पत्नी ने पति की फिलिंग समझी और उसका हार्मोंन्स ट्रिटमेंट करवाया

जिसका पति एक crossdresser हो और उसकी भावनाओं को समझते हुए उसकी पत्नी हार्मोंन्स ट्रिटमेंट दिलवाने की बात कहें तो कैसा होगा उसके लिए पल पढ़ें कहानी
 गुंजन: ठीक है…अब जाओ फ्रेश हो लो… आज तुम्हारा पैंट शर्ट पहन ने का आखिरी दिन है…कल से जो अनीश से अनीश बनने वाले हो…

(अनीश टॉवल लेकर बाथरूम के और बरते हुये…)

अनीश: (एक लम्बी श्वास लेते हुए) हां…कल से सब कुछ बन्ध…अब तो नई जीवन का अपेक्षा है मुझे…

(अनीश बाथरूम आ कर कुछ सोच में डूब गया…क्या वो सही कर रहे है…आज उसका आखिरी दिन है पैंट और शर्ट पहन ने का…आज से उसे पूरी तरह अपनी बीबी के साथ औरत बनके रेहेना है…आयने में अपना चेहरा देखकर उसका मन में कुछ विचार आया… क्या सच में वो औरत ही है? अगर औरत है तोह गुंजन से ७ साल पहले सादी क्यूं किया था? कुछ देर एइसेही सोचने की बाद, आयने के ऊपर एक लाल रंग की बिंदी चिपकाई हुई थी, जिसे निकाल के अनीश ने अपना शिर पे चिपकाकर खुद को एक सुन्दर औरत के रूप में देखा…अब सच में एक औरत ही है, इसमें कोई संदेह नहीं।)

अनीश ने नहाके अपना शरीर में एक टॉवल लपेट कर औरत जैसी चल ढल लेकर बाहर आया…गुंजन अपना पति के शरीर में एक औरत को देखकर कुछ देर के लिए बिस्मित होकर रह गए।)

गुंजन: हो गया?

अनीश: (लंबे लंबे बालों को एक हैर ड्रायर लेके शुखाते हुए) आज मुझे कोनसी सारी पहनाने वाली हो?

गुंजन: देखते है…इसमें से एक होगा… कोई भी पहन लेना…( वॉर्डरोब में सजी हुई कुछ सारिया के तरफ इशारे करके)

पहले तोह तुम यह ब्रा और पैंटी डाल लो अच्छे से…

अनीश: ठीक है…पर पहले मुझे कुछ अच्छा सा सोफ्ट बडी लोशन लगवा दो सारे शरीर पे… सारा दिन ऑफिस पर रहे कर मेरा त्वचा कुछ रूखा सूखा सा हो गया…

गुंजन: (अपना पति के शरीर पे क्रीम लगाते लगाते):
ऑफिस में बोस ने क्या बोला, जब तुम काम छोड़ने को बात कर रहे थे तो?

अनीश: कुछ खास नहीं…

गुंजन: और ऑफिस के बाकी लोगो का रिएक्शन क्या था?

अनीश: उनलोगो के भी कुछ खास नहीं…अभी कुछ दिन उनलोगो के याद में रहूंगा…फिर सब मुझे भूल जाएंगे कुछ दिन बाद…

गुंजन: कितना कठोर है हम सब…इतनी जल्दी भूल जाते है हमारे अपनों को...

अनीश: भूलना एक अच्छी बात है…
गुंजन: तुमने ऑफिस में किसी को भी कुछ बताया, अपना हॉरमोन ट्रीटमेंट और सर्जरी के बारे में?

अनीश: नहीं…बोलते तो सब लोग कैसे कैसे रिएक्ट करते… पहले से ही जब मेरे लंबे बाल और नेलपॉलिश से रंगा हुआ नाखून देखते थे, तो कैसे कैसे घटिया कॉमेंट करते थे कुछ लोग…

गुंजन: तुम्हे कितनी बार बताया की…एसा बाल खुलाकर और नाखून पे नेलपॉलिश लगाके ऑफिस मत जाया करो…तुम सुनते ही नहीं हो…

अनीश: अब क्या फायदा…कल से तोह नहीं जा रहा हूं मैं… कुछ एसा काम खोज लूंगा…जहां पर मुझे औरत के रूप में एक्सेप्ट करेगा…

गुंजन: (अपना पति का हाथ अपना हाथ पे लेकर) तुम्हे कुछ नहीं करना है…तुम हमारा घर सामहाल लेना…में करूंगा काम….

