शुभम से शोभा बनने की कहानी, मेकअप करने के बाद शुभम फंसा तो क्या हुआ ?

निको आपके लिए हर रोज एक क्रासड्रैसिंग की चुलबुली कहानी लेकर आ रही है आपको पसंद आए तो बताना
मेरा नाम शुभम है। लेकिन मेरे अंदर एक चुलबुली लड़की भी रहती है जिसका नाम शोभा है। 
मेरी पत्नी एक ऑफिस में ऊंचे पद पर थी। और सुबह नौ बजे तक ऑफिस चली जाती थी। मैं भी एक कंपनी में वर्क फ्रॉम होम के बेस पर काम करता था। मेरी साली जिसका नाम रूबी था वो किसी कॉलेज से लॉ कर रही थी। दोपहर को वो कॉलेज से वापस आती थी। घर का काम मुझे ही करना पड़ता था। मुझे बचपन से ही क्रॉस ड्रेसिंग का शौक था। सबके जाने के बाद मैं अक्सर साड़ी या सलवार सूट पहन कर घर में रहता था।
एक दिन…..

उस दिन मेरी कंपनी की छुट्टी थी और मेरे पास मौका था लड़की बनने का। बस मैंने पहले तो अपने पूरे बदन के बाल साफ़ किए। एक दम चिकना हो गया, फिर मैंने अपनी अलमारी से ब्रा और पैंटी निकाल कर पहन ली। मेरे लिंग में तनाव आने लगा उसके लिए मैंने अपनी पत्नी की सेनेटरी नेपकिन अपनी पैंटी में डाल दी। अब मेरे को भी एक योनि का अहसास होने लगा। मेरा सीना पहले से ही उभरा हुआ था ब्रा पहन कर उसका आकार स्तनों जैसा हो गया। मेरे निपल्स भी तन गए। एक अजीब सी सनसनी होने लगी।फिर मैंने आर्टिफिशियल नेल्स अपने हाथों की उंगलियों में सेट करें। फिर उनको गहरे लाल रंग की पॉलिश से पेंट किया। दोनों कलाइयों में ढेर सारी चूड़ियां भी पहनी।उत्तेजना के कारण मेरे हाथ मेरे निपल्स को मसलने लगे।अब रहा नहीं जा रहा था। मेरे मुंह से कराह निकल रही थी। लिंग पैंटी में फड़फड़ा रहा था। जैसे तैसे अपने आप को कंट्रोल कर रहा था। अब मैंने अपनी साली का घाघरा चोली उठाया और पहन लिया। घाघरे का स्पर्श मेरी चिकनी टांगों से होने पर ऐसा लगा कि मेरी टांगों में किसी ने करंट लगा दिया हो। रही बची कसर चोली ने पूरी कर दी। अब नंबर था गहने का सबसे पहले अपने गोरे गोरे पैरों में पायल पहनी। गोरे गोरे पैर उस पर लाल नेल पेंट कोई भी नहीं कह सकता कि ये पैर किसी मर्द के होंगे। अब कानो में बड़े बड़े झुमके डाले। ये आपको बता दूं कि बचपन में मेरे दोनों कान मेरी मां ने किसी मन्नत के लिए छिदवा दिए थे। अब दोनों कलाइयों मैं सोने के कंगन भी पहन लिए।अब मैं बड़ी नज़ाकत के साथ चलता हुआ ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ गया। कमरे में मेरी पायल और चूड़ियों का ही शोर हो रहा था। अब मैंने मेकअप शुरू किया। अब मेरा चेहरा बिल्कुल किसी नई नवेली दुल्हन के जैसा हो गया था। घाघरे चोली के मैचिंग की नेल पेंट और लिपस्टिक लगी थी। मेरी आई ब्रो को भी काजल से गहरा कर दिया था। अब एक विग भी पहन लिया लेकिन बालों को खुला रखा। बस परेशानी ये थी कि बार बार ये बालों की लटें चेहरे पर आ जाती फिर उनको मैं अपनी पतली पतली पेंट की हुए उंगलियों से पीछे करता तो मेरी चूड़ियां खनक उठती। बहुत ही ज्यादा औरतों वाली फीलिंग पैदा होने लगती। फिर जब आइने में नजर डाली तो मेरे सामने एक बेहद खूबसूरत लड़की दिखाई दी। गौर से देखा तो पता चला कि वो लड़की मैं ही हूं। तभी……!

