मैं एक crossdresser हूं मेरे लिए बाल रिमूव करना बड़ा ही होता है मुश्किल ?
बाल को रिमूव करना एक क्रासड्रैसर के लिए बड़ा मुश्किल होता है। पहली बार गौर किया की मेरे बदन के बाल बड़े है. मुझे बहोत घिन आती थी उस बात की. मैं लड़कियों को औरतों को देखती तो उनके कपडे पहने के बाद भी जो जिस्म खुला होता है उस बदन पर बाल नही होते. इसका मतलब उनके पुरे बदन पर बाल ही नही होते होंगे. क्यू की पकने रखे हुवे एक चवाल के एक दाने से पता चलता है की पुरे चावल पके है की नही. वैसे ही औरतों के कुछ खुले बदन से ही पता चलता है की पुरे बदन पर बाल होंगे की नही होंगे. उनकी त्वचा भी बहोत कोमल और मुलायम होती है. और वही देखादेखी मुझे भी मेरे बदन पर के बालों की वजह से मेरे बदन से मुझे घृणा होने लगी. मैंने भी उन्हें निकालने का निश्चिय किया. और बाजार से हेअर रिमूवर क्रीम ले आई. ले तो आई पर अब लगाउंगी कब और कैसे इस बात की चिंता होने लगी. और एक दिन किस्मत ने मौका दे ही दिया. घर के लोग सिर्फ एक दिन के लिए मां, पिताजी, भाही, भाभी ये सब मां के माइके गए. मै काम से छुट्टी नही मिल रही ये बहाना करके उनके साथ नही गई. मौका मिल गया वक्त कम था. वक्त की कमी की वजह से वो सभी लोग घर से जाने के बाद मैंने तुरंत घर के दरावाजे खिड़किया बंद करके हेअर रिमूवर क्रीम के छोटे से बक्से को मेरे अलमारी से निकालकर उस बक्से मे से क्रीम की ट्यूब निकालकर उसी बक्से मे उस क्रीम को कैसे इस्तमाल करें उसकी पर्ची थी उसपर लिखी हुई हर एक बात को ध्यान से पड़ने लगी. अब मैं बहोत उत्तेजित हो रही थी की कब मैं उसे इस्तमाल करू. मैंने अपने कपडे उतारकर पुर्ण नग्न अवस्था मे आ गई. बहोत सालो बाद मैं औरते जो अपने बदन के बालों के लिए किया करती है वैसा कुछ जिंदगी मे पहली बार करने जा रही थी। ये अनुभव मेरे लिए बहोत अलग होने वाला था। मैं बहोत उत्साहित थी। उस बक्से से क्रीम लगाने के लिए एक चम्मच नुमा प्लास्टिक की पतली सी चीज थी. मैंने उस हेअर रिमूवर क्रीम के ट्यूब से मेरे पेट पैर और हाथों पर क्रीम लगाईं और उस प्लास्टिक के चम्मच से पुरे बदन पर जहाँ जहाँ बाल थे वहाँ फैला दिया. उसकी महक कुछ हल्कीसी तेज नाक मे थोड़ी जलन हो ऐसी थी. जैसे अमोनिया पावडर होती है ना वैसे. पुरे बदन पर चम्मच से फैला देने के बाद कुछ दस मिनिट वैसे ही रही. त्वचा मे कुछ जलंसी महसूस हो रही थी. मैंने उसी हालात मे रसोईघर मे जाकर पानी गर्म करने के लिए चूल्हे पर पानी रखा. और रसोईघऱ मे मां की कॉटन की साडी को फाड़ कर उसकी रुमाल इतने टुकड़े मां ने कर रखे थे. उसका इस्तमाल मां चुलेपर के गर्म बर्तन उतारने के लिए किया करती. उन्ही कपड़ो के कुछ टुकड़े मैंने लिए और वो चूल्हे पर गर्म करने रखे हुवे पानी के बर्तन को लेकर बाथरूम मे गई. क्रीम लगाकर कुछ पंधरा मिनिट हो चुके थे तो वो क्रीम बदनपर ही सुकने लगी थी. हा कुछ हल्कीसी जलन भी हो रही थी. पर कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है यही सोच कर मैं बर्दास्त कर रही थी. और बाथरूम मे जा कर मेरे बदन पर लगी हुई क्रीम को उस कॉटन की साडी के टुकड़े को मैंने जो हल्का गुनगुना पानी को गर्म किया था उसमे उसमे डुबोकर और फिर हल्के से निचोड़ कर उस कपडे से बदन पर लगी हुई क्रीम को घिसकर निकाले लगी. वो कैसा हल्का गर्म और गीला होने की वजहसे बदनपर लगाईं हुई क्रीम सुखाने के बावजूत आराम से निकलने लगी. और साथ साथ बदन परके बाल भी निकल रहे थे. यही क्रिया मैंने बार बार कपडे की अलग अलग जगह से तो कभी कपडे को बदल कर पुरे बदन पर करी. ओह क्या बताऊ पाठको मेरी सोच से........
योगिता अमर सिंह
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