अनीश: हां…जानता हूं…तुम कितना सपोर्टिव हो मेरे लिए…

गुंजन: (क्रीम लगाना खतम होते हुए) हो गया…अभी थोड़ा रेस्ट ले सकते हो…

अनीश: रेस्ट क्यूं? अभी तोह बहुत काम है? खाना नहीं बनाना?…मुझे तुम्हारी हेल्प करना है…

गुंजन: आरे नहीं… रेस्टुरेंट से मंगवाई है…

अनीश: क्यूं?

गुंजन: आज सोचा कुछ स्पेशल हो जाए…आज स्पेशल दिन है ना तुम्हारे लिए…आज से पूरी तरह औरत जो बनने वाले हों तुम, इसलिए सोचा कुछ स्पेशल हो जाए...

अनीश: आरे…तुम भी ना…कितना कुछ कर देते हो मेरे लिए…

गुंजन: चुप रहो तुम…आज आखिरी बार मेरे पति को सताने भी दो…

अनीश: मतलब? कल से क्या में तुम्हारी पति नहीं रहूंगा?

गुंजन: पता नहीं…लेकिन शायद यह मुश्किल होगा मेरे लिए तुम्हे पति कहना, जब तुम कल से औरत के रूप में रहोगे…

(अनीश फिरसे कुछ भाबनायों में खो गया…गुंजन का इस बात को सुनकर मन में कुछ ठेस लगा। लेकिन करे भी तो क्या करे…जब एक आदमी के शरीर में एक औरत कैद रहते है तब…)

गुंजन: क्या हुआ? उदास क्यूं हो गए? अरे अरे…मैंने तोह यूंही वेसेही बोली…

अनीश: नहीं…तुम सही हो…

गुंजन: आरे बात को मत बिगरो…और एह ब्रा और पेंटी पहन लो, बहुती सॉफ्ट है…

अनीश: (ब्रा और पेंटी देख कर आंखो में चमक आ जाता है) नई वाली लगता है?

गुंजन: हां…पिछले हप्ते जो खरीदे…

(अनीश बरे आराम से, एक सच्ची औरत की तरह ब्रा और पेंटी पहन लेता है…)

गुंजन: (एक सारी दिखाते हुए) सुनो इसमें से यह सारी ठीक है?

अनीश: हां, हां, बिल्कुल ठीक है…तुम जो भी करते हो मेरे लिए, वो सब कुछ सही होता है…

गुंजन: (एक ब्लाउस और पेटीकोट लेके) अब मुझे फुलाना बन्ध कोरेगे?…और यह ब्लाउस और पेटीकोट पहनोगे…?

अनीश: हां हां… दे दो… अच्छी है…

गुंजन: में अभी चिंकी को जगाने का रही हूं नीचे, होमवर्क खतम नही हुआ उसकि…तुम यह सारी लो, और ज्यादा मेकअप मत डालना…थोड़ा सा लिपस्टिक, काजल और एक बिंदी लगाना…और गहेने ने में, झुमका, कंगन, और पायल डाल ना, और कुछ भी नहीं…मुझे ज्यादा मेकअप अच्छी नहीं लगती…और कमरबंध भी डालना…

अनीश: आरे हां यार…तुम वैसे बोल रही हो के में पहेली बार सज रही हूं...

गुंजन: ठीक है, ठीक है…तुम्हे याद है ने कि आज तुम अपना बेटी के सामने पहेली बार औरत बनके आयोगे…

अनीश: हां…पता नहीं कैसे रिएक्ट करेगा जब मुझे औरत के रूप में देखेगी… पर एक बात बोलूं?

गुंजन: क्या?

अनीश: (आखों में आंखे डाल कर) तुम आज सजा दो ना मुझे…

गुंजन: नहीं, आज मैं चाहती कि, तुम खुद अपने आपको एक औरत बनालो…तुम अकेले ही सारी पहनो, मेकअप डालो, आज से एक सेल्फ डिपेंडेंट औरत बनो…

अनीश: पर क्यूं?