” हेल्लो! कौन हैं अंदर?” ये रूबी की आवाज़ थी।

अब मेरा बुरा हाल हुआ। अब क्या करूं? मैं सोचने लगा।क्यूं की अब इतना समय नहीं था कि मैं अपने आप को वापस मर्दाने वेश में कर लूं।

‘ओह! शिट,मैंने दरवाजा क्यूं खुला रखा।’ मैं अपने आप को कोसने लगा। तब तक रूबी मेरे कमरे में आ गई।

” हेल्लो,कौन हो तुम?” वो पीछे से बोली।
“???” मैं चुप।

” बहरी हो, मैडम तुम मेरे घर में क्या कर रही हो। और जीजू कहां हैं?” रूबी ने एक के बाद एक सवाल दाग दिए।

” रूबी ये.. मैं…” मेरे मुंह से बस इतना ही निकला।

” अरे तुम जो भी हो पहले मुझे चेहरा देखने दो।” इतना कहकर उसने मेरे कंधे को पकड़ कर अपने सामने कर दिया

” ओह माई गॉड! जीजू ये तुम हो?” रूबी मुझे इस अवतार में देख कर दंग रह गई।

” हां..!” मैंने हकलाते हुए कहा।

” हमम, तो दीदी सही कहती थी।” वो मुस्करा कर बोली।

” क्या??” मैंने आश्चर्य से पूछा।

” यही कि….!” उसने बात को अधूरा छोड़ दिया।

” क्या..क्या कहती थी?” मैंने फिर पूछा।
” यही कि तुम उनके पति नहीं बल्कि पत्नी बनने के लायक हो” वो हंस कर बोली।
मेरा सिर झुक गया, और क्या कहती है? मैंने आगे पूछा।

“तुम बिल्कुल औरत जैसे हो। तुम्हारे स्तन भी हैं तुम्हारे कूल्हे भी लड़कियों की तरह भारी हैं। तुम्हारी चाल ढाल भी हम लड़कियों जैसी है।” रूबी ने बताना शुरू किया।

” मैं क्या करूं? मैं हूं ही ऐसा। यार मेरा तन लड़के का जरूर है लेकिन मन लड़कियों वाला ही है। मेरी हमेशा से लड़की बनने की इच्छा रहती है।” मैंने रूबी को बताया।

” ओह! तो फिर मुझे दीदी से बात करनी ही पड़ेगी।” वो आंख मारते हुए बोली।

” कैसी बात?” मैंने घबराकर पूछा।

” यही कि अब मेरे जीजू भी साड़ी पहनकर हाथों में चूड़ियां डाल कर मेकअप करके रहना चाहते हैं।” उसने हंसते हुए कहा।

” अरे नहीं यार, अगर तुमने उसे सब बता दिया तो ये पक्का है कि को मुझे साड़ी पहना कर ही छोड़ेगी, वैसे भी वो मुझे मेरे बूब्स और बड़े पिछवाड़े को देख कर मेरा मज़ाक बनाती है।” मैंने रूबी को बताया।

” सच में जीजू बड़ा मज़ा आएगा जब तुम साड़ी पहनकर अपनी पतली कलाइयों में चूड़ियां पहन कर हमारे सामने नाचोगे,’ मेरे हाथों में नौ नौ चूड़ियां हैं”। वो मेरे सामने अपनी चूड़ियों को दिखा कर मुझे चिढाने लगी।

” अब इतना भी परेशान मत करो यार।” मैंने मुंह बनाते हुए कहा।

” खैर जाने दो।” उसने मेरी कलाई पकड़ कर कहा।
” वैसे मस्त लग रही हो, काश! तुम वाकई में लड़की होती तो मैं तुमको आज नहीं छोड़ती।” वो मेरी तरफ देख कर बोली।

