून रूकवाने के बाद सूरजमुखी को लेकर एमएसपी का आंदोलन के बाद से उनका जिक्र काफी ज्यादा हो रहा है। 

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