गुंजन: इसीलिए की तुम अपना फ्यूचर में किसी के भरोसे में ना रहो…

अनीश: क्या मतलब? तुम रहोगे ना, तो मुझे किस बात की चिंता?

गुंजन: लेकिन जब तुम अपना पति के घर चले जायोगे तब?

अनीश: (घबरा सा जाता है) पति मतलब?

गुंजन: पति मतलब, पति.. सादी वादी करनी नहीं क्या? वैसे ही रहोगे?

अनीश: अभी क्या मजाक करने का टाइम है?

गुंजन: इसमें मजाक की क्या बात है? हर औरत एक होनहार, अच्छा पति चाहती है… सादी करके घर बसाना चाहती है

(गुंजन की यह बात सुनके उसे कुछ अजीब सा लगता है)

अनीश: अब तुम कुछ ज्यादाही बोल रही हो हां…चुप करो अब…हर औरत नहीं…यह तुम गलत हो…तुम जानती हो ना कि में खुद को क्यूं बदलना चाहता हूं… कोई आदमी और मर्दों को पाने के लिए नहीं, खुद की अंदर छुपी हुई एक औरत की ऐहसास पानेपाने के लिए। में एक औरत हूं…में आदमी बनके कैसे रहे सकता हूं सारा जीवन?

गुंजन: (पति के बात को मानते हुए) अच्छा, अच्छा ठीक है…

अनीश: और तुमको क्या हो जाता है कभी कभी, तुम ही तो हो, जिसने मेरे अंदर की औरत को बाहर निकाली…

(गुंजन अचानक अपना पति के पास जाकर हाथ पकड़ ते हुए…)

गुंजन: मुझे छोड़ के नहीं जायोगे ना कभी?

अनीश: (अच्छे से हग करते हुए) वही बात फिर्से?… में यह सपने में भी सोचता नहीं हूं…कैसे जिऊंगा तुम्हे और चिंकी को छोड़कर? जीतेजी मर जाऊंगा…

गुंजन: (आंसू पोंछते हुए) ठीक है… सारी पहन लो अब…हो गई बाते…जल्दी अजाना नीचे…

अनीश: (कुछ पॉजिटिव सा फील करते हुए) हां आ जाऊंगी…

गुंजन: (बापस मुरते हुए) सुनो… वो हिल वाली शू टेबल के नीचे है… आज पहन कर दिखना।

अनीश: घर में?… अच्छा ठीक है…

(गुंजन की बात सुनके अनीश को अंदर ही अंदर बहुत शुकुं मिला… भगवान की कृपा है, जो उसे इतना सपोर्टिव बीबी मिला है… कुछ देर वैसे ही सोचने के बाद, अनीश ने अपना शरीर में ब्लाउस और पेटीकोट डालने ने के बाद सारी लपेट ना शुरु किया… कितना सुन्दर लग रहा है वो सारी में… फिर हल्का सा होटोपे लिपस्टिक, आखों में काजल, कानो में झुमके, पैर में पायल, हाथो में कंगन लगा लिया… आयने पे अपना सुंदरता को देखकर कुछ शरमा सा गया… शर्म के मारे निकालती हुई एक हल्की सी हसी से उसकी सुन्दरता कुछ ज्यादाही निखार रहा था। फिर हस्ते, शरमाते हुए एक कंघी लेकर अपना बालों को सबार्ने लगा…यह सब कुछ होने के बाद, अनीश ने वो हिल वाली जूता पहन के नीचे जाने के लिए तैयार होने लगा… नीचे जाने के समय उसे एक अजीब सा फीलिंग हुया, जब हिल शू टक टक से आवाज करने लगा…नीचे आ कर के देखा, गुंजन अभी भी लगी है चिंकी की स्कूल का होमवर्क कराने में…


गले में खराश को निकाल कर, अनीश शरमाते हुए औरत जैसी आवाज में बोलि…
(गले में खराश को निकाल कर, अनीश औरत जैसी आवाज में बोलि…)

अनीश: में आ कर दिस्ट्रब तो नहीं किया तुम लोगो को…

गुंजन: बहुत ज्यादा ही डिस्ट्रब किया तुमने…

अनीश: पर तुमने ही तो बोला, मेकअप खतम होते ही नीचे के रूम में आ जाना...