” अभी क्या किसी लड़की से कम हूं? मैंने भी मस्ती में कह दिया।

” हाए! मार डाला तुमने। यार भगवान ने वाकई में बहुत बड़ी गलती कर दी जो तुमको मर्द बना दिया।” उसने अपने सीने पर हाथ रखकर कहा।

” क्या अब भी मैं तुमको मर्द नजर आता हूं? मैं भी मस्ती में आ गया।

” बिल्कुल नहीं, मर्द भी भला घाघरा चोली पहनते हैं, मर्द क्या चूड़ियां पहनकर रहते हैं और मेकअप करके तैयार रहते हैं?” वो मेरे गालों को नोचते हुए बोली।

” उई मम्मी!, मेरे गालों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा? मैंने बिल्कुल लड़कियों की तरह कहा।

” यार आज तुम नहीं बचोगी।” इतना कहकर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया। अब उसके हाथ हरकत पर उतर आए।उसने मेरी पैंटी के ऊपर हाथ रखा और…!

” ये क्या तुम्हारा वो कहां गया, क्या उसको भी हटवा दिया?” उसने अपने हाथ को मेरी पैंटी पर फिराते हुए पूछा।

” अरे पागल वो तो वहीं है जहां होना चाहिए।बस उपर से पैड लगा दिया है।” मैंने शरमाते हुए कहा।

” ओह! वेरी क्लेवर गर्ल ।” वो बोली।

” वो तो मै हूं ही।” मैंने भी कह दिया।

“वैसे एक बात बताऊं?” उसने मेरे हाथ को पकड़ कर पूछा।

” बोलो।”

” तुम्हारे हाथों में चूड़ियां मस्त लग रही हैं। तुम्हारी कलाइयां सिर्फ चूड़ियों का ही बोझ उठा सकती हैं। बेकार में तुम अपने को मर्द कहते हो।” उसने मेरी चूड़ियों से खेलते हुए कहा।

“इसमें मैं क्या कर सकता हूं, जब तक मैं लड़की नहीं बन जाता तब तक बड़ी बेचैनी रहती है। जब भी तुम्हारी बहन को साड़ी और चूड़ियां पहने देखता हूं, मेरा भी मन वहीं सब पहनने को करता है। इसी लिए मैंने ये जॉब वर्क फ्रॉम होम की थी।” मैंने रूबी को सब बता दिया।

“वैसे कब से ये शौक तुमको लगा?” उसने मुझे अपनी बाहों में भर कर पूछा।

” जब मैं पंद्रह साल का था। मेरी भाभी जो उस समय बीस साल की थी। नई नई शादी होकर वो हमारे घर आई थीं।बेहद खूबसूरत थीं वो। पतली कमर और उन्नत वक्ष थे उनके। हाथ और पैर बहुत ही कोमल और लम्बी लम्बी उंगलियां थीं और एक दम प्यारे लम्बे नेल्स थे। वो हमेशा नेल पॉलिश लगा कर रखती थी क्यूं की उनको नेल पॉलिश का बड़ा शौक था। घर में नौकरानियां थीं इस कारण उनको कोई काम भी नहीं करना पड़ता था। इधर मुझे भी सजना संवरना अच्छा लगता था। लेकिन शर्म कि वजह से किसी से कह नहीं पाता था। घर में मैं,भैया,भाभी और मां कुल चार लोग ही थे। भैया फैक्ट्री चले जाते और मां अक्सर अपनी सहेलियों के साथ दिन भर किटी पार्टी में लगी रहती थी। अब घर में केवल मैं और भाभी हम दो लोग रह जाते थे।” मैंने बताया।

” अच्छा, फिर क्रॉस ड्रेसिंग कैसे शुरू हुई?” रूबी ने उत्सुकता से पूछा।

” एक दिन जब हम दोनों अकेले थे और भाभी अपने रूम में ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी। उस समय उन्होंने बैंगनी रंग की मैक्सी पहन रखी थी। जब उन्होंने लिपस्टिक लगा कर मेरी तरफ देखा वो समझ गई कि मैं उनको ही देख रहा हूं। बस उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा।” ऐसे क्या देख रहे हो?”

” कु..कुछ नहीं.. मैं हकला गया।

” कैसी लगती हूं मैं तुमको?” उन्होंने पूछा।

” सुंदर, बहुत ही सुंदर।” मैंने धीरे से कहा।

” वैसे तुम भी बहुत सुंदर हो।” इतना कह कर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया।

” यार तुम्हारे हाथ बड़े सुंदर है, और नेल्स भी बढ़ा लिए हैं।लाओ मैं तुम्हारे भी नेल पॉलिश लगा दूं।”

” अरे नहीं भाभी मां ने देख लिया तो मार ही डालेगी।” मैंने डरते हुए कहा।

” कोई कुछ नहीं कहेगा। मैं सब संभाल लूंगी।” वो हंस कर बोली।

मेरे शरीर पर बाल का नामोनिशान तक नहीं था।उस पर पतला सा बदन बस समझो कि भाभी को उनकी रेडीमेड ननद मिल गई।

अब उन्होंने कुछ ही देर में मेरा कायाकल्प कर दिया।
अब मेरे बदन पर एक प्यारी सी ब्रा पैंटी थी उसके उपर भाभी की मैक्सी जैसी मैक्सी भी पहन ली। बैंगनी रंग की मैचिंग लिपस्टिक और नेलपॉलिश लगाई। फिर उन्होंने अपनी कलाई से कुछ चूड़ियां उतार कर मुझे पहना दी। मैंने पूछा कि आपने अपनी कलाइयों से से चूड़ियां क्यूं पहनाई।तो वो बोली,

” अरे आज तुम पहली बार मेरी ननद बनी हो तो मेरा फ़र्ज़ है कि मैं खुद अपनी चूड़ियां तुमको पहनाऊं। बाद में बाज़ार से तुम्हारे लिए खूब सारी चूड़ियां खरीदूंगी।”

बस उस दिन हम दोनों ने खूब मज़ा लिया। भाभी ने मेरी कई फोटो भी ली। कभी साड़ी में, तो कभी लहंगा चोली में, कभी सलवार सूट में। कुल मिलाकर मेरे अंदर एक लड़की को उन्होंने ही पैदा किया।” इतना कहकर मैं चुप हो गया।

रूबी मंत्रमुग्ध होकर मेरी कहानी मैं इतना डूब गई कि उसे पता ही नहीं चला कि मैं चुप हो गया हूं।

” हैलो,क्या हुआ?” मैंने रूबी को चिकोटी काटते हुए पूछा।

” उई,क्या बात है?” वो चौंक कर बोली।

” कहां खो गई थी?” मैंने पूछा।

” यार तुम्हारी कहानी गजब की है।” उसने कहा।

अब हम दोनों बेड पर ही लेट गए। उसने मेरे सीने पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मुझे भी गुदगुदी महसूस हो रही थी।मेरा हाथ भी उसके बदन पर हरकत कर रहा था। हम दोनों के बीच कोई भी सेक्स वाली फीलिंग नहीं थी। न ही मेरे अंग में कोई विशेष तनाव हो रहा था। वैसे भी लड़की से ज्यादा मुझको उनके कपड़े और चूड़ी मेकअप से लगाव था। मैं खुद ही लड़की बनना चाहता था। लेकिन ये सब कह नहीं सकता था।

” तुम्हारा लड़की वाला नाम क्या है। क्यूं कि अब मैं तुमको न तो जीजू कह सकती हूं और न ही संजय।” अचानक रूबी ने कहा।

” तुम मुझे संजना कह दिया करो।” मैंने उत्तर दिया।

” वाओ! बड़ा सुंदर नाम है। वैसे ये नाम तुमको किसने दिया?” उसने पूछा।

” ये मेरी भाभी का दिया नाम है वो अकेले में मुझे इसी नाम से बुलाती हैं।

” तो ठीक है आज से तुम संजना हो मेरी पक्की सहेली।” रूबी मुझे बाहों में लेकर प्यार से बोली।