गुंजन: ओके…अच्छा किया, जो किया… वैसे बहुत सुंदर दिख रही हो इस सारी में…

चिंकी: मम्मा, यह आंटी कौन है?

गुंजन: जरा ठीक से पहेचानो चिंकी बेटा, यह कोई आंटी नहीं है…

चिंकी: (अपनी पापा को सारी में पहेचान ते हुए) पप्पा, तुम?

अनीश: हां बेटा मैं, तुम्हारी पप्पा…

चिंकी: लेकिन तुम मम्मी की कपड़ों में क्यूं?

गुंजन: क्यूंकि बेटा, तुम्हारी पापा को मम्मी बनना पसंद है…

चिंकी: क्यूं?

अनीश: क्यूं की मुझे आज से तुम्हारी पापा नहीं, तुम्हारी और एक मम्मी बनना है।

चिंकी: लेकिन मेरी मम्मी तो है ना…

अनीश: हां है…लेकिन आज से तुम्हारी दो दो मम्मी है।

चिंकी: तो में पापा किसको बुलाऊंगी?

गुंजन: नहीं चिंकी…ऐसा बहेस नहीं करते नहीं करते बरों के साथ…तुम अच्छी बच्ची हो ना… आज से पापा को मम्मा केहेकर पुकारना…

अनीश: (चिंकी की फेस पे कन्फ्यूजन देखते हुए) अच्छा ठीक है बेटा, में आज से मम्मी भी और पापा भी, खुश?

चिंकी: हां…तब ठीक है…में तुम्हे मम्मी भी बुलाऊंगी, और पापा भी…

अनीश: ठीक है, अब जाओ थोड़ा सा खेल कुद करलो खिलौने के साथ…होमवर्क बाद में कर लेना…

चिंकी: ठीक है।

गुंजन: (अनीश का उदाश चेहरे देखकर) क्या हुआ? फिर उदास हो गए?

अनीश: सोच रही हूं, कैसे तुम्हारी शुकरिया आदा करूं…

गुंजन: वो किसलिए?

अनीश: इतना सपोर्टिव होता है कोई किसिके लिए? मतलब हद है यार…तुमने मेरी खुशी के लिए इतना कुछ कर दिए…और में तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकी…एक औरत का सुख कभी नहीं दे पाई तुम्हे…में कितना सेलफिश हूं ना?

गुंजन: ऐसा नहीं बोलो आनी…तुम एक अच्छी सहेली जैसा हो मेरे लिए… तुम्हें उत्नाही प्यार करूंगी जितना में पहले करती थी…तुम्हारी खुशी मेरी खुशी है...

अनीश: सचमे… में लकी हूं जो तुम्हे पाया…तुम मेरी जिंदगी का वो रोशनी हो, जो मुझे इस अंधेरे से निकालि…

गुंजन: (अचानक याद आते हुए) रुको, और एक काम बाकी है तुम्हारे लिए…

अनीश: (कंफ्यूज होके) अब क्या करोगे?

गुंजन: (चिंकी को पुकारते हुए) चिंकी बेटा जरा यहां आना?

चिंकी: जी मम्मी…अभी आयी…

अनीश: यह क्या है?

गुंजन: दिख नहीं रही है? केक है…तुम्हारी बर्थडे जो मनानी है आज...
(गुंजन एक केक निकाला, जिसपर लिक्खा था Happy Birthday Anisha)

अनीश: मतलब? बर्थडे? आज?

गुंजन: आज अनिशा की बर्थडे है ना, आज से तुम्हारी शरीर में अनिशा का जन्म हुई ना…(दोनो की आंखों में आसूं आते हुए) चलो चलो जल्दी से काटो इसे… चिंकी…तुम बोलना, “हैप्पी बर्थडे डियर मॉम…”, ठीक है?

आखों में खुशी की आंसू लेके अनिशा केक काटते हुए…

हैप्पी बर्थडे डियर मॉम…हैप्पी बर्थडे डियर अनीशा…हैप्पी बर्थडे डियर आनि…………………….
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