काफी देर तक इसी तरह हम दोनों बातें करते रहे और एक दूसरे को चूमते रहे। मुझे भी इस बात का आश्चर्य हो रहा था कि रूबी ने सेक्स की कोई पहल नहीं की।

” एक बात बताओ?” मैंने उसके हाथ को पकड़ कर पूछा।

” क्या?” वो बोली।

” इतनी देर से तुम मुझसे बातें कर रही हो, क्या तुमको सेक्स की कोई इच्छा नहीं हो रही?” मैंने पूछा।

“हा हा हा, यार तुमको मैं कैसे बताऊं कि कोई भी मर्द मुझको आकर्षित नहीं कर सकता।” वो हंस कर बोली।

” मतलब??” मैंने पूछा।

” यार मैं लेस्बियन हूं।” वो मुझे आंख मारते हुए बोली। कुछ देर चुप रहने के बाद उसने बताया” मेरी एक सहेली थी जिसके साथ मेरे जिस्मानी रिश्ते थे। मैं उसको जी जान से चाहती थी। हमारा ये रिश्ता लगभग सभी को पता था।लेकिन एक दिन वो मुझे धोखा देकर अपने बॉय फ्रेंड के साथ चली गई। तबसे मुझे मर्दों से नफ़रत सी हो गई। क्यूं कि एक मर्द ने ही मुझे मेरी सहेली से अलग किया था। फिर तुम मेरे जीजू बन कर आए लेकिन तुम्हारे हाव भाव और तुम्हारे लड़की जैसे शरीर को देख कर मैंने मन ही मन सोच लिया कि एक दिन तुमको मैं अपनी सहेली बनाकर ही छोडूंगी। और देखो भगवान ने मुझे रेडीमेड सहेली दे दी।”

” ओह! इसका मतलब ये है कि अब मैं तुम्हारे साथ सिर्फ लड़की बन कर ही रहूंगा।” मैंने कहा।

” रहूंगा नहीं रहूंगी बोलो, अब तुम मेरी संजना हो।” उसने मेरे गाल चूमते हुए कहा।

मुझे ये जानकर आश्चर्य हुआ कि रूबी एक लेस्बियन है लेकिन मन ही मन खुशी भी हुई कि इस बहाने मेरी क्रॉस ड्रेसिंग की फैंटेसी भी पूरी हो जाएगी। मैंने रूबी को कस के पकड़ लिया और किस करने लगा। वो भी मदहोश होने लगी। वो मेरे निपल्स को पिंच कर रही थी और मैं उत्तेजना के कारण बस तड़फ रहा था। उसने मेरे अंग को हाथ भी नहीं लगाया। हां वो अपने पैरों से मेरे अंग को मसल रही थी। और ऐसे में दुर्घटना हो ही गई। मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी। रूबी को ये सब अच्छा नहीं लगा।

” यार तुम्हारा ये सामान मुझे जरा भी पसंद नहीं है।” वो झुंझला कर बोली।

” फिर बताओ मैं इसका क्या करूं?” मैंने पूछा।

” कंट्रोल करो, सारा मजा किरकिरा कर दिया।” वो बोली।

” कंट्रोल ही तो नहीं होता।” मैं बोला।

” तो फिर इसको हटवा दो, मेरे किसी काम का नहीं है।”उसने कहा।

” अरे क्या अपनी दीदी से पिटवाना है मुझे?” मैंने घबराकर पूछा।

“अरे संजना तू भी कितनी भोली है,भला हम लड़कियों के पास ये किस काम का है? अब तुम मर्द तो हो नहीं फिर क्यूं इसको लेकर घूमते रहते हो।”

” अरे क्या मैं तुमको मर्द नहीं लगता?” मैंने पूछा।

” मर्द! जाके आइने में देखो अपने आप को, क्या मर्द ऐसे साड़ी चूड़ी पहन कर मेकअप करके तैयार रहते हैं?” वो मुझे छेड़ते हुए बोली।

” बात तो सही है लेकिन तुम्हारी दीदी क्या समझेगी जब वो मुझे ऐसे देखेगी?” मैंने कुछ सोचते हुए पूछा।

” वो तो पहले से ही तुमको एक औरत ही समझती है, और अब वो तुमको हमेशा साड़ी, चूड़ी पहना कर रखेगी। कितना मज़ा आएगा जब हम तीनो मिलकर beauty parlor जाएंगे।” वो चहक कर बोली।

” और?? मैंने भी उत्तेजित होकर पूछा।

” फिर मैं और दीदी तुम्हारे नाक कान भी छिदवा देंगे। फिर तुम भी हमारी तरह कानों में झुमके और नाक में नथ पहनोगी। तुम्हारे हाथों में चूड़ियां होंगी। आइब्रो भी सेट होंगी तुम्हारी। होंठो पर लिपस्टिक गालों पर लाली होगी।” रूबी बोलती जा रही थी और मेरी हालत उत्तेजना के कारण खराब होने लगी थी।

” यार अगर तुम्हारी मम्मी यानि मेरी सास को पता चल गया कि उनका दामाद औरत बन कर रहता है, तो वो क्या सोचेगी?” मैंने चिंतित होकर पूछा।

” उनकी टेंशन मत लो। उनको तो में संभाल लूंगी।” रूबी बोली।

कुछ देर तक हम लोग ऐसे ही बातें करते रहे फिर मैं उठा और अपने कपड़े उतारने के बाद सीधे बाथरूम में घुस गया फिर अपने आप को शांत किया।

उस दिन के बाद मेरे और रूबी के बीच जीजा साली का रिश्ता एक नए रिश्ते में बदल गया। अब मैं घर में पूरी तरह से तैयार होकर सज धज कर रहता था। हम दोनों के बीच लेस्बियन सेक्स ही होता था। सेक्स टॉयज के साथ हम दोनों एक दूसरे को शांत कर लेते थे। ऐसे ही दिन गुजर रहे थे। अपनी पत्नी के सामने मैं मर्द के रूप में होता और जैसे ही वो चली जाती मैं फिर से औरत के अवतार में आ जाता।अब मेरी क्रॉस ड्रेसिंग पूरी तरह से मुझ पर हावी हो चुकी थी। मेरे निपल्स रूबी ने चूस कर और दबा दबा कर इतने सेंसटिव कर दिए थे कि उनका जरा सा स्पर्श मुझे अधमरा कर देता था। सारे बदन में इतनी सरसराहट होती कि मेरी पैंटी गीली हो जाती थी। उसके लिए अब मैंने अपनी पैंटी में सेनेटरी नेपकिन लगाना शुरू कर दिया। अपनी पत्नी के साथ अब मुझे सेक्स में वो आनंद नहीं आता जो रूबी के साथ लेस्बियन मैं आता था। मेरी पत्नी भी मेरे इस परिवर्तन को समझ चुकी थी। लेकिन शायद वो सही समय के इंतजार में थी। हालांकि मेरे अंग में पूरा तनाव होता था और पत्नी को संतुष्टि भी मिलती थी।
लेकिन वो भी जानती थी कि मैं ये सब बेमन से करता हूं।
एक दिन जब मैं सज संवर कर अपने कमरे में कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था उस समय मैंने रूबी की ग्रीन सलवार और डार्क पिंक कुर्ती पहनी हुई थी। हाथों में चूड़ियां डाल रखी थीं जो बार बार खन खन कर उठती थी। गोरी गोरी पतली पतली उंगलियों के लम्बे लंबे नाखूनों पर डार्क पिंक नेलपॉलिश लगी थी। और इसी की मैचिंग की लिपस्टिक लगाई थी। कीबोर्ड पर मेरी उंगलियां बेहद खूबसूरत लग रही थी। कानो में बड़े बड़े झुमके और गले में एक नेकलेस भी पहन रखा था। उस समय रूबी अपने कमरे में अपना कोई काम कर रही थी। तभी मुझे प्यास लगी, मैंने अपना दुपट्टा ठीक किया और किचेन में जाकर आराम से बोतल निकली और ग्लास में पानी डालने लगा। मेरी हरकतों से मेरी चूड़ियां बार बार बज रही थी। तभी कोई किचेन में अंदर आया।

” क्या बात है रूबी, आज बड़ी सज संवर कर तैयार हो।कहीं जाना है क्या ?” ये आवाज़ मेरी पत्नी की थी। अब मुझे काटो तो खून नहीं। मेरे दिमाग की बत्ती गुल हो गई।सारी क्रॉस ड्रेसिंग पल भर में मेरी विलेन बन गई। शर्म के मारे नजर नहीं उठा पा रहा था। कैसे सामना करू? अब क्या करता मैंने पलट कर देखा।

” संजय??” वो मुझे इस नए अवतार में देख कर दंग रह गई।

” हां….!” बस इतना ही निकला।

” ओह! अब समझ में आया कि तुम इतने पैसिव क्यूं हो।”

” पैसिव नहीं यार, ये मेरी मजबूरी है।” मैंने धीरे से कहा।

” भला औरत बनने की क्या मजबूरी हो गई। ये सलवार सूट, चूड़ियां, मेकअप ये सब क्या है?”वो मेरे सामने खड़ी हो कर बोली।

” यार मैं शरीर से पूरा मर्द हूं लेकिन मेरी चाहत ,भावनाएं सब औरतों की हैं। जब भी तुम लोगों को देखता हूं बस मेरा मन भी करता है कि मैं भी तुम लोगों की तरह सज धज कर रहूं।” मैंने सब कुछ बता दिया।

तभी वहां रूबी आ गई। अब उसने मुझे देखा तो वो थोड़ी सी चिंतित हुई लेकिन उसने मुझे इशारा करके चुप रहने को कहा।

” दीदी, जीजू सही कह रहे हैं। मैंने ही इनको ऐसा करने को कहा।” वो बोली।

” मतलब तुम सब कुछ जानती हो?” उसने रूबी से पूछा।

” हां दीदी, फिर इसमें गलत क्या है। सब कुछ घर के अंदर ही तो है। बेचारे जीजू की भी सोचो कितना तड़फते होंगे ऐसा करने के लिए।” रूबी ने उसको समझाते हुए कहा।

” ठीक है, लेकिन मेरी भी शर्त है।” वो बोली।

” क्या?”

” जो इनको करना है वो घर के अंदर ही करें मुझे कोई दिक्कत नहीं।” उसने कहा।

” मंजूर।” रूबी बोली।

” जाओ, जाकर अब चेंज कर लो।” रूबी ने मुझे कहा।

” अरे नहीं, ऐसे ही अच्छे लगते हो, एक दम चिकनी चमेली।” वो हंस कर बोली।

अब सब कुछ ठीक हो गया। मेरी क्रॉस ड्रेसिंग आराम से चलती रही। पत्नी के साथ भी सब मस्त रहा। उसकी तन की आग मैं शांत कर देता था। अंधे को क्या चाहिए दो आंखें। उधर रूबी के साथ भी सब ठीक चलता रहा। अब कुल मिलाकर घर में सभी औरतें ही थीं। अब मेरी गिनती भी औरतों मैं ही होती थी। मेरा घर से निकलना भी लगभग बंद ही हो गया। कहीं हद तक मेरा स्वभाव भी अंतर्मुखी ही चला था इसी लिए मुझे बाहर किसी से भी मिलना अच्छा नहीं लगता था। बाहर वालों के लिए मैं एक मर्द और अपनी पत्नी का पति था लेकिन घर में मैं दोनों बहनों की सहेली बन गया।

समाप्त।

निवेदन : कहानी के बारे में अपने विचार कॉमेंट्स के द्वारा व्यक्त करना ना भूले।

आपकी प्रीति
Crossdressing duniya

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